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प्रदेश में थमे निजी बसों के पहिए, ETV भारत पर बस ऑपरेटर्स ने बताई अपनी समस्याएं

प्रदेश में निजी बस संचालकों ने बसें चलाना बंद कर दी हैं. प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ के महासचिव रमेश कमल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 60 प्रतिशत सवारियों के साथ बसें चलाने की अनुमति दी है. ऐसे में निजी बस ऑपरेटर को 40 प्रतिशत सीटों का घाटा हो रहा है जो कि प्रदेश सरकार को वहन करना चाहिए.

निजी बस चालकों की सरकार से मांग
निजी बस चालकों की सरकार से मांग
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Published : Jun 8, 2020, 2:00 PM IST

शिमला: प्रदेश में कोरोना वायरस के चलते लगाए कर्फ्यू में सरकार ने राहत दी है. इसके चलते अनलॉक-1 के पहले चरण में हिमाचल सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए बसों को चलाने की घोषणा की, जिसके बाद 1 जून से प्रदेश में बसें चलना शुरू भी हो गईं. वहीं, कम सवारियों के बसों में सफर करने से बसों की कमाई पर भी असर पड़ रहा है.

प्रदेश में निजी बस संचालकों ने बसें चलाना बंद कर दी हैं. प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ के महासचिव रमेश कमल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 60 प्रतिशत सवारियों के साथ बसें चलाने की अनुमति दी है. ऐसे में निजी बस ऑपरेटर को 40 प्रतिशत सीटों का घाटा हो रहा है जो कि प्रदेश सरकार को वहन करना चाहिए.

रमेश कमल ने कहा कि इसके अलावा जब सरकार की तरफ से 60 प्रतिशत सवारियां उठाने की ही अनुमति है तो फिर इंश्योरेंस भी 60 प्रतिशत सवारियों की ही ली जानी चाहिए जबकि वर्तमान में सौ प्रतिशत सवारियों की इंश्योरेंस ली जा रही है .

रमेश कमल ने बताया कि 60 प्रतिशत सवारियों के साथ बस चलाने में बस ऑपरेटर्स को नुकसान हो रहा है जिसके लिए सरकार को उचित फैसला लेना चाहिए. परिवहन मंत्री ने बस ऑपरेटरों को आश्वासन दिया था कि वह बसें चलाएं और 1 सप्ताह बाद समीक्षा बैठक होगी. इसमें बसों के घाटे का आंकलन किया जाएगा.

घाटे की स्थिति में सरकार बस ऑपरेटरों की मदद करेगी. अब बसों को चलाते एक सप्ताह हो चुका है और निजी संचालक घाटे की ओर जा रहे हैं. उनका कहना है कि संचालक समीक्षा बैठक के इंतजार में है जिसमें परिवहन आयुक्त को घाटे के बारे में जानकारी दी जाएगी.

वीडियो

निजी बस ऑपरेटर संघ ने सरकार से न्यूनतम किराए में 20 रुपये की बढ़ोतरी करने का आग्रह किया था. इसके अलावा अन्य किरायों में 50% तक बढ़ोतरी करने का निवेदन संघ की तरफ से किया गया था. साथ ही चालकों परिचालकों की सुरक्षा के लिए ठोस नीति बनाने और बसों का टोकन टैक्स 31 मार्च 2021 तक माफ करने का भी निवेदन किया था.

रमेश कमल ने कहा कि बस ऑपरेटरों को बैंकों के माध्यम से आर्थिक पैकेज मुहैया करवाया जाए लेकिन प्रदेश सरकार से किसी एक मांग पर भी विचार नहीं किया गया. संघ के अध्यक्ष का कहना है कि लॉकडाउन के समय सरकार के आदेश हुए तो निजी बसों के चालकों और परिचालकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना विभिन्न प्रदेशों में प्रवासी मजदूरों को छोड़ा. वर्तमान में संघ ने फिर से बसों का संचालन आरंभ किया है लेकिन 60 प्रतिशत प्रतिशत वाली शर्त के साथ बसें चलना संभव नहीं है.

ये भी पढ़ें: शिमला में सामने आया कोरोना पॉजिटिव, संजौली में था होम क्वारंटाइन

शिमला: प्रदेश में कोरोना वायरस के चलते लगाए कर्फ्यू में सरकार ने राहत दी है. इसके चलते अनलॉक-1 के पहले चरण में हिमाचल सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए बसों को चलाने की घोषणा की, जिसके बाद 1 जून से प्रदेश में बसें चलना शुरू भी हो गईं. वहीं, कम सवारियों के बसों में सफर करने से बसों की कमाई पर भी असर पड़ रहा है.

प्रदेश में निजी बस संचालकों ने बसें चलाना बंद कर दी हैं. प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ के महासचिव रमेश कमल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 60 प्रतिशत सवारियों के साथ बसें चलाने की अनुमति दी है. ऐसे में निजी बस ऑपरेटर को 40 प्रतिशत सीटों का घाटा हो रहा है जो कि प्रदेश सरकार को वहन करना चाहिए.

रमेश कमल ने कहा कि इसके अलावा जब सरकार की तरफ से 60 प्रतिशत सवारियां उठाने की ही अनुमति है तो फिर इंश्योरेंस भी 60 प्रतिशत सवारियों की ही ली जानी चाहिए जबकि वर्तमान में सौ प्रतिशत सवारियों की इंश्योरेंस ली जा रही है .

रमेश कमल ने बताया कि 60 प्रतिशत सवारियों के साथ बस चलाने में बस ऑपरेटर्स को नुकसान हो रहा है जिसके लिए सरकार को उचित फैसला लेना चाहिए. परिवहन मंत्री ने बस ऑपरेटरों को आश्वासन दिया था कि वह बसें चलाएं और 1 सप्ताह बाद समीक्षा बैठक होगी. इसमें बसों के घाटे का आंकलन किया जाएगा.

घाटे की स्थिति में सरकार बस ऑपरेटरों की मदद करेगी. अब बसों को चलाते एक सप्ताह हो चुका है और निजी संचालक घाटे की ओर जा रहे हैं. उनका कहना है कि संचालक समीक्षा बैठक के इंतजार में है जिसमें परिवहन आयुक्त को घाटे के बारे में जानकारी दी जाएगी.

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निजी बस ऑपरेटर संघ ने सरकार से न्यूनतम किराए में 20 रुपये की बढ़ोतरी करने का आग्रह किया था. इसके अलावा अन्य किरायों में 50% तक बढ़ोतरी करने का निवेदन संघ की तरफ से किया गया था. साथ ही चालकों परिचालकों की सुरक्षा के लिए ठोस नीति बनाने और बसों का टोकन टैक्स 31 मार्च 2021 तक माफ करने का भी निवेदन किया था.

रमेश कमल ने कहा कि बस ऑपरेटरों को बैंकों के माध्यम से आर्थिक पैकेज मुहैया करवाया जाए लेकिन प्रदेश सरकार से किसी एक मांग पर भी विचार नहीं किया गया. संघ के अध्यक्ष का कहना है कि लॉकडाउन के समय सरकार के आदेश हुए तो निजी बसों के चालकों और परिचालकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना विभिन्न प्रदेशों में प्रवासी मजदूरों को छोड़ा. वर्तमान में संघ ने फिर से बसों का संचालन आरंभ किया है लेकिन 60 प्रतिशत प्रतिशत वाली शर्त के साथ बसें चलना संभव नहीं है.

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