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हिमाचल में मानसून सीजन में करंट लगने से अब तक 11 की मौत, मुआवजे की राशि पांच लाख रुपए की गई - शिमला की खबर

Woman dies in Mandi due to electric shock, मंडी जिले के सुंदरनगर में शनिवार को एक महिला की करंट लगने से मौत हुई है. वहीं, प्रदेश सरकार द्वारा बिजली के करंट से होने वाली मृत्यु पर अब पांच लाख रुपए मुआवजा प्रदान किया जाएगा.

Woman dies in Mandi due to electric shock
हिमाचल में मानसून सीजन में करंट लगने से अब तक 11 की मौत
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Published : Aug 28, 2022, 2:33 PM IST

शिमला: हिमाचल में मानसून सीजन में अब तक 270 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. दुखद ये है कि करंट लगने के कारण अब तक 11 लोगों की मौत हुई है. शनिवार को भी मंडी जिले के सुंदरनगर में एक महिला की मौत करंट लगने से हुई (Woman dies in Mandi due to electric shock) है. इसी बीच, करंट लगने से होने वाली मौतों के लिए मुआवजे की रकम बढ़ाने की बात चल रही थी. अब इसकी मुआवजा राशि पांच लाख रुपए कर दी गई है.

राज्य सरकार के उर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के अनुसार बिजली के करंट से होने वाली मृत्यु पर सरकार पांच लाख रुपए मुआवजा प्रदान (5 lakh compensation for electrocution death in Himachal) करेगी. इस राहत मैनुअल में फौरी तौर पर प्रभावित परिवार को एक लाख रुपए तुरंत राहत दी जाएगी. हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (Himachal State Electricity Regulatory Commission) ने करंट से लगने वाली मौतों के मामलों में न्यूनतम राहत राशि भी तय की है.

करंट लगने से पेश आने वाले हादसे में घायल को इलाज के लिए ले जाने की स्थिति में दस हजार रुपए की तुरंत सहायता राशि जारी करने के आदेश दिए हैं. हादसे के कारण दिव्यांग होने पर सहायता राशि स्वास्थ्य जांच के बाद जारी होने वाले प्रमाणपत्र के आधार पर दी जाएगी. उम्र भर के लिए अंग-भंग होने की स्थिति में पीड़ित को चार लाख रुपए की मदद देनी होगी.

हिमाचल रेगुलेटरी कमीशन की अधिसूचना (Himachal Regulatory Commission Notification) के अनुसार यदि करंट लगने के बाद प्रभावित व्यक्ति 30 दिन से कम घायल हालत में रहता है, तो उसे 50 हजार रुपए तक का न्यूनतम भुगतान करना होगा. यदि प्रभावित व्यक्ति हादसे के बाद 30 दिन से 180 दिन तक बेड रिडेन रहता है, तो पीड़ित को 75 हजार रुपए सहायता राशि प्रदान की जाएगी. यदि हादसे से पीड़ित व्यक्ति छह महीने तक बिस्तर पर रहता है तो उसे एक लाख रुपए दिए जाएंगे.

पशुपालकों के राहत राशि का प्रावधान: मानसून सीजन में करंट लगने से पशुधन की भी मौत होती है, लिहाजा कमीशन ने पशुपालकों के लिए भी राहत राशि का प्रावधान किया है. करंट लगने के कारण मौत का शिकार होने वाले मवेशियों के लिए अलग-अलग मुआवजा राशि है. यदि करंट लगने से गाय, भैंस की मौत होती है, तो प्रभावित परिवार को 30 हजार रुपए की धनराशि मुआवजे के तौर पर देनी होगी. वहीं, भेड़ या बकरी की मौत पर 10 हजार और पालतू सूअर की मौत पर पांच हजार रुपए तक का भुगतान करना होगा.

