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अब बुक कैफे में नहीं दिखेेगे कैदी, निजी कारोबारी करेंगे संचालन - नगर निगम शिमला

वीरवार को रोटरी टाऊन हाल में नगर निगम ने  शहर में 16 दुकानों, छोटी बड़ी कार पार्किग सहित बुक कैफे के संचालन को लेकर मांगी गई निविदाएं को खोला. सबसे पहले निगम के बुक कैफे के लिए निविदाएं खोली गई. शिमला के एक फूड चेन काराबारी को बुक कैफे ठेके पर दे दिया गया.

shimla book cafe hand over to a food chainer
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Published : Sep 12, 2019, 9:51 PM IST

शिमला: राजधानी के बुक कैफे में कैदी चाय कॉफी परोसते नजर नहीं आएंगे. नगर निगम ने बुक कैफे को जेल विभाग के की जगह अब निजी हाथों में सौंप दिया है. शहर में फूड चैन चलने वाले कारोबारी अब इस कैफे को चलाएंगे. निगम ने 10 सालों के लिए बुक कैफे लीज पर दे दिया है.

वीरवार को रोटरी टाऊन हाल में नगर निगम ने शहर में 16 दुकानों, छोटी बड़ी कार पार्किग सहित बुक कैफे के संचालन को लेकर मांगी गई निविदाएं को खोला. सबसे पहले निगम के बुक कैफे के लिए निविदाएं खोली गई.

शिमला के एक फूड चेन कारोबारी को बुक कैफे ठेके पर दे दिया गया. इस कैफे से नगर निगम को सालाना 13 लाख 77 हजार रुपए की आमदनी होगी. शिमला शहर में आकर्षण का केंद्र बने बुक कैफे में अब कैदी नजर नहीं आएंगे. कैदियों के चलते यहां स्थानीय लोगों के साथ साथ पर्यटक काफी तादाद में पहुचते थे. इस कैफे में कैदियों के हाथों से बनाए गए उत्पाद भी बेचे जाते हैं.

वीडियो.

कैफे को आउटसोर्स करने के अलावा नगर निगम ने शहर की विभिन्न जगहों पर नगर निगम की खाली पड़ी 16 दुकानों को भी आवंटित कर दिया. वहीं, अब निगम की मैट्रोपोल कैंटीन से भी सालाना 2 लाख रुपए की कमाई होगी. इसके अलावा शहर में व्यवसायिक, दुकानें, कैंटीन, एटीएम स्पेस, होर्डिंग, लोहा कबाड़ के आवंटन के लिए भी टैंडर कॉल किए थे, जिसमें से निगम के पास होर्डिंग स्पेस के लिए भी आवेदन नहीं पहुंचे हैं. शहर में एमसी के पास अपनी 467 होर्डिंग साइट हैं.

शिमला: राजधानी के बुक कैफे में कैदी चाय कॉफी परोसते नजर नहीं आएंगे. नगर निगम ने बुक कैफे को जेल विभाग के की जगह अब निजी हाथों में सौंप दिया है. शहर में फूड चैन चलने वाले कारोबारी अब इस कैफे को चलाएंगे. निगम ने 10 सालों के लिए बुक कैफे लीज पर दे दिया है.

वीरवार को रोटरी टाऊन हाल में नगर निगम ने शहर में 16 दुकानों, छोटी बड़ी कार पार्किग सहित बुक कैफे के संचालन को लेकर मांगी गई निविदाएं को खोला. सबसे पहले निगम के बुक कैफे के लिए निविदाएं खोली गई.

शिमला के एक फूड चेन कारोबारी को बुक कैफे ठेके पर दे दिया गया. इस कैफे से नगर निगम को सालाना 13 लाख 77 हजार रुपए की आमदनी होगी. शिमला शहर में आकर्षण का केंद्र बने बुक कैफे में अब कैदी नजर नहीं आएंगे. कैदियों के चलते यहां स्थानीय लोगों के साथ साथ पर्यटक काफी तादाद में पहुचते थे. इस कैफे में कैदियों के हाथों से बनाए गए उत्पाद भी बेचे जाते हैं.

वीडियो.

कैफे को आउटसोर्स करने के अलावा नगर निगम ने शहर की विभिन्न जगहों पर नगर निगम की खाली पड़ी 16 दुकानों को भी आवंटित कर दिया. वहीं, अब निगम की मैट्रोपोल कैंटीन से भी सालाना 2 लाख रुपए की कमाई होगी. इसके अलावा शहर में व्यवसायिक, दुकानें, कैंटीन, एटीएम स्पेस, होर्डिंग, लोहा कबाड़ के आवंटन के लिए भी टैंडर कॉल किए थे, जिसमें से निगम के पास होर्डिंग स्पेस के लिए भी आवेदन नहीं पहुंचे हैं. शहर में एमसी के पास अपनी 467 होर्डिंग साइट हैं.

