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जिला परिषद कर्मचारियों को मर्ज करने की कवायद शुरू, कमेटी करेगी पड़ोसी राज्यों की पॉलिसी का अध्ययन

जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को विभाग के तहत लाने के लिए एक कमेटी का गठन किया (Demands of zila parishad employees in Himachal) जाएगा. ये कमेटी उन राज्यों का अध्ययन करेगी जिनमें जिला परिषद कर्मचारियों को ग्रामीण विकास विभाग के तहत लाया गया है. इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश सरकार भी उसी तर्ज पर इन कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग में मर्ज करने पर विचार करेगी. पढ़ें पूरी खबर...

Rural Development Minister Virendra Kanwar
Rural Development Minister Virendra Kanwar
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Published : Jul 6, 2022, 7:31 AM IST

शिमला: जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को विभाग के तहत लाने के लिए एक कमेटी का गठन किया (Demands of zila parishad employees in Himachal) जाएगा. इसमें पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग के आला अधिकारियों को शामिल किया जाएगा. यह कमेटी उन राज्यों का अध्ययन करेगी जिनमें जिला परिषद कर्मचारियों को ग्रामीण विकास विभाग के तहत लाया गया है. इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश सरकार भी उसी तर्ज पर इन कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग में मर्ज करने पर विचार करेगी.

पिछले करीब 10 दिनों से हड़ताल पर बैठे जिला परिषद कैडर के 4,800 कर्मचारियों की मांगों पर बोलते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर (Rural Development Minister Virendra Kanwar) ने कहा कि इन कर्मचारियों की मांगों को प्रदेश सरकार सहानुभूति से हल करने पर विश्वास रखती है. कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी मुलाकात की थी और आज एक प्रतिनिधिमंडल ने ग्रामीण विकास मंत्री से प्रदेश सचिवालय में मुलाकात की.

वीरेंद्र कंवर ने कहा कि जहां तक जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों की नए वेतन आयोग और सैलरी से संबंधित अन्य मांगे हैं. उन पर प्रदेश सरकार जल्द ही निर्णय कर लेगी. इसके अलावा अन्य छोटी मांगों पर भी सरकार के निर्णय लेगी. लेकिन जहां तक जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग में मर्ज करने के बाद है, इस पर सरकार ने एक कमेटी के गठन का फैसला लिया है. इस कमेटी में कुल 5 सदस्य शामिल किए जाएंगे. जिनमें ग्रामीणों विकास और पंचायती राज सहित अन्य विभागों के अधिकारी भी शामिल होंगे.

उन्होंने कहा कि यह कमेटी उन राज्यों में पॉलिसी का अध्ययन करेगी. जिनमें जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को विभागों में मर्ज किया गया है. इसके बाद प्रदेश सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर ही हिमाचल प्रदेश में भी कोई निर्णय ले पाने में समर्थ होगी. बता दें कि 4,800 जिला परिषद कर्मचारी करीब 10 दिन से हड़ताल पर डटे हैं. इनकी पेन डाउन स्ट्राइक की वजह से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पंचायत दफ्तर में ग्रामीणों के कोई भी काम नहीं हो पा रहे हैं. इस बीच पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने इनकी हड़ताल को अवैध बताया है. उन्होंने कहा कि जिला परिषद कर्मचारी बिना नोटिस के हड़ताल पर चले गए हैं.

जिला परिषद कैडर कर्मचारी महासंघ (Zilla Parishad Cadre Employees Federation) के महासचिव दिलीप शर्मा ने बताया कि उन्होंने सरकार को एक महीने पहले ही मांग पूरी नहीं होने पर पड़ताल को लेकर नोटिस दे रखा था. उन्होंने बताया कि जब तक कर्मचारियों को विभाग में मर्ज नहीं किया जाता, तब तक ये हड़ताल जारी रहेगी. जिला परिषद अधिकारियों व कर्मचारियों की हड़ताल से सभी विकास कार्य ठप्प हो गए हैं. ग्रामीणों को जन्म, मृत्यु व बीपीएल प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहे हैं. प्रमाण पत्र नहीं मिलने से युवा युवा विभिन्न पदों के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. शादी और नए जन्मे बच्चों का पंजीकरण भी नहीं हो पा रहा है.

