शिमलाः केंद्र सरकार ने सोमवार को अपना बजट पेश किया. इस बजट में सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी कई घोषणाएं की हैं, लेकिन रोजगार से जुड़ी कोई खास बात इस बजट में नहीं कि गई है, जिससे युवा वर्ग निराश नजर आ रहा है.
युवाओं का मानना है कि इस समय सबसे ज्यादा जरूरत उन्हें रोजगार की है, लेकिन सरकार ने बजट में युवाओं को रोजगार देने के लिए कोई खास प्रावधान नहीं किया है. शिक्षा के क्षेत्र में सरकार नेशनल एजुकेशन पॉलिसी और हायर एजुकेशन काउंसिल का गठन करने की बात कर रही है, लेकिन जिन युवाओं को रोजगार की दरकार है, उन्हें कहां और कैसे रोजगार मिलेगा इस पर स्थिति सरकार की ओर से स्पष्ट नहीं की गई है.
युवाओं को रोजगार के लिए कोई नई योजना नहीं
सरकार की ओर से युवाओं को रोजगार देने और उन्हें स्वरोजगार के अवसर देने के लिए कोई नई योजना भी बजट में नहीं लाई गई है. कोविड काल में बहुत से युवाओं ने अपनी नौकरियां गवाई हैं और ऐसे में युवाओं को उम्मीद थी कि सरकार बजट में युवाओं के लिए कुछ खास योजना लेकर आएगी जो नहीं हो पाया है.
शिक्षा का निजीकरण
वहीं, उनका कहना है कि सरकार 100 सैनिक स्कूल खोलने की बात तो कर रही है, लेकिन इसमें निजी कंपनियों की मदद सरकार लेने की बात कर रही है, जिसे कहीं ना कहीं एक बार फिर से शिक्षा का निजीकरण करने का प्रयास केंद्र सरकार की ओर से किया जा रहा है. वहीं, हिमाचल में पर्यटन क्षेत्र को लेकर जहां सबसे अधिक रोजगार की संभावनाएं थी, वह भी बजट से अछूता ही रहा है.
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी
युवाओं का कहना है कि सरकार की ओर से नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को लागू करने की बात कही गई है. वह बेहतर कदम है, जिससे कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और वोकेशनल कोर्सेज इस नई शिक्षा नीति के तहत शामिल होंगे, जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगा.
केंद्रीय विश्वविद्यालय के पास कैंपस नहीं
हालांकि लेह में केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने की बजट घोषणा पर युवाओं ने कहा कि सरकार की ओर से इस तरह की घोषणाएं तो कर दी जाती हैं और विश्वविद्यालय खोल दिए जाते हैं, लेकिन उनके इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ का हाल वही होता है जो कि हिमाचल के केंद्रीय विश्वविद्यालय का है, जिसके पास वर्षों बाद भी अपना कैंपस नहीं है.
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