Intro:
शिमला  शहर में  के बुक कैफे में अब कैदी  चाय कॉफ़ी परोसते नजर नही  आएंगे !   नगर निगम ने बुक कैफे को जेल विभाग के हाथो से  लेकर  निजी  हाथो में सौंप दिया है  ।  शहर में फ़ूड चैन चलने वाले  कारोबारी अब  इस कैफे को चलाएगा ! निगम ने 10 सालों के लिए बुक कैफे लीज पर दे दिया है । इस कैफे से  नगर निगम ने  सालाना इससे 13 लाख 77 हजार रुपए की आमदनी होगी। वीरवार को रोटरी टाऊन हाल में  नगर निगम ने  शहर में 16 दुकानों, छोटी बड़ी कार पार्किग सहित बुक कैफे के संचालन को लेकर मांगी  गई निविदाएं को खोला। इसमें सबसे पहले  निगम के बुक कैफे के लिए निविदाएं खोली गई जिसमें शिमला के एक फूड चेन काराबारी को बुक कैफे ठेके पर दे दिया गया। ऐसे में शिमला शहर में  आकर्षण  का केंद्र बना  बुक कैफे में अब   कैदी नजर नही आयेगे !  कैदियों के  चलते यहा  स्थानीय लोगो के  साथ साथ पर्यटक  काफी तादात में यहाँ  पहुचते थे ! Body:  इस कैफे में  कैदियों द्वारा बनाए गए उत्पाद भी बेचे जाते है !   हालाँकि इस  कैफे का निर्माण  नगर निगम ने किया था और 2016 में  इसे चलने का जिम्मा  जेल विभाग को सौंप दिया था !पिछले दो बर्षो से  कैदी  यहा  इस कैफे को चला रहे थे ! लेकिन अब ये नजर नही आयेगें ! लेकिन इस कैफे का स्वरूप  नही बदला जायेगा ! इस  कैफे में लोगो को  पुस्तकें  पढ़ने और कैदियों से बने उत्पाद भी मिलेगे !

 Conclusion:16 दुकानों का भी किया आवंटन 

कैफे को आउटसोर्स करने के अलावा  नगर  निगम ने   शहर की विभिन्न जगहों पर नगर निगम दुकानों कनलोग, ढली, समरहिल, समिट्री, बालूगंज में 16 दुकानें खाली पड़ी थी जिसे आंबटित कर दिया गया है। वहीं निगम की मैट्रोपोल कैंटीन से भी सालाना 2 लाख रुपए की कमाई होगी।
घरेलू रोड साईड पार्किग व होर्डिंग के लिए नहीं MC के पास नहीं पंहुची निविदाएंशहर के रोड साईड पार्किंग खलीनी इसमें 44 वाहनों को पार्क करने की क्षमता है इसे एक वर्ष के लिए ठेके पर देने का निविदाएं मांगी गई थी इसके अलावा लिफ्ट कार्ट रोड यहां पर 15 वाहनों, रिडक़ा टूटीकंडी इसमें 80 वाहन, निगम कार पार्किंग खलीनी 15 वाहन, निगम कार पार्किंग एस.डी.ए. काम्पलैक्स 21 छोटे वाहन, टिट्ला होटल जाखू दो मंजिल 27 वाहन पार्क करने की क्षमता है इत्यादि के लिए निविदाएं मांगी थी, लेकिन इसके लिए एम.सी के पास कोई भी आवेदन नहीं पंहुचा है। इसके लिए दोबारा से टैंडर कॉल किए जाएंगे।
इसके अलावा शहर में व्यवसायिक, दुकानें, कैंटीन, ए.टी.एम स्पैस, होर्डिंग, लोहा कबाड़ इत्यादि के आबंटन के लिए भी टैंडर कॉल किए थे, जिसमें से निगम के पास होर्डिंग स्पेस के लिए भी आवेदन नहीं पहुंचे है। शहर में एम.सी. की अपनी 467 होर्डिंग साईट्स है। नगर निगम प्रत्येक होर्डिंग का विज्ञापनकर्ता से राशि वसूल करता है जिस नगर निगम छह महीने व एक साल की अवधि के लिए आबंटित करता है।
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