शिमलाः राजधानी शिमला में बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने के लिए जिला प्रशासन की ओर एचआरटीसी बसों के बजाए निजी स्कूल बसें चलाने और निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर एक बार फिर से छात्र अभिभावक मंच अपने आंदोलन का शुरुआत करने जा रहा है.
मंच ने ऐलान किया है कि निजी बस ऑपरेटर निजी स्कूलों की मनमानी, लूट भरी फीसों, किताबों और यूनिफार्म की दुकानों से मिलीभगत के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच मार्च के पहले सप्ताह में आंदोलन का बिगुल बजाएगा.
अभिभावक मंच का आरोप है कि शिमला जिला प्रशासन निजी बस ट्रांसपोर्टरों से मिलीभगत कर रहा है. इन्हें फायदा पहुंचाने के लिए निजी स्कूलों के छात्रों व अभिभावकों पर हर महीने हजारों रुपये का आर्थिक बोझ डाला जा रहा है. स्कूलों में एचआरटीसी की बसें ना लगाकर निजी बसें लगाई जा रही हैं, जिनमें किराए को दुगना किया जा रहा है जिसे अभिभावक बर्दाश्त नहीं करेंगे.
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि एचआरटीसी की बसों में 900 रुपये किराया लिया जा रहा था. अब उसे 18 सौ से 2 हजार करने की कोशिश निजी बस ऑपरेटरों के लिए की जा रही है. जिला प्रशासन उच्चतम न्यायालय के 15 अप्रैल 2018 के बच्चों की सुरक्षा को लेकर दिए गए दिशा निर्देशों का भी उल्लंघन कर रहा है.
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी बसों के हवाले बच्चों की सुरक्षा को सौंपा जा रहा है और प्रशासन अपनी नैतिक जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है. नए-नए नियम लाकर जिला प्रशासन अभिभावकों पर आर्थिक बोझ लादकर शिक्षा का अधिकार कानून 2009 और भारतीय संविधान के नीति निदेशक सिद्धांतों में गारंटी शुदा मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के मौलिक अधिकार पर हमला कर रहा है, जिसे छात्र अभिभावक मंच किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा.
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