इतने लोगों की हुई मौत: हिमाचल में इस मानसून सीजन में भारी बारिश के कारण अब तक 270 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. डूबने से 35 लोगों की मौत हुई है. सर्पदंश से 19 लोग मारे जा चुके हैं. वहीं, सड़कों, पुलों तथा सिंचाई व पेयजल योजनाओं को 1400 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है. करंट लगने से होने वाली मौतों में मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग हो रही थी. कई राज्यों ने इसे पांच लाख रुपए कर दिया है. अब हिमाचल में भी ये राशि पांच लाख रुपए हो गई है.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में आफतकाल, मानसून ने ली 22 की जान, PWD को 56 करोड़ रुपये का नुकसान

शिमला: हिमाचल में मानसून सीजन में अब तक 270 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. दुखद ये है कि करंट लगने के कारण अब तक 11 लोगों की मौत हुई है. शनिवार को भी मंडी जिले के सुंदरनगर में एक महिला की मौत करंट लगने से हुई (Woman dies in Mandi due to electric shock) है. इसी बीच, करंट लगने से होने वाली मौतों के लिए मुआवजे की रकम बढ़ाने की बात चल रही थी. अब इसकी मुआवजा राशि पांच लाख रुपए कर दी गई है.

राज्य सरकार के उर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के अनुसार बिजली के करंट से होने वाली मृत्यु पर सरकार पांच लाख रुपए मुआवजा प्रदान (5 lakh compensation for electrocution death in Himachal) करेगी. इस राहत मैनुअल में फौरी तौर पर प्रभावित परिवार को एक लाख रुपए तुरंत राहत दी जाएगी. हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (Himachal State Electricity Regulatory Commission) ने करंट से लगने वाली मौतों के मामलों में न्यूनतम राहत राशि भी तय की है.

करंट लगने से पेश आने वाले हादसे में घायल को इलाज के लिए ले जाने की स्थिति में दस हजार रुपए की तुरंत सहायता राशि जारी करने के आदेश दिए हैं. हादसे के कारण दिव्यांग होने पर सहायता राशि स्वास्थ्य जांच के बाद जारी होने वाले प्रमाणपत्र के आधार पर दी जाएगी. उम्र भर के लिए अंग-भंग होने की स्थिति में पीड़ित को चार लाख रुपए की मदद देनी होगी.

हिमाचल रेगुलेटरी कमीशन की अधिसूचना (Himachal Regulatory Commission Notification) के अनुसार यदि करंट लगने के बाद प्रभावित व्यक्ति 30 दिन से कम घायल हालत में रहता है, तो उसे 50 हजार रुपए तक का न्यूनतम भुगतान करना होगा. यदि प्रभावित व्यक्ति हादसे के बाद 30 दिन से 180 दिन तक बेड रिडेन रहता है, तो पीड़ित को 75 हजार रुपए सहायता राशि प्रदान की जाएगी. यदि हादसे से पीड़ित व्यक्ति छह महीने तक बिस्तर पर रहता है तो उसे एक लाख रुपए दिए जाएंगे.

पशुपालकों के राहत राशि का प्रावधान: मानसून सीजन में करंट लगने से पशुधन की भी मौत होती है, लिहाजा कमीशन ने पशुपालकों के लिए भी राहत राशि का प्रावधान किया है. करंट लगने के कारण मौत का शिकार होने वाले मवेशियों के लिए अलग-अलग मुआवजा राशि है. यदि करंट लगने से गाय, भैंस की मौत होती है, तो प्रभावित परिवार को 30 हजार रुपए की धनराशि मुआवजे के तौर पर देनी होगी. वहीं, भेड़ या बकरी की मौत पर 10 हजार और पालतू सूअर की मौत पर पांच हजार रुपए तक का भुगतान करना होगा.

इतने लोगों की हुई मौत: हिमाचल में इस मानसून सीजन में भारी बारिश के कारण अब तक 270 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. डूबने से 35 लोगों की मौत हुई है. सर्पदंश से 19 लोग मारे जा चुके हैं. वहीं, सड़कों, पुलों तथा सिंचाई व पेयजल योजनाओं को 1400 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है. करंट लगने से होने वाली मौतों में मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग हो रही थी. कई राज्यों ने इसे पांच लाख रुपए कर दिया है. अब हिमाचल में भी ये राशि पांच लाख रुपए हो गई है.

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