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बिना पैसा खर्च किए दूर करें सभी वास्तुदोष, जानें सरल उपाय...

घर में वास्‍तुदोष से बनते काम बिगड़ने लगते हैं. कड़ी मेहनत के बाद भी तरक्‍की नहीं मिलती. घर के लोगों की सेहत भी ठीक नहीं रहती है. कुल मिलाकर हर तरफ से नुकसान ही नुकसान झेलना पड़ता है. आज हम वास्‍तुदोष दूर करने के कुछ ऐसे तरीके बताएंगे, जिन्हें अपनाने के लिए न तो घर में किसी तरह की तोड़-फोड़ करनी पड़ती है और न ही पैसे खर्च करने पड़ते हैं. ये उपाय इतने ताकतवर हैं कि सारे वास्‍तुदोष दूर कर देते हैं.

REMEDIES TO REMOVE VASTU DEFECTS
वास्तु दोष दूर करने के उपाय
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Published : Feb 10, 2022, 8:38 AM IST

नई दिल्‍ली: लोग जब अपना घर बनवाते हैं तो काफी कोशिशों के बाद भी कोई न कोई कमी रह जाती है और यह कमियां वास्तु दोष की कारण बनती है. इन कमियों की वजह से घर में सकारात्मक ऊर्जा के स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा वास करने लगती है. अब चूंकि घर को तोड़कर फिर से बनवा नहीं सकते हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तुशास्त्र में हमारे घर के निर्माण में होने वाली गड़बड़ियों को वास्तु दोष कहा जाता है. वास्तु दोष हमारे जीवन में का बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं. घर में या घर के बाहर कई तरह के वास्तु दोष पाए जाते हैं.

वास्तु दोष से कई तरह के रोग और शोक उत्पन्न होते हैं. ऐसे में यदि आपका घर तीकोना है, कॉर्नर का है या फिर चौराहे हैं, इसके आलाव दक्षिण दिशा पर भी है. उन वास्तु दोषों को दूर करने के लिए घर के निर्माण में बड़े बदलाव करने पड़ते है. लेकिन आज हम आपको वास्तु के कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं, जिनमें आप घर में बिना किसी तोड़-फोड़ किए आप अपने घर के वास्तु दोष को आसानी से दूर कर सकते हैं.

पंचतत्वों का वास्तु से गहरा संबंध : घर की उत्तर-पूर्व कोने को ईशान कोण कहा जाता है जो कि जल तत्व को दर्शाती है. उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण कहा जाता है जो कि वायु तत्व को दर्शाती है. दक्षिण-पूर्व दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है जो कि अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती है. दक्षिण-पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण कहा जाता है जो कि पृथ्वी तत्व को दर्शाती है. घर के बीचो बीच का जो स्थान होता है, उसे ब्रह्म स्थान कहा जाता है जो कि आकाश तत्व माना जाता है. इस प्रकार से हमारा पूरा घर पंचतत्वों से मिलकर बना है और इन्हीं पंचतत्वों से मिलकर शरीर भी बना है. बेहतर और खुशहाल जीवन जीने के लिए इन सभी दिशाओं का दोष रहित होना सबसे जरूरी है. इन दिशाओं के दोष को दूर करने के लिए जानते हैं सरल से उपाय.

स्वस्तिक: वास्तु विज्ञान के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से नौ अंगुल लंबा और नौ अंगुल चौड़ा स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं. ऐसा करने से चारों ओर से आ रही नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है तथा वास्तुदोष भी हटता है. हर मंगलवार को यह उपाय करने से मंगल ग्रह से जुड़े दोष भी समाप्त होते हैं.

रसोई में लगाएं बल्ब: वास्तु विज्ञान में रसोई घर को घर की सुख समृद्धि हेतु अतिविशिष्ट माना गया है. रसोई के लिए वास्तु के नियमों के अनुसार, आग्नेय कोण यानी कि दक्षिण-पूर्व दिशा सबसे उचित स्थान मानी गई है. यदि रसोईघर गलत स्थान पर है तो अग्निकोण में बल्ब लगा दें एवं हर रोज ध्यान से उस बल्ब को जलाएं. इससे आपके घर का वास्तुदोष दूर हो जाएगा.

