शिमला: हिमाचल में सर्दी की दस्तक से बिजली उत्पादन(power generation) में गिरावट दर्ज की जा रही. प्रदेश में तापमान में गिरावट के कारण चोटियों पर अब ग्लेशियर(Glacier) जमने शुरू हो गए. इससे नदियों का जलस्तर घटने लगा व प्रोजेक्टों में बिजली उत्पादन प्रभावित होने लगा है. हिमाचल(Himachal) को प्रतिदिन 335 लाख यूनिट(335 lakh units) तक बिजली उपलब्ध होती जो लगातार घट रही है. आज सुबह तक यह आंकड़ा 297 तक पहुंच गया.
आशंका जताई जा रही है कि सर्दियों में विद्युत उत्पादन आधा रह जाएगा. इस कारण हिमाचल ने अन्य राज्यों से बिजली लेना शुरू कर दी. अभी हिमाचल में प्रतिदिन 30 से 40 लाख यूनिट की कमी हो रही है. प्रदेश में 60 प्रतिशत से अधिक बिजली की खपत औद्योगिक क्षेत्र में होती है. बिजली की कमी का कारण हिमाचल बैंकिंग प्रणाली(Himachal Banking System) के तहत पड़ोसी राज्यों से बिजली ले रहा. गर्मियों में जिन छह राज्यों को बिजली हिमाचल ने बिजली दी थी उनसे सरकार वह बिजली वापस ले रही. प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ती है.
ऐसे समय में हीटर और गीजर(heater and geyser) के प्रयोग से बिजली की मांग बढ़ जाती है. इस कारण कई क्षेत्रों में लोगों को बिजली संकट(power crisis) से भी जूझना पड़ सकता है.इस बार मानसून में नदियों में गाद बढ़ने व कम बारिश से बिजली उत्पादन प्रभावित रहा. ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी(Energy Minister Sukhram Choudhary) ने कहा कि मांग के आधार पर हम बिजली यूनिट बैंकिंग(power unit banking) को बढ़ाएंगे और अन्य राज्यों से बिजली उधार भी लेंगे. मार्च तक पड़ोसी राज्यों पंजाब(Punjab), हरियाणा(Haryana), उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से प्रदेश सरकार इस संबंध में मदद लेगी.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हाइड्रो प्रोजेक्ट स्नो बाउंड एरिया में लगे हैं. जिसके कारण सर्दियों में यहां विद्युत उत्पादन प्रभावित होता है. बर्फ जमने के कारण पानी का बहाव कम हो जाता है. इसी कारण प्रदेश सरकार कई वर्ष पहले से विद्युत बैंकिंग पर काम करती है. इस प्रणाली के तहत पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों को गर्मियों में विद्युत सप्लाई की जाती और सर्दियों में इन राज्यों से प्रदेश सरकार मदद लेती है.
इसके अलावा अगर जरूरत पड़े तो टेंडर के माध्यम से भी बिजली खरीदी जाती है. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में बहुत सेहाइड्रो प्रोजेक्ट्स का निर्माण कार्य शुरू हो गया. कई ऐसे प्रोजेक्ट भी हैं जिनमें कुछ बाधाएं आ रही थी. उन प्रोजेक्ट मालिकों के साथ भी नए सिरे से अनुबंध किया गया. जिसके कारण पांच मेगावाट(five megawatts) से कम ऊर्जा के अधिकांश प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य प्रदेश में शुरू हो गया है.
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