शिमला: कैग रिपोर्ट में पशुपालन विभाग में सामने आए घोटालों पर पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने जांच की बात कही है. वीरेंद्र कंवर ने कहा कि इस बात का पता लगाया जाएगा कि सरकारी प्राप्तियों और लाभार्थी अंश को रोकड़ बही में क्यों दर्ज नहीं किया गया और क्यों आखिर सरकारी खाते में जमा नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
दरअसल पशुपालन विभाग में कई अनियमितताएं सामने आई हैं. कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विभाग की लापरवाही से हिमाचल में भी चारा घोटाले जैसा गबन हुआ है. पशुपालन विभाग सहित कई विभागों में वित्तीय अनियमितताएं कैग की रिपोर्ट में सामने आई. विधानसभा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को कैग रिपोर्ट पटल पर रखी. रिपोर्ट के अनुसार पशुपालन विभाग में कुल 99.71 लाख का गबन हुआ. पशुपालन विभाग ने सरकारी प्राप्तियों और लाभार्थी अंश को न तो रोकड़ बही में दर्ज किया गया और न ही सरकारी खाते में जमा किया गया. इसके अलावा पोल्ट्री फार्म नाहन में चूजों की बिक्री से 10.61 लाख अधीक्षक रैंक के अधिकारी की तरफ से गबन की बात सामने आई. चारा योजना के तहत 7.20 लाख के गबन का खुलासा हुआ है. साथ ही कृषक बकरी पालन योजना में लाभार्थी के अंश के रूप में 7.20 लाख का घोटाला सामने आया.
इसके अलावा पोल्ट्री फार्म नाहन में चूजों की बिक्री से 10.61 लाख का राशि की आय का अधीक्षक ने गबन किया. पशु आहार योजना के तहत 7.20 लाख का गबन किया गया है. कृषक बकरी पालन योजना में लाभार्थी के अंश के रूप में 7.20 लाख का घोटाला हुआ है. पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सारी अनियमितताओं की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. मंत्री ने कहा कि जयराम सरकार की करप्शन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति है. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं, विपक्ष ने भी सरकार को निशाने पर लिया है. कांग्रेस नेता सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हर विभाग में धांधली की बातें कैग में सामने आई हैं. सरकार को जांच करनी चाहिए.
वहीं, कैग की रिपोर्ट में शहरी निकायों में कूड़े को इकट्ठा करने एकत्र करने, ढुलाई और निपटारे पर 19.06 करोड़ रुपये की अनियमितताएं सामने आई. रिपोर्ट में सामने आया है कि कूड़ा ले जाने वाले 73 फीसदी वाहन ढंके नहीं थे. गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग गाड़ियों में ले जाना तय किया गया था, लेकिन इसके लिए शहरी निकायों के पास पर्याप्त वाहन ही नहीं थे. रिपोर्ट में सामने आया है कि उद्योगों के लिए भी कूड़ा दिया जाना था, लेकिन यह योजना भी सिरे नहीं चढ़ पाई. हालांकि, इसमें थोड़ा सा कार्य जरूर हुआ है.
प्रदेश के शहरी निकायों में बंदरों और आवारा पशुओं द्वारा डस्टबिन से कूड़ा बिखेरने की शिकायतें नियमित तौर पर सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया था कि शहरी निकायों में अंडरग्राउंड डस्टबिन लगाए जाएंगे, लेकिन यह योजना भी घोटाले की जद में आ गई. शहरी निकाय में अंडरग्राउंड में सही तरीके से कूड़ा एकत्र नहीं हुआ. इसमे भी अनियमितताएं मिली. इसके अलावा कूड़ा एकत्र का कार्य भी ठीक से नहीं हुआ हालात यह रहे कि 54 शहरी निकाय ठोस कचरे का सही तरीके से निपटारा करने में असफल रही. 43 शहरी निकायों में बायो डिग्रेबल कचरा प्रसंस्करण स्थापित नहीं किए गए, जबकि 19 शहरी निकायों ने घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को इधर-उधर फेंका गया.
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