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शिमला में धूमधाम से मनाया गया बसंत पंचमी पर्व, बच्चों ने लिया मां सरस्वती का आशीर्वाद

जिला शिमला के कालीबाड़ी में बुधवार को बसंत पंचमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इसी दौरान स्कूली बच्चों सहित स्थानीय लोगों ने मां सरस्वती का पूजन करके उनका आशीर्वाद लिया.

vasant panchami festival celebrated in shimla
कालीबाड़ी में की गई मां सरस्वती की पूजा
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Published : Jan 29, 2020, 4:30 PM IST

शिमला: जिला के कालीबाड़ी में बुधवार को बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के साथ बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इसी बीच स्कली बच्चों ने किताबों की पूजा की और मां सरस्वती का आशीर्वाद लिया.

कालीबाड़ी मंदिर के पुजारी ने बताया कि बसंत पंचमी को ज्ञान की देवी मां सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. बंगाल में मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है, इसलिए कालीबाड़ी में बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है. साथ ही माना जाता है कि आज से जीवन में बसंत आना शुरू हो जाता है और सारी चीजें नई लगने लगती हैं.

वीडियो

पुजारी ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन सिद्धि और सर्वार्थसिद्धि जैसे योग का संयोग भी बन रहा है. बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की आराधना के साथ ही विवाह के लिए भी शुभ मुहूर्त है. उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी के दिन ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति खास बनी रहेगी, जबकि वृश्चिक राशि में बृहस्पति और धनु के साथ-साथ मकर राशि में शनि ग्रह रहेगा.

ये भी पढ़ें: मनाली के नेहरुकुंड में रोके जा रहे पर्यटकों के वाहन, भारी बर्फबारी के चलते प्रशासन ने लिया निर्णय

पुजारी ने बताया कि बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त वाले पर्वों की श्रेणी में शामिल है, लेकिन इस दिन गुरु और उतरा भाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा. साथ ही विवाह और अन्य शुभ कार्यो के लिए ये स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है.

शिमला: जिला के कालीबाड़ी में बुधवार को बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के साथ बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इसी बीच स्कली बच्चों ने किताबों की पूजा की और मां सरस्वती का आशीर्वाद लिया.

कालीबाड़ी मंदिर के पुजारी ने बताया कि बसंत पंचमी को ज्ञान की देवी मां सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. बंगाल में मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है, इसलिए कालीबाड़ी में बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है. साथ ही माना जाता है कि आज से जीवन में बसंत आना शुरू हो जाता है और सारी चीजें नई लगने लगती हैं.

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पुजारी ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन सिद्धि और सर्वार्थसिद्धि जैसे योग का संयोग भी बन रहा है. बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की आराधना के साथ ही विवाह के लिए भी शुभ मुहूर्त है. उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी के दिन ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति खास बनी रहेगी, जबकि वृश्चिक राशि में बृहस्पति और धनु के साथ-साथ मकर राशि में शनि ग्रह रहेगा.

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पुजारी ने बताया कि बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त वाले पर्वों की श्रेणी में शामिल है, लेकिन इस दिन गुरु और उतरा भाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा. साथ ही विवाह और अन्य शुभ कार्यो के लिए ये स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है.

Intro:बसंत पंचमी पर कालीबाड़ी में हूई विशेष पूजा।
स्कूली बच्चो ने किताबो की करवाई पूजा
शिमला।
राजधानी में बुधवार को वसंत पंचमी बड़े धूम धाम से मनाया गया। कालीबाड़ी में माँ सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की गई।
कालीबाड़ी में सुबह पूजा अर्चना कर हवन किया गया इस दौरान स्कूली बच्चो ने अपनी पुस्तको की पूजा अर्चना भी मंदिर में करवाई। सैंकड़ो लोग अपने बच्चो के साथ दिन भर कालीबाड़ी मंदिर में जा कर पूजा अर्चना करते रहे।
मंदिर के पुजारी ने बताया कि बंगाल मे माँ सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है इसलिए बसन्त पंचमी का बहुत महत्व है। क्योंकि आज से जीवन मे बसंत आना माना जाता है। और सब चीजें नई जैसे लगती है।
Body:। बसंत पंचमी के दिन सिद्धि व सर्वार्थसिद्धि योग जैसे दो शुभ मुहूर्त का संयोग भी बन रहा है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की आराधना के साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी रहेंगे।

बाद ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति इस दिन को और खास बना रही है। इस बार तीन ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे। मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे। विवाह और अन्य शुभ कार्यो के लिए ये स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है। बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त वाले पर्वो की श्रेणी में शामिल है, लेकिन इस दिन गुरु और उतराभाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा। इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। दोनों योग रहने से बसंत पंचमी की शुभता में वृद्धि होगी।


बसंत पंचमी यानी माघ शुक्ल पंचमी को ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में बसंत पंचमी के मनाया जाता है। इस मौके पर मां सरस्वती और भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है और मौसम में आसानी से उपलब्ध होने वाले फूल चढ़ाए जाते हैं। कई जगह लेखनी और ग्रंथों की पूजा भी की जाती है। सरस्वति विद्या अाैर बुद्धि की देवी मानी जाती है। इसलिए इस दिन पढ़ाई से संबंधित मुहुर्त शुभ माने जाते हैं। वैवाहिक जीवन के लिए सर्वार्थसिद्धि और रवियोग का संयाेग बनेगा। जो मांगलिक और शुभ कामों की शुरुआत करने एवं परिणय सूत्र में बंधने के लिए श्रेष्ठ है।


Conclusion:पञ्चमी तिथि का प्रारंभ–29 जनवरी को 10:45 बजे सुबह से है।
पञ्चमी तिथि की समाप्ति–30 जनवरी को 01:19 बजे दाेपहर बाद पर होगी।
बसंत पञ्चमी मध्याह्न का क्षण (पूजा मुहूर्त)–10:47 सुबह से 12:34 दाेपहर बाद तक रहेगा।
पूजा के मुहूर्त की कुल अवधि–01 घंटा 49 मिनट्स की है।
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