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महिला ने उठाए शिमला पुलिस की जांच पर सवाल, हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई से जांच की लगाई गुहार

शिमला पुलिस की जांच पर एक महिला ने सवाल खड़े किए हैं. इसी कड़ी में महिला ने हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की है और इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग उठाई है. इस मामले पर अब सुनवाई आगामी 9 मार्च को निर्धारित की गई है. प्रार्थी का आरोप है कि पुलिस (Allegation on shimla police) द्वारा मामले में जांच पूरी होने के बाद पेश की फाइनल रिपोर्ट में प्रार्थी द्वारा पेश किये गये तथ्यों को शामिल नहीं किया गया, जिस कारण अभियोजन पक्ष काफी कमजोर दिख रहा है.

Himachal High Court news
हिमाचल हाईकोर्ट की खबर
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Published : Jan 15, 2022, 8:56 PM IST

शिमला: पुलिस द्वारा एक महिला की शिकायत पर सही तरीके से जांच न होने के कारण घटना की छानबीन सीबीआई से करवाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका लंबित (Petition filed in Himachal High Court) है. जिस पर सुनवाई अब आगामी 9 मार्च को निर्धारित की गई है. प्रार्थी का आरोप है कि पुलिस द्वारा मामले में जांच पूरी होने के बाद पेश की गई फाइनल रिपोर्ट में प्रार्थी द्वारा पेश किये गये तथ्यों को शामिल नहीं किया गया, जिस कारण अभियोजन पक्ष काफी कमजोर दिख रहा है.

प्रार्थी का आरोप है कि उसे शारीरिक और मानसिक तौर पर समय-समय पर टॉर्चर किया गया और इस बारे समूची जानकारी पुलिस थाना से लेकर उच्च अधिकारीयों तक के ध्यान में लायी गई, लेकिन प्रार्थी को न्याय नहीं मिला. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस घटना में संलिप्त लोगों के विरुद्ध शिमला पुलिस द्वारा जांच सही तरीके से नहीं की गई. प्रार्थी ने इस मामले की जांच सीबीआई से नये सिरे से करवाने के आग्रह को लेकर यह याचिका दायर की है.

प्रार्थी ने शिमला पुलिस (Allegation on shimla police) पर गंभीर आरोप लगाये हैं. पुलिस द्वारा की गई जांच के संदेह के घेरे में रखते हुए प्रार्थी ने याचिका में आरोप लगाया है कि पुलिस को इस मामले की छानबीन के लिए उपलब्ध करवाई गई जानकारी को जांच में उपयोग नहीं किया. जिस कारण पुलिस जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत में पेश किया गया चालान कानूनी रूप से कमजोर है.

इस मामले में शिमला (Investigation of Shimla Police) में रह रहे दो दर्जन व्यक्तियों को आरोपी नामजद किया गया है. इस मामले में अनिल सूद, डीएन शर्मा, हरीश राना, अशोक कुकरेजा, रेनू शर्मा, सोहन लाल, दिलावर सिंह, अनुज श्रीवास्तव, सीमा श्रीवास्तव, संगीता सूद, शिवम् सूद, बेबी रानी, अशोक शर्मा, पियूष राना, मनोज पाठक, विनोद कुमार, नरेंदर, सुखविंदर सिंह आदि नामजद आरोपी शामिल किये गये हैं. इनके विरुद्ध प्रार्थी ने न्यू शिमला पुलिस थाना में 22 अक्टूबर 2018 को प्राथमिकी दर्ज करवाई थी.

प्रार्थी का आरोप है कि इस मामले में नामजद आरोपी ऊंची पहुंच रखते हैं. जिस कारण पुलिस ने उन्हें बचाने के लिए कॉल डिटेल्स को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड से रिमूव कर दिया और उनके द्वारा प्रयोग किये जा रहे मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक यंत्र कब्जे में नहीं लिए गये. प्रार्थी का यह भी आरोप है कि अनिल सूद और दिलावर की शुरू की एक वर्ष के कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड से हटा दी गई है, जबकि पहले इस कॉल डिटेल्स के प्रिंट भी लिए गये थे.

ये भी पढ़ें: Women Ice Hockey Championship: 16 जनवरी से काजा में शुरू होगी 9वीं राष्ट्रीय महिला आइस हॉकी चैंपियनशिप 2022

शिमला: पुलिस द्वारा एक महिला की शिकायत पर सही तरीके से जांच न होने के कारण घटना की छानबीन सीबीआई से करवाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका लंबित (Petition filed in Himachal High Court) है. जिस पर सुनवाई अब आगामी 9 मार्च को निर्धारित की गई है. प्रार्थी का आरोप है कि पुलिस द्वारा मामले में जांच पूरी होने के बाद पेश की गई फाइनल रिपोर्ट में प्रार्थी द्वारा पेश किये गये तथ्यों को शामिल नहीं किया गया, जिस कारण अभियोजन पक्ष काफी कमजोर दिख रहा है.

प्रार्थी का आरोप है कि उसे शारीरिक और मानसिक तौर पर समय-समय पर टॉर्चर किया गया और इस बारे समूची जानकारी पुलिस थाना से लेकर उच्च अधिकारीयों तक के ध्यान में लायी गई, लेकिन प्रार्थी को न्याय नहीं मिला. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस घटना में संलिप्त लोगों के विरुद्ध शिमला पुलिस द्वारा जांच सही तरीके से नहीं की गई. प्रार्थी ने इस मामले की जांच सीबीआई से नये सिरे से करवाने के आग्रह को लेकर यह याचिका दायर की है.

प्रार्थी ने शिमला पुलिस (Allegation on shimla police) पर गंभीर आरोप लगाये हैं. पुलिस द्वारा की गई जांच के संदेह के घेरे में रखते हुए प्रार्थी ने याचिका में आरोप लगाया है कि पुलिस को इस मामले की छानबीन के लिए उपलब्ध करवाई गई जानकारी को जांच में उपयोग नहीं किया. जिस कारण पुलिस जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत में पेश किया गया चालान कानूनी रूप से कमजोर है.

इस मामले में शिमला (Investigation of Shimla Police) में रह रहे दो दर्जन व्यक्तियों को आरोपी नामजद किया गया है. इस मामले में अनिल सूद, डीएन शर्मा, हरीश राना, अशोक कुकरेजा, रेनू शर्मा, सोहन लाल, दिलावर सिंह, अनुज श्रीवास्तव, सीमा श्रीवास्तव, संगीता सूद, शिवम् सूद, बेबी रानी, अशोक शर्मा, पियूष राना, मनोज पाठक, विनोद कुमार, नरेंदर, सुखविंदर सिंह आदि नामजद आरोपी शामिल किये गये हैं. इनके विरुद्ध प्रार्थी ने न्यू शिमला पुलिस थाना में 22 अक्टूबर 2018 को प्राथमिकी दर्ज करवाई थी.

प्रार्थी का आरोप है कि इस मामले में नामजद आरोपी ऊंची पहुंच रखते हैं. जिस कारण पुलिस ने उन्हें बचाने के लिए कॉल डिटेल्स को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड से रिमूव कर दिया और उनके द्वारा प्रयोग किये जा रहे मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक यंत्र कब्जे में नहीं लिए गये. प्रार्थी का यह भी आरोप है कि अनिल सूद और दिलावर की शुरू की एक वर्ष के कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड से हटा दी गई है, जबकि पहले इस कॉल डिटेल्स के प्रिंट भी लिए गये थे.

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