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किन्नौर में सड़कों की हालत दयनीय, सर्दी शुरू होते ही लैंडस्लाइड के डर से सहमे लोग

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Published : Nov 16, 2019, 7:31 AM IST

किन्नौर में सर्दियों के साथ ही बर्फबारी और बारिश ने भी दस्तक दे दी है. ऐसे में दरकती पहाड़ियां और खतरनाक सड़कों से वाहनों को आवाजाही में खतरा बढ़ गया है.

landslides may be blocked road

किन्नौरः जनजातीय जिला किन्नौर में सर्दियों के मौसम शुरू होते ही लोगों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं. सर्दियों के साथ ही बर्फबारी और बारिश ने भी दस्तक दे दी है. ऐसे में दरकती पहाड़ियां और खतरनाक सड़कों से वाहनों को आवाजाही में खतरा बढ़ गया है.

लोगों का कहना है कि जिला किन्नौर में सड़कों की हालत ठीक नहीं है. सड़क मार्ग पर जगह-जगह पहाड़ों से खिसकने वाले चट्टानों के रुकना बंद नहीं हुआ तो भारी बर्फबारी के समय किन्नौर की सड़कों पर वाहनों की आवाजाही में रुकावटें आ सकती हैं. सर्दियों में पहाड़ों से होने वाले भूस्खलन और चट्टानों का गिरना जारी रहता है, जिससे बड़े हादसे होने की संभावना रहती है.

वीडियो.

बता दें कि जिला किन्नौर के सड़कों पर सर्दियों में पिछले कई सालों से सड़कों की दयनीय हालत और सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने के कार्य के दौरान पहाड़ों को ब्लास्टिंग द्वारा काटा गया, जिससे अब पहाड़ों से भूस्खलन लगातार होता रहता है.

ऐसे में जिला किन्नौर में सर्दियों में खतरनाक पहाड़ी सड़कों से भूस्खलन का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि बर्फ पिघलने के बाद उससे निकला हुआ पानी से पहाड़ियां गीली हो जाती है, जिससे दिन को भूस्खलन व रात को पानी सड़कों पर जम जाने से वाहनों के फिसलने का खतरा बना रहता है.

बर्फबारी में होने वाले इन हादसों को रोकने के लिए सड़कों पर प्रशासन ने रेलिंग तो लगा दी है, लेकिन पहाड़ों से भूस्खलन व कई जगह तंग सड़क व कच्चे सड़कों पर बर्फबारी में फिसलन का अधिक खतरा बना रहता है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल के 13 दवा उद्योगों के सैंपल फेल, ड्रग विभाग ने जारी किया नोटिस

किन्नौरः जनजातीय जिला किन्नौर में सर्दियों के मौसम शुरू होते ही लोगों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं. सर्दियों के साथ ही बर्फबारी और बारिश ने भी दस्तक दे दी है. ऐसे में दरकती पहाड़ियां और खतरनाक सड़कों से वाहनों को आवाजाही में खतरा बढ़ गया है.

लोगों का कहना है कि जिला किन्नौर में सड़कों की हालत ठीक नहीं है. सड़क मार्ग पर जगह-जगह पहाड़ों से खिसकने वाले चट्टानों के रुकना बंद नहीं हुआ तो भारी बर्फबारी के समय किन्नौर की सड़कों पर वाहनों की आवाजाही में रुकावटें आ सकती हैं. सर्दियों में पहाड़ों से होने वाले भूस्खलन और चट्टानों का गिरना जारी रहता है, जिससे बड़े हादसे होने की संभावना रहती है.

वीडियो.

बता दें कि जिला किन्नौर के सड़कों पर सर्दियों में पिछले कई सालों से सड़कों की दयनीय हालत और सड़कों की चौड़ाई बढ़ाने के कार्य के दौरान पहाड़ों को ब्लास्टिंग द्वारा काटा गया, जिससे अब पहाड़ों से भूस्खलन लगातार होता रहता है.

ऐसे में जिला किन्नौर में सर्दियों में खतरनाक पहाड़ी सड़कों से भूस्खलन का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि बर्फ पिघलने के बाद उससे निकला हुआ पानी से पहाड़ियां गीली हो जाती है, जिससे दिन को भूस्खलन व रात को पानी सड़कों पर जम जाने से वाहनों के फिसलने का खतरा बना रहता है.

बर्फबारी में होने वाले इन हादसों को रोकने के लिए सड़कों पर प्रशासन ने रेलिंग तो लगा दी है, लेकिन पहाड़ों से भूस्खलन व कई जगह तंग सड़क व कच्चे सड़कों पर बर्फबारी में फिसलन का अधिक खतरा बना रहता है.

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Intro:किन्नौर के दरकते पहाड़ और खतरनाक सड़के सर्दियों में दे सकते है हादसों को न्योता,भारी बर्फबारी में झमने लगी सड़के,गीली पहाडियो से भूस्खलन का हो सकता है खतरा।





जनजातीय जिला किन्नौर में आने वाली सर्दियों में बर्फबारी और बारिश ने दस्तक दे दी है लेकिन जिला किन्नौर में सर्दियों में दरकती पहाड़ी व खतरनाक सड़को पर वाहनो को आवाजाही में खतरा हो सकता है क्यों कि जिला किन्नौर में सड़कों की हालत भी ठीक नही न ही पहाड़ो से खिसकने वाले चट्टानों के रुकना बन्द हुआ है ऐसे में भारी बर्फबारी के समय किंन्नौर की सड़कों पर वाहनो की आवाजाही व पहाड़ो से होने वाले भूस्खलन व चट्टानों का गिरना जारी रहता है जिससे बड़े हादसे होने की संभावना रहती है।




Body:बता दे कि जिला किन्नौर के सड़को पर सर्दियों में पिछले कई वर्षों से सड़कों की बुरी दशा व सड़क चौड़ा करने के कार्य के दौरान पहाड़ो को ब्लास्टिंग द्वारा काटा गया जिससे अब पहाड़ो से भूस्खलन लगातार होता रहता है ऐसे में जिला किन्नौर में सर्दियो में खतरनाक पहाड़ी सड़कों व भूस्खलन का सामना करना पड़ सकता है।

क्यों कि बर्फ़ पिघलने के बाद उससे निकला हुआ पानी से पहाड़िया कच्ची हो जाती है जिससे दिन को भूस्खलन व रात को पानी सड़को पर झम जाने से वाहनो के फिसलने का खतरा बना रहता है।

बर्फबारी में होने वाले इन हादसों को रोकने के लिए सड़कों पर प्रशासन ने रेलिंग तो लगा दी है लेकिन पहाड़ो से भूस्खलन व कई जगह तंग सड़क व कच्चे सड़को पर बर्फबारी में फिसलन का अधिक खतरा बना रहता है जिससे बचने के कोई विकल्प नही दिख रहा है।



Conclusion:इन हादसों से केवल तभी बचा जा सकता है जब सभी खतरनाक सड़को व पहाड़ियों पर सुरक्षा के कोई नई तकनीकी अपनाया जा सके अन्यथा सर्दियों में किन्नौर की सड़कें व पहाड़ियो से होने वाले हादसों को रोकना नामुकिन जैसा है।
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