ETV Bharat / city

टाइगर ऑफ वाटर के उत्पादन में देश का सिरमौर बनेगा हिमाचल, विलुप्त हो रही गोल्डन महाशीर को फिर मिलेगी पहचान 

हिमाचल प्रदेश में महाशीर मछली राज्य के 3000 किलोमीटर नदी क्षेत्र में से 500 किलोमीटर क्षेत्र में पाई जाती है. गोल्डन महाशीर मछलियों (golden mahseer fishes) में टोर परिवार से सम्बन्ध रखती है. जहां तक हिमाचल प्रदेश की बात है तो यहां मुख्य रूप से टोर पिटुरोरा और टू टोर प्रजाति पाई जाती है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में 12 हजार परिवार मत्स्य पालन (Fisheries) से जुड़े हैं.

golden mahseer fish himachal
महाशीर मछली उत्पादन
author img

By

Published : Nov 22, 2021, 6:41 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 2:52 PM IST

शिमला: टाइगर ऑफ वाटर (Tiger Of Water) कही जाने वाली गोल्डन महाशीर मछली (golden mahseer fish) को लेकर अमेरिका के वाशिंगटन स्थित इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेचुरल रिसोर्सेज (International Union of Conservation of Natural Resources) ने एक समय विलुप्त होने का खतरा जताया था. हिमाचल प्रदेश में गोल्डन महाशीर मछली की हैचिंग लंबे समय से हो रही है. राज्य सरकार ने इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए हैं.

कुल्लू-मनाली जैसे ठंडे इलाकों में इसकी प्रोडक्शन में 8 से 9 महीने का समय लगता था. इस समय अवधि को कम करने के लिए अपेक्षाकृत गर्म इलाके में हैचिंग (hatching) की जरूरत थी. इसके लिए राज्य सरकार का मत्स्य पालन विभाग (fisheries department) जिला शिमला के निचले इलाके सुन्नी में नई महाशीर हैचरी एवं कार्प प्रजनन इकाई स्थापित कर रहा है. इस प्रोजेक्ट का आरंभिक चरण पूरा हो चुका है.

वीडियो.

यहां गोल्डन महाशीर के लिए सुरक्षित परिस्थितियों में प्रजनन के तरीकों को विकसित करने पर 3 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इस वर्ष मत्स्य पालन विभाग के प्रयास से रिकॉर्ड हैचिंग दर्ज की गई है. कृषि एवं पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर (Agriculture and Animal Husbandry Minister Virendra Kanwar), जिनके पास मत्स्य पालन विभाग (fisheries department) भी है, उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश न केवल गोल्डन महाशीर के उत्पादन को निरंतर बढ़ा रहा है बल्कि राज्य को इसके उत्पादन में देश भर में अव्वल लाने की दिशा में बढ़ रहा है.

सरकार ने अमेरिका के इंस्टीट्यूट (Institute of America) की रिपोर्ट आने के बाद प्रदेश के जलाशयों में महाशीर के उत्पादन (production of mahseer) को लेकर अनुकूल परिस्थितियां तैयार करने पर जोर दिया. एक दशक पहले इसके उत्पादन में साल दर साल गिरावट आ रही थी, लेकिन अब स्थितियां सुधरी हैं. मौजूदा समय में जिला मंडी स्थित मछियाल फार्म (Machiyal Farm at Mandi) में कृत्रिम प्रजनन (artificial breeding) के जरिए गोल्डन महाशीर की संख्या बढ़ी है, इससे उत्साहित होकर संबंधित विभाग ने अब सुन्नी स्थित यूनिट को तेजी से पूरा करने पर जोर दिया है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में महाशीर मछली राज्य के 3000 किलोमीटर नदी क्षेत्र में से 500 किलोमीटर क्षेत्र में पाई जाती है. मत्स्य पालन विभाग (fisheries department) ने पिछले तीन वर्षों में प्रदेश में प्रजनन के जरिए गोल्डन महाशीर के लगभग 93 हजार अंडे तैयार किए हैं. इस दौरान सर्वाधिक 45.311 मीट्रिक टन गोल्डन महाशीर मछली का उत्पादन हुआ है. हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर के गोबिंद सागर डैम (Gobind Sagar Dam of Bilaspur), कोल डैम (Kol Dam), कांगड़ा के पौंग डैम (Pong Dam of Kangra) और रणजीत सागर डैम (Ranjit Sagar Dam) में महाशीर का उत्पादन हो रहा है.

वर्ष 2019-20 के दौरान गोबिंद सागर में 16.182 मीट्रिक टन, कोल डैम में 0.275 मीट्रिक टन, पौंग डैम में 28.136 मीट्रिक टन और रणजीत सागर में 0.718 मीट्रिक टन महाशीर मछली उत्पादन हुआ था. वर्ष 2021-22 के दौरान अभी तक बिलासपुर के गोविंद सागर में 6.598 मीट्रिक टन, कोल डैम में 0.381 मीट्रिक टन, पौंग डैम में 11.250 मीट्रिक टन और रणजीत सागर में 0.340 मीट्रिक टन गोल्डन महाशीर मछली का उत्पादन हुआ है.

