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पत्रकार विनोद दुआ को SC से राहत, दंडात्मक कार्रवाई पर 15 जुलाई तक बढ़ी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ हिमाचल प्रदेश में दर्ज राजद्रोह के मामले में उनके खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से 15 जुलाई तक सुरक्षा प्रदान की है. अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि दुआ को जांच के लिए पूरक प्रश्नावली का जवाब देने की आवश्यकता नहीं है. अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सील बंद लिफाफे में जांच की पूरी जानकारी जमा करने को कहा है.

SC Orders on Vinod dua
SC Orders on Vinod dua
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Published : Jul 7, 2020, 8:42 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के ठियोग में दर्ज राजद्रोह के मामले में उनके खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से 15 जुलाई तक सुरक्षा प्रदान की है.

अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि दुआ को जांच के लिए पूरक प्रश्नावली का जवाब देने की आवश्यकता नहीं है. न्यायमूर्ति उदय यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई सुनवाई में हिमाचल प्रदेश पुलिस को मामले में दुआ को गिरफ्तार करने से रोक दिया.

पीठ ने अगले बुधवार को पत्रकार की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है. गौर है कि दुआ के खिलाफ यूट्यूब कार्यक्रम को लेकर शिमला जिले के कुमारसैन पुलिस स्टेशन में 6 मई को बीजेपी नेता अजय श्याम ने एफआईआर दर्ज करवाई थी.

अजय श्याम द्वारा विनोद दुआ के खिलाफ देशद्रोह, मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने और सार्वजनिक शरारत करने जैसे आरोपों में भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत एफआई दर्ज की गई थी और पत्रकार को जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था.

इसके बाद विनोद दुआ गिरफ्तारी से बचने और एफआईआर को खत्म कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे.14 जून, रविवार को हुई विशेष सुनवाई में अदालत ने एफआईआर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन दुआ को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करते हुए घर से ही जांच में सहयोग करने को कहा था.

मंगलवार को हुई सुनवाई में दुआ की ओर से पेश हुए उनके वकील विकास सिंह ने अदालत को सूचित करते हुए कहा कि दुआ ने पुलिस की ओर से पुछे गए सावलों का जवाब दिया है, लेकिन अब पुलिस की ओर से एक और प्रश्नावली भेजी गई है, जोकि अंतहीन है, यह उत्पीड़न के अलावा और कुछ नहीं है.

सिंह ने तर्क देते हुए कहा, मुझे बोलने की स्वतंत्रता है और सरकार की आलोचना करने का अधिकार भी है. पुलिस ने हमें शिकायत का विवरण देने से भी मना कर दिया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. जब वे कुछ नहीं कर सके, तो उन्होंने आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू कर दिया.

इस दौरान पीठ ने कहा कि वे आरोपों के बारे में जानना चाहते हैं. अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सील बंद लिफाफे में जांच की पूरी जानकारी जमा करने को कहा है.

पीठ ने कहा कि वे मामले की गोपनियता चाहते हैं और इसलिए एक सीलबंद लिफाफे में जांच रिकॉर्ड जमा करने की मांग करते हैं और सुनवाई की अगली तारीख में वे मामले का निपटारा करेंगे. मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के ठियोग में दर्ज राजद्रोह के मामले में उनके खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई से 15 जुलाई तक सुरक्षा प्रदान की है.

अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि दुआ को जांच के लिए पूरक प्रश्नावली का जवाब देने की आवश्यकता नहीं है. न्यायमूर्ति उदय यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई सुनवाई में हिमाचल प्रदेश पुलिस को मामले में दुआ को गिरफ्तार करने से रोक दिया.

पीठ ने अगले बुधवार को पत्रकार की याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है. गौर है कि दुआ के खिलाफ यूट्यूब कार्यक्रम को लेकर शिमला जिले के कुमारसैन पुलिस स्टेशन में 6 मई को बीजेपी नेता अजय श्याम ने एफआईआर दर्ज करवाई थी.

अजय श्याम द्वारा विनोद दुआ के खिलाफ देशद्रोह, मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने और सार्वजनिक शरारत करने जैसे आरोपों में भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत एफआई दर्ज की गई थी और पत्रकार को जांच में शामिल होने के लिए कहा गया था.

इसके बाद विनोद दुआ गिरफ्तारी से बचने और एफआईआर को खत्म कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे.14 जून, रविवार को हुई विशेष सुनवाई में अदालत ने एफआईआर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन दुआ को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करते हुए घर से ही जांच में सहयोग करने को कहा था.

मंगलवार को हुई सुनवाई में दुआ की ओर से पेश हुए उनके वकील विकास सिंह ने अदालत को सूचित करते हुए कहा कि दुआ ने पुलिस की ओर से पुछे गए सावलों का जवाब दिया है, लेकिन अब पुलिस की ओर से एक और प्रश्नावली भेजी गई है, जोकि अंतहीन है, यह उत्पीड़न के अलावा और कुछ नहीं है.

सिंह ने तर्क देते हुए कहा, मुझे बोलने की स्वतंत्रता है और सरकार की आलोचना करने का अधिकार भी है. पुलिस ने हमें शिकायत का विवरण देने से भी मना कर दिया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. जब वे कुछ नहीं कर सके, तो उन्होंने आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू कर दिया.

इस दौरान पीठ ने कहा कि वे आरोपों के बारे में जानना चाहते हैं. अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सील बंद लिफाफे में जांच की पूरी जानकारी जमा करने को कहा है.

पीठ ने कहा कि वे मामले की गोपनियता चाहते हैं और इसलिए एक सीलबंद लिफाफे में जांच रिकॉर्ड जमा करने की मांग करते हैं और सुनवाई की अगली तारीख में वे मामले का निपटारा करेंगे. मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी.

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