शिमला: तिब्बत की आजादी के लिए शनिवार को तिब्बती महिला संघ ने शिमला में जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने चीन के खिलाफ नारेबाजी की और भारत व अन्य देशों से तिब्बत की आजादी के लिए मदद मांगी. तिब्बती महिला यूनियन की अध्यक्ष केलंग ने बताया कि वे तिब्बती महिला संघ, राष्ट्रीय तिब्बती विद्रोह दिवस की 63वीं वर्षगांठ का सम्मान करते हैं. तिब्बत देश हमारा है और चीन को तिब्बत में तिब्बतियों के खिलाफ अपनी दमनकारी नीतियों को बंद करना होगा.
ल्हासा शहर में चीनी सरकार की क्रूर कार्रवाई के खिलाफ महिलाओं ने शिमला में प्रदर्शन किया. यूनियन की अध्यक्ष ने कहा कि 12 मार्च 1959 का दिन तिब्बती इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है. तिब्बती महिला संघ और क्षेत्रीय अध्याय इस दिन को मनाते हैं. इस दिन दुनिया भर की तिब्बती महिलाओं से अनुरोध करते हैं कि वे उन महान बलिदानों को याद रखे और उनका सम्मान करें.
उन्होंने कहा कि 10 सितंबर 1984 को दलाई लामा ने आधिकारिक रूप से पूरे भारत में तिब्बती महिला संघ की 12 शाखाओं को बहाल किया गया था. आज तिब्बती महिला संघ के 58 अध्याय हैं और तिब्बत के बाहर 20 हजार से अधिक सदस्य हैं. तिब्बती महिला संघ दूसरा सबसे बड़ा एनजीओ है और हमारे निर्वासन में पहला, जो तिब्बत में तिब्बती महिलाओं के मानवाधिकारों और निर्वासन में तिब्बती महिलाओं के सशक्तिकरण की वकालत करता है.
खासकर तिब्बत से नई शरणार्थी महिलाओं के लिए इस ऐतिहासिक दिन पर हम तिब्बती महिला संघ अपने शहीदों के अतीत वर्तमान और भविष्य की उन पीढ़ियों को उनके संघर्ष और कठिनाई के लिए धन्यवाद देते हैं. केलंग ने भारत सहित अन्य देशों से मांग की है कि वह तिब्बत को चीन से आजाद करवाने में सहयोग करें.