शिमला: विधानसभा के मॉनसून सत्र में गुरुवार को 3 विधेयक पास हुए. जिसमें विपक्ष ने लोक सेवा गारंटी, रोपवे से जुड़ा विधेयक और प्रशासनिक ट्रिब्यूनल सम्बन्धी विधेयक शामिल किया. इसी बीच विपक्ष ने ट्रिब्यूनल को भंग करने के बाद लाये गए विधेयक पर वॉकआउट किया. मॉनसून सत्र के 9वें दिन सदन में 3 महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा की गई और चर्चा के बाद विधेयकों को पास भी किया गया, जिसका विपक्ष ने विरोध किया और सदन से वॉकआउट किया.
विधेयक को लेकर कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि ट्रिब्यूनल बंद होने से कर्मचारियों के पैसे के साथ समय की बर्बादी होगी. चौहान ने कहा कि 39 हजार 285 मामले हाईकोर्ट में लंबित है. वहीं, ट्रिब्यूनल के बंद होने से 21 हजार केस ट्रिब्यूनल से हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो जाएंगे, जिससे हाईकोर्ट पर बोझ बढ़ जाएगा.
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि सुखविंदर सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय में 2012 में हाई कोर्ट में कर्मचारियों के 4 हजार केस थे जिसमें 500 का ही फैसला हो सका है, जबकि कांग्रेस ने ट्रिब्यूनल को बहाल किया और 16 में 14 हजार कर्मचारियों को ट्रिब्यूनल से न्याय मिला. सुक्खू ने कहा कि हरियाणा में भी भाजपा सरकार है और हरियाणा में ट्रिब्यूनल की मांग उठी है.
विधायक राकेश सिंघा ने भी विधेयक में चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सरकार लोकतंत्र के बजाय ऑर्डिनेंस पर विश्वास कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार पैसे की बर्बादी का हवाला देकर ट्रिब्यूनल को बंद करना चाह रही.
जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि राजनीति की भावना ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला नहीं लिया गया है. उन्होंने बताया कि पूरे देश मे केवल 6 राज्यों में ही ट्रिब्यूनल काम कर रहा है. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है. वहीं, राकेश सिंघा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार लोकतंत्र पर विश्वास न करके ऑर्डिनेंस पर विश्वास कर रही है जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सही नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी सरकार के ट्रिब्यूनल को बंद करने के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि ट्रिब्यूनल बंद होने से तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को हाई कोर्ट से जल्द और सस्ता न्याय नहीं मिल पाएगा.
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि 2011 में भाजपा सरकार के समय में ये विधेयक सदन में लाया गया था, लेकिन 2012 में भाजपा सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी. उन्होंने बताया कि बिल की अधिसूचना जारी नही हो पाई थी. साथ ही कहा कि कांग्रेस सरकार ने खामियों को दूर नहीं किया और अधिसूचना को नोटिफाई नहीं किया.
मुख्यमंत्री जयराम ने सदन में हिमाचल प्रदेश आकाशी रज्जू मार्ग संशोधन विधेयक 2019 को प्रस्तावित किया. विपक्ष के विधायक राम लाल ठाकुर, सुंदर ठाकुर,सुखविंदर सिंह,जगत सिंह नेगी और राकेश सिंघा ने प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लिया. सदस्यों ने कहा कि इस बिल के आने से ऊंचे लोगों को फायदा होगा छोटे वर्ग के लोगों को नुकसान ही होगा. बिलासपुर नैनादेवी के विधायक रामलाल ठाकुर ने कहा कि इसकी रूफ टॉप से दूरी 10 मीटर से ज्यादा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे मकान मालिकों को नुकसान उठाना पड़ेगा, जबकि कुल्लु के विधायक ने कहा कि इसे लिए फीस या किराया पहले से तय होना चाहिए,वरना जो कंपनी या ठेकेदार रोप वे लगता है उसकी मनमानी हो जाती है.