घोड़े की नाल : वास्तु के अनुसार घर में घोड़े की नाल टांगना बेहद शुभ माना जाता है. काले घोड़े की नाल मुख्य द्वार पर लगाने से सुरक्षा एवं सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. घोड़े की नाल अंग्रेजी के अक्षर 'U' के आकार की होती है. ध्यान रहे, घोड़े की नाल अपने आप गिरी हुई होनी चाहिए या फिर आपके सामने घोड़े के पैर से उतारी हुई होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: Horoscope Today 10 February 2022: जन्म तारीख के अनुसार जानिए कैसा रहेगा आपका द‍िन

कलश की स्थापना : वास्तु के अनुसार यदि घर में वास्तु दोष है तो घर के उत्तर-पूर्व कोने में कलश रखना सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है. ध्यान रहे कि कलश कहीं से भी खंडित नहीं होना चाहिए. हिंदू मान्यताओं के अनुसार कलश को भगवान गणेशजी का रूप माना जाता है. गणेशजी को सुखकर्ता और विघ्नहर्ता माना गया है. घर में कलश की स्थापना के बाद सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण होते हैं.

पूजा पाठ : कहते हैं कि जिस घर में पूजा पाठ और कीर्तन भजन रोजाना होते हैं, उस घर में मां लक्ष्मी स्वयं आकर वास करती हैं. रोजाना पूजा पाठ करने से आपके घर से वास्तु दोष का भी निवारण होता है. अगर आप रोजाना भजन और कीर्तन करने का वक्त नहीं निकाल सकते हैं तो कम से कम गायत्री मंत्र और शांति पाठ रोजाना करें.

शयन की दिशा : वास्तु के अनुसार यदि आप पश्चिम की ओर मुंह करके सोते हैं तो आपको बुरे सपने आ सकते हैं तथा पेट से संबंधित रोग हो सकते हैं. नींद नहीं आने पर व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा रहता है और उसके शरीर में आलस्य बना रहता है. ऐसा होने से घर में नेगेटिव एनर्जी का प्रवाह बढ़ता है, तो आपको दक्षिण दिशा में मुख करके सोना चाहिए. इससे आपके स्वभाव में बदलाव होगा तथा अनिद्रा की स्थिति में भी सुधार होगा.

कूड़ा-कचरा रखने की सही दिशा : घर के उत्तर-पूर्व कोने में कभी भी कचरा एकत्र न होने दें और न ही इधर कोई भी भारी मशीन रखें. इससे आपके घर में वास्तु दोष लगता है. साथ ही आप अपने वंश की उन्नति के लिए मुख्य द्वार पर अशोक का वृक्ष दोनों और लगाएं. इससे आपके घर का वास्तु दोष दूर होगा साथ ही नकारात्मक ऊर्जा कभी घर में प्रवेश नहीं करेगी.

शौचालय : वैसे तो घर में शौचालय बनवाने के लिए सबसे उचित दिशा दक्षिण-पश्चिम मानी जाती है. लेकिन अगर घर के पूर्व में आपको शौचालय बनवाना पड़ गया हो और कोई विकल्प बाकी न हो तो आप टॉयलेट सीट को इस प्रकार लगवाएं कि उस पर बैठते समय पश्चिम अथवा दक्षिण की ओर मुंह करके बैठ सकें. इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा की जगह सकारात्मक ऊर्जा ले लेगी एवं आपके सारे काम बनने लगेंगे.

नई दिल्‍ली: लोग जब अपना घर बनवाते हैं तो काफी कोशिशों के बाद भी कोई न कोई कमी रह जाती है और यह कमियां वास्तु दोष की कारण बनती है. इन कमियों की वजह से घर में सकारात्मक ऊर्जा के स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा वास करने लगती है. अब चूंकि घर को तोड़कर फिर से बनवा नहीं सकते हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तुशास्त्र में हमारे घर के निर्माण में होने वाली गड़बड़ियों को वास्तु दोष कहा जाता है. वास्तु दोष हमारे जीवन में का बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं. घर में या घर के बाहर कई तरह के वास्तु दोष पाए जाते हैं.

वास्तु दोष से कई तरह के रोग और शोक उत्पन्न होते हैं. ऐसे में यदि आपका घर तीकोना है, कॉर्नर का है या फिर चौराहे हैं, इसके आलाव दक्षिण दिशा पर भी है. उन वास्तु दोषों को दूर करने के लिए घर के निर्माण में बड़े बदलाव करने पड़ते है. लेकिन आज हम आपको वास्तु के कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं, जिनमें आप घर में बिना किसी तोड़-फोड़ किए आप अपने घर के वास्तु दोष को आसानी से दूर कर सकते हैं.

पंचतत्वों का वास्तु से गहरा संबंध : घर की उत्तर-पूर्व कोने को ईशान कोण कहा जाता है जो कि जल तत्व को दर्शाती है. उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण कहा जाता है जो कि वायु तत्व को दर्शाती है. दक्षिण-पूर्व दिशा को आग्नेय कोण कहा जाता है जो कि अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती है. दक्षिण-पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण कहा जाता है जो कि पृथ्वी तत्व को दर्शाती है. घर के बीचो बीच का जो स्थान होता है, उसे ब्रह्म स्थान कहा जाता है जो कि आकाश तत्व माना जाता है. इस प्रकार से हमारा पूरा घर पंचतत्वों से मिलकर बना है और इन्हीं पंचतत्वों से मिलकर शरीर भी बना है. बेहतर और खुशहाल जीवन जीने के लिए इन सभी दिशाओं का दोष रहित होना सबसे जरूरी है. इन दिशाओं के दोष को दूर करने के लिए जानते हैं सरल से उपाय.

