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थियेटर्स का थियेटर गेयटी Theater: हरिप्रसाद चौरसिया, शिवकुमार से लेकर अनेक नामी हस्तियों की कला का गवाह शिमला का गेयटी - world theatre day

आज विश्व थियेटर दिवस है. पूरे विश्व में 27 मार्च को 'विश्व रंगमंच दिवस' मनाया जाता है. विश्व थियेटर दिवस पर शिमला स्थित गेयटी थियेटर को याद करना जरूरी है. कला-संस्कृति संसार के अनेक दिग्गजों की जादुई प्रस्तुति का ये थियेटर गवाह रहा है. रंगमंच की दुनिया के बेताज बादशाह स्व. मनोहर सिंह के तो यहां प्राण बसते थे.

world theatre day
शिमला का गेयटी थियेटर
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Published : Mar 27, 2022, 11:51 AM IST

शिमला: गेयटी थियेटर (gaiety theater shimla) को थियेटर्स का थियेटर कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं. कला-संस्कृति संसार के अनेक दिग्गजों की जादुई प्रस्तुति का ये थियेटर गवाह रहा है. रंगमंच की दुनिया के बेताज बादशाह स्व. मनोहर सिंह के तो यहां प्राण बसते थे. कारण ये कि मनोहर सिंह खुद शिमला जिला के रहने वाले थे. यही नहीं, महान बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया, संतूर के जादूगर पंडित शिवकुमार शर्मा, पंडित जसराज, सितार वादन में ख्यात निशात खान, उस्ताद राशिद खान, पंडित छन्नूलाल मिश्र सहित अनेक नाम हैं. रंगमंच की दुनिया में ओम पुरी, नसीरुद्दीन शाह सरीखे नाम यहां आकर अपनी कला प्रदर्शित कर चुके हैं. बड़ी बात ये है कि गेयटी थियेटर अपने आप में इतिहास के कई पन्ने समेटे हुए हैं. विश्व थियेटर दिवस (world theatre day) पर गेयटी की याद करना जरूरी है.

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान एडीसी यानी शिमला एमेच्योर ड्रामाटिक क्लब (shimla amateur dramatic club) बेशक वर्ष 1888 में शुरु हुआ, लेकिन रानी विक्टोरिया के जुबली इयर के कारण इसे 30 मई 1887 को ही ओपन कर दिया गया. शिमला में एमेच्योर ड्रामाटिक क्लब को आर्थिक संकट से लगातार उबारने में लॉर्ड बिल बर्सफोर्ड (lord bill bursford) का योगदान रहा. थियेटर के बनने के बाद से यहां युवा अंग्रेज आर्मी ऑफिसर व अन्य अंग्रेज उच्चाधिकारी रंगमंच का लुत्फ उठाते थे. उस समय शिमला एमेच्योर ड्रामाटिक क्लब के साथ ब्रिटिश हुकूमत के कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल लॉर्ड रॉबर्ट्स का नाम जुड़ा. वे वर्ष 1891 से 1892 में इस क्लब के अध्यक्ष रहे. उस दौरान क्लब के साथ मेजर पीएच डेनयर जुड़े. वे मशहूर प्रोड्यूसर व अभिनेता थे. उन्होंने लॉयलिस्ट, इंटरफेयरेंस और मैरी रोज नामक नाटकों में अभिनय किया था. इसके अलावा रूडयार्ड किपलिंग, लार्ड किचनर, मेजर जनरल सर गोडफ्रे विलियम्स, बेंडेन पॉवेल आदि का भी इस थियेटर के साथ संपर्क था.

