सोलन: डॉ. वाईएस परमारऔद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी का 11वां दीक्षांत समारोह (Nauni university 11th convocation) आयोजित किया गया. समारोह की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Governor at the convocation in Nauni) ने की. दीक्षांत समारोह में विवि के तीन महाविद्यालय- नौणी स्थित बागवानी महाविद्यालय और वानिकी महाविद्यालय और नेरी के औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय के छात्रों (students of forestry college) को डिग्री प्रदान की गई. इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह एक ऐसा यादगार क्षण है, जो भविष्य में प्रगति करने और विश्वविद्यालय के विशेष योगदान का स्मरण करवाता है.
उन्होंने कहा कि कृषि-बागवानी क्षेत्र में किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने और जीवन को बेहतर बनाने की आपार सम्भावनाएं हैं. राज्यपाल ने कहा कि जब तक हमारे वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधान प्रयोगशालाओं और पुस्तकों से निकलकर व्यावहारिक रूप से हमारे किसानों के खेतों में नहीं पहुंचेंगे तब तक वह अनुसंधान व्यर्थ है. किसान व बागवान किस समस्या से जूझ रहे हैं, उसका समाधान समय से उन तक पहुंचाना आपका कर्तव्य होना चाहिए.
हर वर्ष रासायनिक कीटनाशकों पर होने वाली लागत में हो रही लगातार वृद्धि: राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल में अकेले सेब की अर्थव्यवस्था 5000 करोड़ से अधिक की है. सेब सहित अन्य फसलों को कीड़ों व बीमारियों से बचाने के लिए विभिन्न रासायनिक कीटनाशकों पर किसानों की निर्भरता को कम करने की आवश्यकता है. हर वर्ष रासायनिक कीटनाशकों पर होने वाली लागत में लगातार वृद्धि हो रही है, क्योंकि किसान वैज्ञानिक सलाह न अपनाकर अधिक मात्रा में छिड़काव कर रहे हैं, जो मिट्टी, जल और हमारे भोजन को दूषित कर स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं. हमें इस विषय पर गम्भीरता से विचार करना होगा तथा व्यावहारिक योजना को अमल में लाना होगा.
प्रदेश सरकार ने सम्पूर्ण रूप से प्राकृतिक कृषि राज्य बनने की दिशा में उठाए हैं कदम: उन्होंने कहा कि सुरक्षित खाद्य पदार्थ का उत्पादन करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए. प्राकृतिक खेती जैसी कृषि पद्धतियों को भी किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए सार्थक प्रयास किए हैं. इस कृषि प्रणाली के बारे में हिमाचल के किसानों को
प्रशिक्षण और अन्य तकनीकों के लिए हिमाचल सरकार ने बजट में प्रावधान किया है.
इसके अलावा, सरकार कृषि, बागवानी और वानिकी के विस्तार के लिए भी उचित कदम उठा रही है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने सम्पूर्ण रूप से प्राकृतिक कृषि राज्य बनने की दिशा में कदम उठाए हैं और हमें पूरा विश्वास है कि हम इस लक्ष्य को पूरा करने में कामयाब होंगे. राज्यपाल ने कहा कि एशिया का पहला और प्रदेश का एकमात्र बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (Asias first forestry university in Himachal) होने के नाते यहां के वैज्ञानिकों से बहुत सी अपेक्षाएं हैं.
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आज सघन अनुसंधान की आवश्यकता ताकि विश्व स्तर पर की जा सके प्रतिस्पर्धा: राज्यपाल ने कहा कि वे विश्वविद्यालय प्रशासन की सराहना करना चाहते हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy in Himachal) का विश्वविद्यालय में कार्यान्वयन के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया है, जिसका इस शुभ अवसर पर विमोचन किया गया है. आज सघन अनुसंधान की आवश्यकता है ताकि विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा की जा सके.
राज्यपाल ने कहा कि आज के बदलते परिवेश में हमें अपने कार्यों में तेजी व गुणवत्ता लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना होगा. इसके लिए ई-शिक्षा तथा तकनीकी विचार-विमर्श पर ज्यादा ध्यान देने
दीक्षांत समारोह में 11 छात्रों को स्वर्ण पदक: इस दीक्षांत समारोह में 11 छात्रों को स्वर्ण पदक और 261 को मेरिट सर्टिफिकेट प्रदान दिए गए हैं. इसके अलावा 665 छात्रों को बीएससी औद्यानिकी एवं बीएससी वानिकी, बीटेक जैव प्रौद्योगिकी, एमबीए/एबीएम, एमएससी औद्यानिकी एवं बीएससी वानिकी और पीएचडी की उपाधियां दी गई है. जिसमें 283 छात्र और 382 छात्राएं हैं. 11 स्वर्ण पदकों में से 7 स्वर्ण पदक बेटियों ने हासिल किए है. राज्यपाल ने कहा कि यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है कि छात्राओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और यह एक बहुत ही अच्छा संकेत हैं क्योंकि कृषि-बागवानी व वानिकी में महिलाओं की भूमिका बहुत अहम है.
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