ये भी पढ़ें : सर्दियों के मौसम में घूमने का मन बना रहे हैं तो हिमाचल के इन डेस्टिनेशन की कर सकते हैं सैर

मंत्री वीरेंद्र कंवर के अनुसार क्लोज सीजन के दौरान जल विद्युत परियोजनाओं (hydropower projects) से महाशीर मछली के लिए जरूरी 15 प्रतिशत पानी छोड़ने के आदेश हैं. महाशीर के उत्पादन के आंकड़ों पर नजर डालें तो हैचिंग की दृष्टि से हिमाचल में वर्ष 2017-18, 2018-19 और वर्ष 2019-20 में लगभग 20 हजार 900, 28 हजार 700 और 41 हजार 450 गोल्डन महाशीर मछली (golden mahseer fish) के अंडों का उत्पादन किया गया. पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि महाशीर सर्वश्रेष्ठ स्पोर्ट्स फिश में से एक है. यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मछली पकड़ने वालों (एंग्लरों) को आकर्षित करती है.

गोल्डन महाशीर मछलियों (golden mahseer fishes) में टोर परिवार से संबंध रखती है. जहां तक हिमाचल प्रदेश की बात है तो यहां मुख्य रूप से टोर पिटुरोरा और टू टोर प्रजाति पाई जाती है. प्रवासी प्रवृत्ति की ये मछली मानसून के दौरान प्रजनन के लिए उपयुक्त स्थान के लिए अधिक ऑक्सीजन मात्रा वाले जलाशयों की तरफ जाती है. हालांकि दुनिया के कई हिस्सों में यह विलुप्त हो रही है लेकिन हिमाचल के कांगड़ा जिला के पौंग बांध में यह उल्लेखनीय संख्या में पाई जाती है.

राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को इसके उत्पादन का गढ़ बनाने के लिए अन्य जलाशयों में भी महाशीर उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास कर रही है. यहां बता दें कि प्रदेश के विभिन्न जल स्रोतों में मछलियों की अलग-अलग 85 प्रजातियां (species) पाई जाती हैं. इनमें रोहू, कतला और मृगल और ट्राउट शामिल हैं. हिमाचल में 2019-20 में 492.33 मीट्रिक टन मछली का राज्य के बाहर विपणन किया गया. हिमाचल प्रदेश में 12 हजार परिवार मत्स्य पालन (Fisheries) से जुड़े हैं.

ये भी पढ़ें : श्रद्धा: बिना किसी मन्नत और स्वार्थ के बुजुर्ग दंपति 89 दिनों से कर रहे दंडवत यात्रा, हिमाचल में शक्तिपीठों के करेंगे दर्शन

शिमला: टाइगर ऑफ वाटर (Tiger Of Water) कही जाने वाली गोल्डन महाशीर मछली (golden mahseer fish) को लेकर अमेरिका के वाशिंगटन स्थित इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेचुरल रिसोर्सेज (International Union of Conservation of Natural Resources) ने एक समय विलुप्त होने का खतरा जताया था. हिमाचल प्रदेश में गोल्डन महाशीर मछली की हैचिंग लंबे समय से हो रही है. राज्य सरकार ने इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए हैं.

कुल्लू-मनाली जैसे ठंडे इलाकों में इसकी प्रोडक्शन में 8 से 9 महीने का समय लगता था. इस समय अवधि को कम करने के लिए अपेक्षाकृत गर्म इलाके में हैचिंग (hatching) की जरूरत थी. इसके लिए राज्य सरकार का मत्स्य पालन विभाग (fisheries department) जिला शिमला के निचले इलाके सुन्नी में नई महाशीर हैचरी एवं कार्प प्रजनन इकाई स्थापित कर रहा है. इस प्रोजेक्ट का आरंभिक चरण पूरा हो चुका है.

वीडियो.

यहां गोल्डन महाशीर के लिए सुरक्षित परिस्थितियों में प्रजनन के तरीकों को विकसित करने पर 3 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इस वर्ष मत्स्य पालन विभाग के प्रयास से रिकॉर्ड हैचिंग दर्ज की गई है. कृषि एवं पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर (Agriculture and Animal Husbandry Minister Virendra Kanwar), जिनके पास मत्स्य पालन विभाग (fisheries department) भी है, उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश न केवल गोल्डन महाशीर के उत्पादन को निरंतर बढ़ा रहा है बल्कि राज्य को इसके उत्पादन में देश भर में अव्वल लाने की दिशा में बढ़ रहा है.