Gaiety Theater
शिमला का गेयटी थियेटर

महान गायक कुंदन लाल सहगल (singer kundan lal sehgal), अभिनेता पृथ्वीराज कपूर व रंगमंच की दुनिया के सबसे चमकते सितारों में से एक स्व. मनोहर सिंह, नसीरुद्दीन शाह आदि ने यहां अपनी कला प्रतिभा बिखेरी है. गेयटी थियेटर की सबसे ऊपर की मंजिल को एक बार वर्ष 1911 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान गिराया गया था. हिमाचल सरकार ने बाद में ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देश के अनुसार इसका रेस्टोरेशन यानी पुनरुद्धार करवाया था. इस पर सात करोड़ रुपए से अधिक का खर्च हुआ था. वर्ष 2008 में इसका पुनरुद्धार कार्य पूरा हुआ. अब डेढ़ दशक से शिमला में रंगमंच व अन्य कलाओं का केंद्र ये थियेटर है. ब्रिटिश सैलानी भी शिमला की सैर के दौरान गेयटी थियेटर देखने के लिए आते हैं.

गेयटी थियेटर (gaiety theater shimla) अपनी संपूर्णता की ओर बढ़ता है जब यहां लोक कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. शिमला के गेयटी थियेटर में राष्ट्रपति सम्मान से अलंकृत लोक गायक स्व. हेतराम तंवर, बसंती देवी, कली चौहान, लैहरू राम सांख्यान भी गायन का जादू बिखेर चुके हैं. खैर, शिमला के गेयटी थियेटर की नींव ब्रिटिशकाल में रखी गई थी। रंगमंच के महान कलाकार स्व. मनोहर सिंह की स्मृति में यहां नाट्य समारोह होता है। गेयटी परिसर में ही ओपन एयर थियेटर भी है. यहां भी कई आयोजन होते हैं.

Gaiety Theater
शिमला का गेयटी थियेटर

रंगमंच में रुचि रखने वाले और एनएसडी के युवा सितारे रंगकर्मी विपिन भारद्वाज कहते हैं कि गेयटी शिमला की पहचान है. यहां कला संसार के सभी महान साधकों ने अपनी कला की प्रस्तुति दी है. साहित्य व कला जगत को अपनी कलम से संजोने वाले पूर्व आईएएस व लेखक श्रीनिवास जोशी कहते हैं कि शशि कपूर का तो इस थियेटर से ऐसा लगाव व आकर्षण था कि वे इसे ईंट-दर-ईंट शिमला से मुंबई ले जाना चाहते थे. शशि कपूर ने खुद ये कहा था- वुड दैट आई कुड टेक गेयटी थियेटर ब्रिक बाई ब्रिक टू मुंबई. खैर, ये तो संभव नहीं हो सकता, लेकिन गेयटी अपनी कला संपन्नता के साथ पूरे विश्व में जरूर पहुंचा है.

ये भी पढ़ें: एचपीयू के पांच दिव्यांग विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय फेलोशिप लेकर रचा इतिहास


शिमला: गेयटी थियेटर (gaiety theater shimla) को थियेटर्स का थियेटर कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं. कला-संस्कृति संसार के अनेक दिग्गजों की जादुई प्रस्तुति का ये थियेटर गवाह रहा है. रंगमंच की दुनिया के बेताज बादशाह स्व. मनोहर सिंह के तो यहां प्राण बसते थे. कारण ये कि मनोहर सिंह खुद शिमला जिला के रहने वाले थे. यही नहीं, महान बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया, संतूर के जादूगर पंडित शिवकुमार शर्मा, पंडित जसराज, सितार वादन में ख्यात निशात खान, उस्ताद राशिद खान, पंडित छन्नूलाल मिश्र सहित अनेक नाम हैं. रंगमंच की दुनिया में ओम पुरी, नसीरुद्दीन शाह सरीखे नाम यहां आकर अपनी कला प्रदर्शित कर चुके हैं. बड़ी बात ये है कि गेयटी थियेटर अपने आप में इतिहास के कई पन्ने समेटे हुए हैं. विश्व थियेटर दिवस (world theatre day) पर गेयटी की याद करना जरूरी है.

