शिमला : कोरोना महामारी में प्रदेश के अस्पतालों में सफाई कर्मचारी भी कोरोना योद्धाओं की तरह सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन हैरत की बात है कि सरकार की ओर से इन सफाई कर्मचारियों को कोई भी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. वहीं, अब सफाई कर्मचारियों से अस्पताल में शव भी उठाए जा रहे है.
आईजीएमसी के सफाई कर्मचारियों ने प्रशासन पर आरोप लगाए हैं कि अस्पताल में कोरोना संक्रमण के दौरान उनसे शव उठाए जा रहे हैं, जबकि यह उनकी डयूटी नहीं है, लेकिन अब सफाई कर्मचारी यूनियन ने साफ किया है कि वह अब शव नहीं उठाएंगे चाहे सरकार के ठेकेदार उन्हें कितने भी पैसे दें, क्योंकि ये उनका काम नहीं है.
सफाई कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौरान वह भी अस्पताल में पूरी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही है. ऐसे में कर्मचरियों में प्रशासन को लेकर काफी रोष है. उन्होंने कहा कि सरकार सभी कर्मचारियों के बारे में सोच रही है, लेकिन अस्पताल में दिन रात सेवाएं दे रहे कर्मचारियों के बारे में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
सफाई कर्मचारी यूनियन आईजीएमसी के प्रधान पमीश ठाकुर ने आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान सेवाएं दे रहे सफाई कर्मचारियों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है. यहां तक शव भी सफाई कर्मचारियों से उठाए जा रहे हैं. उनका आरोप है कि जो नियमति स्टाफ है, उनसे आईजीएमसी प्रशासन कोई काम नहीं करवाता है, जबकि ठेकेदार के अंदर आउट सोर्स पर काम करने वाले सफाई कर्मचारी से ही कोरोना पॉजिटिव शव को उठाने के लिए भेज दिया जाता है और बदले में उन्हें कोई अतिरिक्त लाभ नहीं दिया जाता है. आईजीएमसी सफाई कर्मी की मांग है कि उन्हें नियमित कर्मचारी के भांति लाभ प्रदान करे.