सरकार ने अमेरिका के इंस्टीट्यूट (Institute of America) की रिपोर्ट आने के बाद प्रदेश के जलाशयों में महाशीर के उत्पादन (production of mahseer) को लेकर अनुकूल परिस्थितियां तैयार करने पर जोर दिया. एक दशक पहले इसके उत्पादन में साल दर साल गिरावट आ रही थी, लेकिन अब स्थितियां सुधरी हैं. मौजूदा समय में जिला मंडी स्थित मछियाल फार्म (Machiyal Farm at Mandi) में कृत्रिम प्रजनन (artificial breeding) के जरिए गोल्डन महाशीर की संख्या बढ़ी है, इससे उत्साहित होकर संबंधित विभाग ने अब सुन्नी स्थित यूनिट को तेजी से पूरा करने पर जोर दिया है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में महाशीर मछली राज्य के 3000 किलोमीटर नदी क्षेत्र में से 500 किलोमीटर क्षेत्र में पाई जाती है. मत्स्य पालन विभाग (fisheries department) ने पिछले तीन वर्षों में प्रदेश में प्रजनन के जरिए गोल्डन महाशीर के लगभग 93 हजार अंडे तैयार किए हैं. इस दौरान सर्वाधिक 45.311 मीट्रिक टन गोल्डन महाशीर मछली का उत्पादन हुआ है. हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर के गोबिंद सागर डैम (Gobind Sagar Dam of Bilaspur), कोल डैम (Kol Dam), कांगड़ा के पौंग डैम (Pong Dam of Kangra) और रणजीत सागर डैम (Ranjit Sagar Dam) में महाशीर का उत्पादन हो रहा है.

वर्ष 2019-20 के दौरान गोबिंद सागर में 16.182 मीट्रिक टन, कोल डैम में 0.275 मीट्रिक टन, पौंग डैम में 28.136 मीट्रिक टन और रणजीत सागर में 0.718 मीट्रिक टन महाशीर मछली उत्पादन हुआ था. वर्ष 2021-22 के दौरान अभी तक बिलासपुर के गोविंद सागर में 6.598 मीट्रिक टन, कोल डैम में 0.381 मीट्रिक टन, पौंग डैम में 11.250 मीट्रिक टन और रणजीत सागर में 0.340 मीट्रिक टन गोल्डन महाशीर मछली का उत्पादन हुआ है.

ये भी पढ़ें : सर्दियों के मौसम में घूमने का मन बना रहे हैं तो हिमाचल के इन डेस्टिनेशन की कर सकते हैं सैर

मंत्री वीरेंद्र कंवर के अनुसार क्लोज सीजन के दौरान जल विद्युत परियोजनाओं (hydropower projects) से महाशीर मछली के लिए जरूरी 15 प्रतिशत पानी छोड़ने के आदेश हैं. महाशीर के उत्पादन के आंकड़ों पर नजर डालें तो हैचिंग की दृष्टि से हिमाचल में वर्ष 2017-18, 2018-19 और वर्ष 2019-20 में लगभग 20 हजार 900, 28 हजार 700 और 41 हजार 450 गोल्डन महाशीर मछली (golden mahseer fish) के अंडों का उत्पादन किया गया. पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि महाशीर सर्वश्रेष्ठ स्पोर्ट्स फिश में से एक है. यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मछली पकड़ने वालों (एंग्लरों) को आकर्षित करती है.

गोल्डन महाशीर मछलियों (golden mahseer fishes) में टोर परिवार से संबंध रखती है. जहां तक हिमाचल प्रदेश की बात है तो यहां मुख्य रूप से टोर पिटुरोरा और टू टोर प्रजाति पाई जाती है. प्रवासी प्रवृत्ति की ये मछली मानसून के दौरान प्रजनन के लिए उपयुक्त स्थान के लिए अधिक ऑक्सीजन मात्रा वाले जलाशयों की तरफ जाती है. हालांकि दुनिया के कई हिस्सों में यह विलुप्त हो रही है लेकिन हिमाचल के कांगड़ा जिला के पौंग बांध में यह उल्लेखनीय संख्या में पाई जाती है.

राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को इसके उत्पादन का गढ़ बनाने के लिए अन्य जलाशयों में भी महाशीर उत्पादन को बढ़ाने का प्रयास कर रही है. यहां बता दें कि प्रदेश के विभिन्न जल स्रोतों में मछलियों की अलग-अलग 85 प्रजातियां (species) पाई जाती हैं. इनमें रोहू, कतला और मृगल और ट्राउट शामिल हैं. हिमाचल में 2019-20 में 492.33 मीट्रिक टन मछली का राज्य के बाहर विपणन किया गया. हिमाचल प्रदेश में 12 हजार परिवार मत्स्य पालन (Fisheries) से जुड़े हैं.

ये भी पढ़ें : श्रद्धा: बिना किसी मन्नत और स्वार्थ के बुजुर्ग दंपति 89 दिनों से कर रहे दंडवत यात्रा, हिमाचल में शक्तिपीठों के करेंगे दर्शन

Last Updated : Jan 4, 2022, 2:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.