शिमला: पहाड़ों में किसानों के लिए खेती करना एक चुनौती भरा काम है. इसके बावजूद शिमला के किसान पॉली हाउस और ऑर्गेनिक खेती अपनाकर अपनी किस्मत बदल रहे हैं. राजधानी के खंड मशोबरा के समीप गांव में पॉली हाउस और ऑर्गेनिक खेती से किसानों को ढाई से तीन लाख रूपए तक की इनकम हो रही है.
शिमला में पहाड़ी इलाका होने के कारण खेती करना काफी मुश्किल भरा रहता है. लेकिन पॉली हाउस से किसानों की खेती का तरीका बदल रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार से उन्हें सहयोग मिले तो खेती में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.
किसान किशोर ने बताया कि वह फूलों की खेती करते हैं. अगर सही दाम मिले तो एक महीने में एक लाख से अधिक आए हो जाती है. उन्होंने बताया कि अभी कार्नेशन के फूल एक स्टीक डेढ़ रुपये की जाती है जिससे कम दाम मिल रहे हैं. उनका कहना था कि सरकार की ओर से पॉली हाउस लगाने के समय ही सहयोग मिला था लेकिन वर्तमान में किसानों के पास कोल्ड स्टोर की जरूरत है. क्योंकि जब सीजन ना हो तब उसे स्टोर किया जा सके और सीजन के समय बेचा जा सके.
वहीं एक अन्य किसान मोहन सिंह बताते हैं कि उन्होंने पॉली हाउस में सब्जी लगाने का काम शूरु किया है जो पूरी तरह ऑर्गेनिक है. उनकी फसल अच्छी होती है और वह साल में ढाई से तीन लाख रुपय कमा लेते है. जबकि पहले उन्हें इतनी इनकम नहीं होती है.
मंडी तक फसल पहुंचाने में समस्या
किसान को कहना है कि वर्तमान में किसानों की बड़ी समस्या मंडी तक फसल पहुंचना है. क्योंकि ढली में मंडी के बाहर गाड़ी पार्किंग की बड़ी समस्या रहती है जिससे किसानों को वहां परेशानी उठानी पड़ती है.
पॉली हाउस क्या है..?
पॉली हाउस खेत पर ही एक ढांचानुमा रचना होती है, जो तापमान को नियंत्रित कर उगाई जाने वाली फसल के अनुकूल माहौल बना देता है. इसके लिए खेत की जमीन पर जगह-जगह कंक्रीट की नींव पर एक स्टील के फ्रेम का ढांचा खड़ा किया जाता है. जिसे पॉलीशीट से कवर कर उस पर एक हवादार नेट अलग से लगाया जाता है. इसमें ट्यूबवेल की मदद से टपक सिंचाई होती है. इसके बाद विशेषज्ञों की राय पर फसल उगाई जाती है.
पॉली या नेट हाउस बनाने के लिए क्या-क्या जरूरी
खेती की जमीन, हाउस बनाने का ढांचा, हाउस में इस्तेमाल होने वाले उपकरण, सिंचाई के साधन, बीज, उर्वरक, प्रेजरवेटिव्स, कीटनाशक, ग्रेडिंग एंव पैंकिंग यूनिट, माल ढुलाई के लिए वैन, ऑफिस में काम आने वाले उपकरण, पॉली हाउस में इस्तेमाल होने वाली मशीन्स और मजदूर.