जिला परिषद कर्मियों की एक ही मांग है. वे पंचायती राज या ग्रामीण विकास विभाग में मर्ज चाहते हैं, क्योंकि अभी जिला परिषद कैडर में होने की वजह से इन्हें सरकारी विभागों के कर्मचारियों के समान विभिन्न वित्तीय लाभ नहीं मिल पा रहे हैं. ज्यादातर कर्मचारी बीते 22 सालों से तकनीकी सहायक, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, पंचायत सचिव पद पर सेवाएं दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें: सत्ता में आते ही कांग्रेस जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों की मांग को करेगी पूरा: रि. कर्नल धनीराम शांडिल

शिमला: जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को विभाग के तहत लाने के लिए एक कमेटी का गठन किया (Demands of zila parishad employees in Himachal) जाएगा. इसमें पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग के आला अधिकारियों को शामिल किया जाएगा. यह कमेटी उन राज्यों का अध्ययन करेगी जिनमें जिला परिषद कर्मचारियों को ग्रामीण विकास विभाग के तहत लाया गया है. इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश सरकार भी उसी तर्ज पर इन कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग में मर्ज करने पर विचार करेगी.

पिछले करीब 10 दिनों से हड़ताल पर बैठे जिला परिषद कैडर के 4,800 कर्मचारियों की मांगों पर बोलते हुए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर (Rural Development Minister Virendra Kanwar) ने कहा कि इन कर्मचारियों की मांगों को प्रदेश सरकार सहानुभूति से हल करने पर विश्वास रखती है. कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी मुलाकात की थी और आज एक प्रतिनिधिमंडल ने ग्रामीण विकास मंत्री से प्रदेश सचिवालय में मुलाकात की.

वीरेंद्र कंवर ने कहा कि जहां तक जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों की नए वेतन आयोग और सैलरी से संबंधित अन्य मांगे हैं. उन पर प्रदेश सरकार जल्द ही निर्णय कर लेगी. इसके अलावा अन्य छोटी मांगों पर भी सरकार के निर्णय लेगी. लेकिन जहां तक जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को पंचायती राज विभाग में मर्ज करने के बाद है, इस पर सरकार ने एक कमेटी के गठन का फैसला लिया है. इस कमेटी में कुल 5 सदस्य शामिल किए जाएंगे. जिनमें ग्रामीणों विकास और पंचायती राज सहित अन्य विभागों के अधिकारी भी शामिल होंगे.

उन्होंने कहा कि यह कमेटी उन राज्यों में पॉलिसी का अध्ययन करेगी. जिनमें जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों को विभागों में मर्ज किया गया है. इसके बाद प्रदेश सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर ही हिमाचल प्रदेश में भी कोई निर्णय ले पाने में समर्थ होगी. बता दें कि 4,800 जिला परिषद कर्मचारी करीब 10 दिन से हड़ताल पर डटे हैं. इनकी पेन डाउन स्ट्राइक की वजह से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पंचायत दफ्तर में ग्रामीणों के कोई भी काम नहीं हो पा रहे हैं. इस बीच पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने इनकी हड़ताल को अवैध बताया है. उन्होंने कहा कि जिला परिषद कर्मचारी बिना नोटिस के हड़ताल पर चले गए हैं.

जिला परिषद कैडर कर्मचारी महासंघ (Zilla Parishad Cadre Employees Federation) के महासचिव दिलीप शर्मा ने बताया कि उन्होंने सरकार को एक महीने पहले ही मांग पूरी नहीं होने पर पड़ताल को लेकर नोटिस दे रखा था. उन्होंने बताया कि जब तक कर्मचारियों को विभाग में मर्ज नहीं किया जाता, तब तक ये हड़ताल जारी रहेगी. जिला परिषद अधिकारियों व कर्मचारियों की हड़ताल से सभी विकास कार्य ठप्प हो गए हैं. ग्रामीणों को जन्म, मृत्यु व बीपीएल प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहे हैं. प्रमाण पत्र नहीं मिलने से युवा युवा विभिन्न पदों के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. शादी और नए जन्मे बच्चों का पंजीकरण भी नहीं हो पा रहा है.

जिला परिषद कर्मियों की एक ही मांग है. वे पंचायती राज या ग्रामीण विकास विभाग में मर्ज चाहते हैं, क्योंकि अभी जिला परिषद कैडर में होने की वजह से इन्हें सरकारी विभागों के कर्मचारियों के समान विभिन्न वित्तीय लाभ नहीं मिल पा रहे हैं. ज्यादातर कर्मचारी बीते 22 सालों से तकनीकी सहायक, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, पंचायत सचिव पद पर सेवाएं दे रहे हैं.

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