किन्नौर: किन्नौर जिले के पूह उपमंडल के रुश्कुलंग गांव में मंगलवार को शिवरात्रि के अवसर पर अनोखी परंपरा की झलक देखने (Shivratri in Rushkalang village of Kinnaur) को मिली. सैकड़ों वर्षों से यहां पर शिवरात्रि के अवसर पर यहां के लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनकर भगवान शिव को खुश करने की मान्यताओं अनुसार मुखौटा नृत्य (Mask dance on Shivratri) के साथ-साथ पूजा पाठ भी किया जाता है. शिवरात्रि के अवसर पर रुश्कुलंग गांव में ग्रामीणों ने भगवान शिव के स्वागत पारंपरिक मुखौटा नृत्य किया.
महादेव की शीतकालीन तपोस्थली किन्नौर में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. मनाने का तरीका अलग-अलग होता है. किन्नौर जिले के रुशकलंग गांव में शिवरात्रि का यह पर्व वर्षों से मनाया जा रहा है. मान्यता है कि महादेव शिव और पार्वती अपने भ्रमण के दौरान सुबह के समय रुशकलंग गांव में एक खेत में प्रकट हुए थे. आज भी युवक मुखौटा और पारंपरिक आभूषण पहन शिव-पार्वती के रूप में आते हैं.
शिवरात्रि मेले की शुरुआत आज भी उसी खेत से होती है, जहां शिव प्रकट हुए थे. आज भी इस पर्व को मनाते वक्त युवा वर्ग में काफी उत्साह दिखता है. इस दिन गांव के युवा वर्ग मुखौटा पहन कर शिव के वेश में वाद्य यंत्रों के साथ नाटी लगा कर लोगों का खूब मनोरंजन करते हैं. रुशकलंग गांव में मनाए जाने वाला इस पर्व को देखने के लिए आस पड़ोस के गांव के काफी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं.
इस दिन के लिए युवा कई दिन पहले से ही तैयारियां (Shivratri in Kinnaur) करना शुरू कर देते हैं. युवा ऐसे वस्त्र और मुखौटा पहनते हैं, ताकि उन्हें कोई पहचान न सकें. इस दिन सुबह से ही पूरे गांव में काफी चहल पहल रहती है. किन्नौर जिला एक जनजातीय क्षेत्र है, जहां पर हिंदु एक्ट लागु नहीं होता है, लेकिन कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हिन्दू धर्म की झलक देखने को मिलती है. रुश्कुलंग के ग्रामीणों का मानना है कि किन्नौर जिले में सविधान के नियमों अनुसार हिन्दू एक्ट लागु नहीं किया गया है, लेकिन सदियों पूर्व से इस गांव मे हिंदुओं के बहुत सारे पर्व मनाए जाते हैं.
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