स्वस्तिक: वास्तु विज्ञान के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से नौ अंगुल लंबा और नौ अंगुल चौड़ा स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं. ऐसा करने से चारों ओर से आ रही नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है तथा वास्तुदोष भी हटता है. हर मंगलवार को यह उपाय करने से मंगल ग्रह से जुड़े दोष भी समाप्त होते हैं.

रसोई में लगाएं बल्ब: वास्तु विज्ञान में रसोई घर को घर की सुख समृद्धि हेतु अतिविशिष्ट माना गया है. रसोई के लिए वास्तु के नियमों के अनुसार, आग्नेय कोण यानी कि दक्षिण-पूर्व दिशा सबसे उचित स्थान मानी गई है. यदि रसोईघर गलत स्थान पर है तो अग्निकोण में बल्ब लगा दें एवं हर रोज ध्यान से उस बल्ब को जलाएं. इससे आपके घर का वास्तुदोष दूर हो जाएगा.

घोड़े की नाल : वास्तु के अनुसार घर में घोड़े की नाल टांगना बेहद शुभ माना जाता है. काले घोड़े की नाल मुख्य द्वार पर लगाने से सुरक्षा एवं सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. घोड़े की नाल अंग्रेजी के अक्षर 'U' के आकार की होती है. ध्यान रहे, घोड़े की नाल अपने आप गिरी हुई होनी चाहिए या फिर आपके सामने घोड़े के पैर से उतारी हुई होनी चाहिए.

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कलश की स्थापना : वास्तु के अनुसार यदि घर में वास्तु दोष है तो घर के उत्तर-पूर्व कोने में कलश रखना सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है. ध्यान रहे कि कलश कहीं से भी खंडित नहीं होना चाहिए. हिंदू मान्यताओं के अनुसार कलश को भगवान गणेशजी का रूप माना जाता है. गणेशजी को सुखकर्ता और विघ्नहर्ता माना गया है. घर में कलश की स्थापना के बाद सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण होते हैं.

पूजा पाठ : कहते हैं कि जिस घर में पूजा पाठ और कीर्तन भजन रोजाना होते हैं, उस घर में मां लक्ष्मी स्वयं आकर वास करती हैं. रोजाना पूजा पाठ करने से आपके घर से वास्तु दोष का भी निवारण होता है. अगर आप रोजाना भजन और कीर्तन करने का वक्त नहीं निकाल सकते हैं तो कम से कम गायत्री मंत्र और शांति पाठ रोजाना करें.

शयन की दिशा : वास्तु के अनुसार यदि आप पश्चिम की ओर मुंह करके सोते हैं तो आपको बुरे सपने आ सकते हैं तथा पेट से संबंधित रोग हो सकते हैं. नींद नहीं आने पर व्यक्ति का स्वभाव चिड़चिड़ा रहता है और उसके शरीर में आलस्य बना रहता है. ऐसा होने से घर में नेगेटिव एनर्जी का प्रवाह बढ़ता है, तो आपको दक्षिण दिशा में मुख करके सोना चाहिए. इससे आपके स्वभाव में बदलाव होगा तथा अनिद्रा की स्थिति में भी सुधार होगा.

कूड़ा-कचरा रखने की सही दिशा : घर के उत्तर-पूर्व कोने में कभी भी कचरा एकत्र न होने दें और न ही इधर कोई भी भारी मशीन रखें. इससे आपके घर में वास्तु दोष लगता है. साथ ही आप अपने वंश की उन्नति के लिए मुख्य द्वार पर अशोक का वृक्ष दोनों और लगाएं. इससे आपके घर का वास्तु दोष दूर होगा साथ ही नकारात्मक ऊर्जा कभी घर में प्रवेश नहीं करेगी.

शौचालय : वैसे तो घर में शौचालय बनवाने के लिए सबसे उचित दिशा दक्षिण-पश्चिम मानी जाती है. लेकिन अगर घर के पूर्व में आपको शौचालय बनवाना पड़ गया हो और कोई विकल्प बाकी न हो तो आप टॉयलेट सीट को इस प्रकार लगवाएं कि उस पर बैठते समय पश्चिम अथवा दक्षिण की ओर मुंह करके बैठ सकें. इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा की जगह सकारात्मक ऊर्जा ले लेगी एवं आपके सारे काम बनने लगेंगे.

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