शिमला: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने बड़ा फैसला दिया है. अदालत ने कहा कि नियमित सेवा के साथ अगर दिहाड़ीदार यानी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी आठ साल की सेवा पूरी करता है तो भी वह सरकारी कर्मचारी पेंशन का हक रखेगा. केवल कुछ ही समय की अवधि की कमी के कारण आठ साल की सेवा पूरी करने वाले को पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकेगा. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में कहा है कि दिहाड़ी पर की गई पांच साल की सेवा को एक साल की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा. साथ ही दस साल की दिहाड़ी यानी दैनिक वेतन भोगी के रूप की सेवा को दो साल की नियमित सेवा कंसीडर किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार नियमित सेवा के साथ अगर दिहाड़ीदार के रूप में सेवा के 20 फीसदी को नियमित सेवा के बराबर लाभ देते हुए नौकरी के 8 वर्ष भी पूरे होते हैं तो भी सरकारी कर्मी पेंशन लेने का हक रखेगा. इसे न्यूनतम पेंशन के लिए 10 साल के बराबर मान लिया जाएगा. अदालत के इस फैसले से उन दिहाड़ीदारों को लाभ होगा, जिनकी नियमित सेवा की अवधि पूरी होने में 20 फीसदी की कमी रह रही हो.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पूर्व एक केस में पारित अपने फैसले की व्याख्या करते हुए यह व्यवस्था दी है कि 5 वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को 1 वर्ष की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा. इसके साथ ही 10 वर्ष की दिहाड़ीदार सेवा को 2 वर्ष की नियमित सेवा के बराबर माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने ये व्यवस्था इसलिए दी थी ताकि कई कर्मी मात्र कुछ ही समय की नियमित सेवा की कमी के कारण पेंशन से वंचित न रह जाएं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा उक्त फैसले को लेकर प्रदेश हाईकोर्ट की एकल पीठ व खंडपीठों के फैसलों में विरोधाभास पैदा हो गया था. इस कारण मामले को तीन जजों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया था. एकल पीठ व एक खंडपीठ का यह मत था कि अगर नियमित सेवा के साथ दिहाड़ीदार सेवा का लाभ देते हुए 8 वर्ष की सेवा का कार्यकाल पूरा हो जाता है तो उस स्थिति में सरकारी कर्मी पेंशन लेने का हक रखेगा. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त फैसले में 8 साल की सेवा को 10 वर्ष आंकने का भी जिक्र किया गया है, जबकि अन्य खंडपीठ का यह मत था कि नियमित सेवा के साथ दिहाड़ीदार सेवा का लाभ देते हुए अगर 10 वर्ष की सेवा का कार्यकाल पूरा होता है तभी सरकारी कर्मी नियमित पेंशन लेने का हक रखेगा.
हाई कोर्ट के 3 जजों की पीठ के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी. इस चुनौती को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था और प्रार्थी बालों देवी को उसके पति द्वारा राज्य सरकार को दी गई सेवाओं की एवज में पेंशन देने के आदेश जारी किए. पेंशन का एरियर 8 सप्ताह के भीतर दिए जाने के आदेश जारी किए गए हैं.
मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार प्रार्थी का पति सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग में चतुर्थ श्रेणी दैनिक वेतन भोगी कर्मी था. उसे 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद 1 जनवरी 2000 से नियमित किया गया था. फिर 6 साल 2 महीने की नियमित सेवा पूरी करने के बाद वह सेवानिवृत्त हो गया. 6 साल 2 महीने की नियमित सेवा के चलते उसे विभाग द्वारा पेंशन देने से मना किया गया. उसने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल की और अंतत: उसे सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिली.
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