शिमला: आज लोहड़ी है. लोहड़ी का त्योहार ( Lohri Festival 2022) 13 जनवरी को मनाया जाता है. लोहड़ी का त्योहार किसानों का नया साल भी माना जाता है. लोहड़ी खासतौर पर उत्तर भारत में मनाया जाने वाला त्योहार है. हर साल मकर संक्रांति से पहले वाले दिन लोहड़ी मनाई जाती है.
हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लोहड़ी के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं (CM Jairam on Lohri) हैं. राज्यपाल ने अपने बधाई संदेश में कामना की है कि यह त्योहार प्रदेशवासियों के जीवन में खुशियां व समृद्धि लेकर (himachal governor on Lohri)आएगा. मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि यह उत्सव हमें अपने प्रियजनों एवं मित्रों के साथ खुशियां बांटने का अवसर प्रदान करता है, जो आपसी भाईचारे को और सुदृढ़ करता है. उन्होंने कामना की है कि यह उत्सव प्रदेशवासियों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाएगा.
मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी का त्योहार मुख्य रूप से सूर्य और अग्नि देव को समर्पित है. लोहड़ी की पवित्र अग्नि में नवीन फसलों को समर्पित करने का भी विधान है. ये एक तरह से प्रकृति की उपासना और आभार प्रकट करने का पर्व है, लोहड़ी खासकर हिमाचल प्रदेश (Lohri Festival celebrate in himachal), हरियाणा, पंजाब और जम्मू कश्मीर में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है.
लोहड़ी का पर्व आज धूमधाम से मनाया जाएगा. इसमें अग्नि प्रज्जवलित कर लोग उसकी परिक्रमा करेंगे. साथ ही अच्छी फसल, स्वास्थ्य और व्यापार की कामना के साथ अग्नि में रेवड़ी, मक्का, गजक अर्पित करेंगे. इसके बाद प्रसादी का वितरण किया जाएगा. इस अवसर पर पंजाबी पंजाबी समुदाय के लोग भांगड़ा और गिद्दा नृत्य कर उत्सव मनाते हैं.
लोहड़ी के इस पर्व पर मूंगफली, तिल के लड्डू, गजक, रेवड़ी का खास महत्व है. यही प्रसाद लोहड़ी पर आग में भेंट किया जाता है और ग्रहण भी किया जाता है. यह पर्व सर्दियों में आता है ऐसे में यह मूंगफली, तिल के लड्डू, गजक, रेवड़ी तासीर को गर्म रखती है, जिसके लिए लोग इसका सेवन करते हैं.
क्यों मनाई जाती है लोहड़ी?
पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के त्याग के रूप में ये त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था. उसी दिन की याद में ये पर्व मनाया जाता है. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि सुंदरी और मुंदरी नाम की लड़कियों को सौदागरों से बचाकर दुल्ला भट्टी ने हिंदू लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी. इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में इस पर्व को मनाया जाता है.
वहीं एक और मान्यता के अनुसार द्वापर युग में जब सभी लोग मकर संक्रांति का पर्व मनाने में व्यस्त थे, तब बालक कृष्ण को मारने के लिए कंस ने लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा, जिसे बालक कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था. लोहिता नामक राक्षसी के नाम पर ही लोहड़ी उत्सव का नाम रखा गया. उसी घटना को याद करते हुए लोहड़ी पर्व मनाया जाता है.
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