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान एडीसी यानी शिमला एमेच्योर ड्रामाटिक क्लब (shimla amateur dramatic club) बेशक वर्ष 1888 में शुरु हुआ, लेकिन रानी विक्टोरिया के जुबली इयर के कारण इसे 30 मई 1887 को ही ओपन कर दिया गया. शिमला में एमेच्योर ड्रामाटिक क्लब को आर्थिक संकट से लगातार उबारने में लॉर्ड बिल बर्सफोर्ड (lord bill bursford) का योगदान रहा. थियेटर के बनने के बाद से यहां युवा अंग्रेज आर्मी ऑफिसर व अन्य अंग्रेज उच्चाधिकारी रंगमंच का लुत्फ उठाते थे. उस समय शिमला एमेच्योर ड्रामाटिक क्लब के साथ ब्रिटिश हुकूमत के कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल लॉर्ड रॉबर्ट्स का नाम जुड़ा. वे वर्ष 1891 से 1892 में इस क्लब के अध्यक्ष रहे. उस दौरान क्लब के साथ मेजर पीएच डेनयर जुड़े. वे मशहूर प्रोड्यूसर व अभिनेता थे. उन्होंने लॉयलिस्ट, इंटरफेयरेंस और मैरी रोज नामक नाटकों में अभिनय किया था. इसके अलावा रूडयार्ड किपलिंग, लार्ड किचनर, मेजर जनरल सर गोडफ्रे विलियम्स, बेंडेन पॉवेल आदि का भी इस थियेटर के साथ संपर्क था.

Gaiety Theater
शिमला का गेयटी थियेटर

महान गायक कुंदन लाल सहगल (singer kundan lal sehgal), अभिनेता पृथ्वीराज कपूर व रंगमंच की दुनिया के सबसे चमकते सितारों में से एक स्व. मनोहर सिंह, नसीरुद्दीन शाह आदि ने यहां अपनी कला प्रतिभा बिखेरी है. गेयटी थियेटर की सबसे ऊपर की मंजिल को एक बार वर्ष 1911 में ब्रिटिश हुकूमत के दौरान गिराया गया था. हिमाचल सरकार ने बाद में ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देश के अनुसार इसका रेस्टोरेशन यानी पुनरुद्धार करवाया था. इस पर सात करोड़ रुपए से अधिक का खर्च हुआ था. वर्ष 2008 में इसका पुनरुद्धार कार्य पूरा हुआ. अब डेढ़ दशक से शिमला में रंगमंच व अन्य कलाओं का केंद्र ये थियेटर है. ब्रिटिश सैलानी भी शिमला की सैर के दौरान गेयटी थियेटर देखने के लिए आते हैं.

गेयटी थियेटर (gaiety theater shimla) अपनी संपूर्णता की ओर बढ़ता है जब यहां लोक कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. शिमला के गेयटी थियेटर में राष्ट्रपति सम्मान से अलंकृत लोक गायक स्व. हेतराम तंवर, बसंती देवी, कली चौहान, लैहरू राम सांख्यान भी गायन का जादू बिखेर चुके हैं. खैर, शिमला के गेयटी थियेटर की नींव ब्रिटिशकाल में रखी गई थी। रंगमंच के महान कलाकार स्व. मनोहर सिंह की स्मृति में यहां नाट्य समारोह होता है। गेयटी परिसर में ही ओपन एयर थियेटर भी है. यहां भी कई आयोजन होते हैं.

Gaiety Theater
शिमला का गेयटी थियेटर

रंगमंच में रुचि रखने वाले और एनएसडी के युवा सितारे रंगकर्मी विपिन भारद्वाज कहते हैं कि गेयटी शिमला की पहचान है. यहां कला संसार के सभी महान साधकों ने अपनी कला की प्रस्तुति दी है. साहित्य व कला जगत को अपनी कलम से संजोने वाले पूर्व आईएएस व लेखक श्रीनिवास जोशी कहते हैं कि शशि कपूर का तो इस थियेटर से ऐसा लगाव व आकर्षण था कि वे इसे ईंट-दर-ईंट शिमला से मुंबई ले जाना चाहते थे. शशि कपूर ने खुद ये कहा था- वुड दैट आई कुड टेक गेयटी थियेटर ब्रिक बाई ब्रिक टू मुंबई. खैर, ये तो संभव नहीं हो सकता, लेकिन गेयटी अपनी कला संपन्नता के साथ पूरे विश्व में जरूर पहुंचा है.

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