शिमला: महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता बेरोजगार संघ (women health workers unemployed union) ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शुक्रवार को संघ की उपप्रधान सुदर्शना के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सचिवालय में मिला और उन्हें अपनी मांगों से अवगत करवाया. महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता बेरोजगार संघ का कहना है कि फीमेल हेल्थ वर्कर्स की संख्या 6000 के लगभग है जो प्रशिक्षण के बाद भी घर बैठे हैं. उनका मांग है कि जब जेबीटी के लिए प्रावधान किया जा रहा है तो जो एएनएम बेरोजगार हैं उनके लिए भी कोई योजना बनाई जाए.
महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता बेरोजगार संघ (women health workers in himachal) का कहना है कि सरकार आरएंडपी रूल्स के आधार पर फीमेल हेल्थ वर्कर्स के पदों पर अगर प्रशिक्षण प्राप्त फीमेल हेल्थ वर्कर्स को तैनाती नहीं दे सकती है तो जगह-जगह खोले गए इन प्रशिक्षण संस्थानों को भी तत्काल प्रभाव से बंद करें. उन्होंने कहा है कि उक्त 205 पदों पर भर्ती व पदोन्नति नियमों के आधार पर सिर्फ प्रशिक्षण प्राप्त फीमेल हेल्थ वर्कर्स की तैनाती नहीं की तो सरकार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.
उन्हाेंने कहा कि वर्ष 2018 में स्वास्थ्य विभाग के तहत 205 बहुउद्देशीय महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के पदों को भरने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त फीमेल हेल्थ वर्कर्स अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए थे, लेकिन कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर (Staff Selection Commission Hamirpur) ने भर्ती एवं पदोन्नति नियमों को ताक पर रख कर फीमेल हेल्थ वर्कर्स अभ्यर्थियों के साथ-साथ जीएनएम व बीएससी नर्सिंग अभ्यर्थियों के आवेदनों को भी स्वीकार कर दिया. उन्हाेंने दावा किया कि बीते 15 सितंबर को घोषित किए परिणाम में 95 फीसदी अभ्यर्थी जीएनएम व बीएससी नर्सिंग के ही उत्तीर्ण हुए हैं.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रशिक्षण प्राप्त फीमेल हेल्थ वर्कर्स की संख्या 6000 है, जो सारी महिलाएं इन दिनों बेरोजगार हैं. उन्होंने सरकार से मांग है कि जिस तरह पैरामेडिकल स्टाफ को 50 फीसदी बैचवाइज रखा जा रहा है उसी तरह एनएम महिलाओं को भी 50 फीसदी बैचवाइज रखा जाए. उन्होंने कहा कि हम पिछले कई सालों से अपने हक के लिए लड़ रही हैं, लेकिन प्रदेश सरकार हमारी मांगों की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है. सरकार द्वारा कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमारी मांगें नहीं मानती है तो वह आने वाले चुनावों का बहिष्कार (Female health workers boycott elections) करेंगी. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से गुहार लगाई है कि आरएंडपी रूल्स के आधार पर प्रशिक्षण प्राप्त फीमेल हेल्थ वर्कर्स की तैनाती की जाए.
उन्हाेंने आराेप लगाया कि उक्त पदों को भरने के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों की साफ अनदेखी की गई है. आवेदन में डेढ़ वर्ष डिप्लोमा धारक फीमेल हेल्थ वर्कर्स को ही उक्त पदों के लिए योग्य माना गया था. उन्हाेंने कहा कि अपने हितों के लिए प्रशिक्षण प्राप्त फीमेल हेल्थ वर्कर्स (Trained Female Health Workers in himachal) कई बार मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से भी मिली, लेकिन सरकार ने इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया.
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