शिमला: राजधानी के बुक कैफे में कैदी चाय कॉफी परोसते नजर नहीं आएंगे. नगर निगम ने बुक कैफे को जेल विभाग के की जगह अब निजी हाथों में सौंप दिया है. शहर में फूड चैन चलने वाले कारोबारी अब इस कैफे को चलाएंगे. निगम ने 10 सालों के लिए बुक कैफे लीज पर दे दिया है.
वीरवार को रोटरी टाऊन हाल में नगर निगम ने शहर में 16 दुकानों, छोटी बड़ी कार पार्किग सहित बुक कैफे के संचालन को लेकर मांगी गई निविदाएं को खोला. सबसे पहले निगम के बुक कैफे के लिए निविदाएं खोली गई.
शिमला के एक फूड चेन कारोबारी को बुक कैफे ठेके पर दे दिया गया. इस कैफे से नगर निगम को सालाना 13 लाख 77 हजार रुपए की आमदनी होगी. शिमला शहर में आकर्षण का केंद्र बने बुक कैफे में अब कैदी नजर नहीं आएंगे. कैदियों के चलते यहां स्थानीय लोगों के साथ साथ पर्यटक काफी तादाद में पहुचते थे. इस कैफे में कैदियों के हाथों से बनाए गए उत्पाद भी बेचे जाते हैं.
कैफे को आउटसोर्स करने के अलावा नगर निगम ने शहर की विभिन्न जगहों पर नगर निगम की खाली पड़ी 16 दुकानों को भी आवंटित कर दिया. वहीं, अब निगम की मैट्रोपोल कैंटीन से भी सालाना 2 लाख रुपए की कमाई होगी. इसके अलावा शहर में व्यवसायिक, दुकानें, कैंटीन, एटीएम स्पेस, होर्डिंग, लोहा कबाड़ के आवंटन के लिए भी टैंडर कॉल किए थे, जिसमें से निगम के पास होर्डिंग स्पेस के लिए भी आवेदन नहीं पहुंचे हैं. शहर में एमसी के पास अपनी 467 होर्डिंग साइट हैं.