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हिमाचल में कोरोना महामारी में सात बच्चे हुए अनाथ, सरकार करेगी देखभाल - Chief Minister Jairam Thakur

कोरोना महामारी की वजह से हिमाचल में सात बच्चे अनाथ हुए हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि ऐसे बच्चों की देखभाल के लिए फौरन कार्रवाई की जाए और उन्हें 18 वर्ष की आयु तक 25 सौ रुपये प्रतिमाह भत्ता प्रदान किया जाए.

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Published : May 18, 2021, 10:07 PM IST

शिमला: हिमाचल में कोविड महामारी से सात बच्चे अनाथ हुए हैं, जो अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं. 18 वर्ष की आयु तक इन बच्चों की देखरेख के लिए प्रदेश सरकार 2500 रुपये प्रतिमाह दे रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जो बच्चे शिशु देखभाल केन्द्रों में हैं और कोविड महामारी के दौरान स्कूल बंद होने के कारण, जिन्हें अस्थायी रूप से उनके परिवारों के पास भेज दिया गया है, उनको ऑनलाइन शिक्षा जारी रखने में सक्षम बनाने के लिए 2000 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत वर्तमान में 598 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अब तक कोविड महामारी के सात बच्चे अनाथ हुए हैं, जो अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने उनके अभिभावकों से सम्पर्क किया है, लेकिन उन्होंने इन बच्चों को शिशु देखभाल केन्द्र भेजने से मना कर दिया है, इसलिए इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि ऐसे बच्चों को पालक देखभाल में रखने के लिए तुरन्त कार्रवाई शुरू करें और उन्हें 18 वर्ष आयु तक 2500 रुपये प्रतिमाह भत्ता प्रदान किया जाए.

बच्चों की देखभाल करेगी सरकार

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कोरोना महामारी से न केवल वैश्विक अर्थ-व्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि बहुत से बच्चे अनाथ हुए हैं. प्रदेश सरकार अनाथ बच्चों के अलावा अन्य बच्चे, जो संकट में हैं, सभी की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है. 18 वर्ष की आयु तक के ऐसे बच्चे, जिन्होंने कोविड महामारी के कारण माता-पिता को खो दिया है या कोविड से पीड़ित हैं, उन्हें शिशु देखभाल केन्द्रों में आश्रय और देखभाल प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी शिशु देखभाल केन्द्रों में ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर और थर्मल स्कैनर आदि उपलब्ध कराए गए हैं. उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों को टीकाकरण के उद्देश्य से अग्रणी पंक्ति का कार्यकर्ता घोषित किया गया है.

प्रदेश में ऐसे बच्चों के लिए चल रही कई योजनाएं

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले से ही बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए राज्य में कई योजनाएं क्रियान्वित की हैं. उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा आश्रय मातृ संबल योजना के अन्तर्गत विधवाओं को दो बच्चों के भरण-पोषण के लिए 18 वर्ष की आयु तक प्रति वर्ष 6000 रुपये प्रति बच्चे की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है. उन्होंने कहा कि जिन परिवारों की वार्षिक आय 35000 रुपये से अधिक नहीं है, उन्हें भी इस योजना के अन्तर्गत लाया गया है.

ये भी पढ़ें: कोरोना के कठिन समय में देवभूमि को मिली 15 देशों से मदद, दिन-रात कार्य में जुटा स्वास्थ्य निदेशालय

शिमला: हिमाचल में कोविड महामारी से सात बच्चे अनाथ हुए हैं, जो अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं. 18 वर्ष की आयु तक इन बच्चों की देखरेख के लिए प्रदेश सरकार 2500 रुपये प्रतिमाह दे रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जो बच्चे शिशु देखभाल केन्द्रों में हैं और कोविड महामारी के दौरान स्कूल बंद होने के कारण, जिन्हें अस्थायी रूप से उनके परिवारों के पास भेज दिया गया है, उनको ऑनलाइन शिक्षा जारी रखने में सक्षम बनाने के लिए 2000 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत वर्तमान में 598 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में अब तक कोविड महामारी के सात बच्चे अनाथ हुए हैं, जो अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने उनके अभिभावकों से सम्पर्क किया है, लेकिन उन्होंने इन बच्चों को शिशु देखभाल केन्द्र भेजने से मना कर दिया है, इसलिए इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि ऐसे बच्चों को पालक देखभाल में रखने के लिए तुरन्त कार्रवाई शुरू करें और उन्हें 18 वर्ष आयु तक 2500 रुपये प्रतिमाह भत्ता प्रदान किया जाए.

बच्चों की देखभाल करेगी सरकार

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कोरोना महामारी से न केवल वैश्विक अर्थ-व्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि बहुत से बच्चे अनाथ हुए हैं. प्रदेश सरकार अनाथ बच्चों के अलावा अन्य बच्चे, जो संकट में हैं, सभी की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है. 18 वर्ष की आयु तक के ऐसे बच्चे, जिन्होंने कोविड महामारी के कारण माता-पिता को खो दिया है या कोविड से पीड़ित हैं, उन्हें शिशु देखभाल केन्द्रों में आश्रय और देखभाल प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी शिशु देखभाल केन्द्रों में ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर और थर्मल स्कैनर आदि उपलब्ध कराए गए हैं. उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों को टीकाकरण के उद्देश्य से अग्रणी पंक्ति का कार्यकर्ता घोषित किया गया है.

प्रदेश में ऐसे बच्चों के लिए चल रही कई योजनाएं

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले से ही बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए राज्य में कई योजनाएं क्रियान्वित की हैं. उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा आश्रय मातृ संबल योजना के अन्तर्गत विधवाओं को दो बच्चों के भरण-पोषण के लिए 18 वर्ष की आयु तक प्रति वर्ष 6000 रुपये प्रति बच्चे की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है. उन्होंने कहा कि जिन परिवारों की वार्षिक आय 35000 रुपये से अधिक नहीं है, उन्हें भी इस योजना के अन्तर्गत लाया गया है.

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