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हिमाचल की सियासी हवा में तैरने लगा सवाल, चुनावी साल में बदलेगा भाजपा में संगठन और सत्ता का चेहरा ? 

पांच राज्यों में चुनाव के बाद क्या हिमाचल में सत्ता और संगठन का चेहरा बदलेगा? यह सवाल सत्ता के गलियारों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर (Cabinet reshuffle in Himachal) कह चुके हैं कि ऐसी संभावनाएं हमेशा रहती हैं. उपचुनाव में हार के बाद सुगबुगाहट हुई थी कि संगठन और सरकार में फेरबदल हो सकता है. हालांकि इन दिनों संगठन अन्य राज्यों में चल रहे चुनावों के प्रचार में जुटा हुआ है. लेकिन, इन चुनाव के परिणामों का असर कहीं न कहीं, हिमाचल में भी देखने को मिला सकता है.

Himachal assembly election 2022
हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022
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Published : Feb 9, 2022, 8:38 PM IST

शिमला: पांच राज्यों में चुनाव के बाद क्या हिमाचल में सत्ता और संगठन का चेहरा बदलेगा? यह सवाल सत्ता के गलियारों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर (Cabinet reshuffle in Himachal) कह चुके हैं कि ऐसी संभावनाएं हमेशा रहती हैं. उपचुनाव में हार के बाद सुगबुगाहट हुई थी कि संगठन और सरकार में फेरबदल हो सकता है. हिमाचल में इस समय भाजपा में पार्टी मुखिया (Himachal BJP President) के रूप में दलित चेहरा सुरेश कश्यप हैं.

उनके अध्यक्ष बनने के बाद हुए नगर निगम निकाय और उप चुनाव (Himachal by election) में भाजपा को करारी हार का स्वाद चखना पड़ है. ऐसे में क्या पार्टी उनके नेतृत्व में मिशन रिपीट के लिए आगे बढ़ेगी? यह सवाल भी बार-बार पार्टी के सामने आ रहा है. उपचुनावों में करारी हार के बाद आलाकमान भी दबाव में प्रदेश में हुए तीन विधानसभा और एक लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद से ही आलाकमान भी सख्त निर्णय को लेकर दबाव में है. हालांकि उपचुनाव हुए कुछ अर्सा जरूर बीत गया है. उस वक्त मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हार के लिए महंगाई और पार्टी में दगाबाजी को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था.

ऐसे में इन भीतरघातियों पर भी अभी तक पार्टी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हार के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सख्त लहजे में पार्टी निर्देशानुसार कार्य नहीं करने वाले नेताओं को चेतावनी दी थी. उपचुनाव में जुब्बल-कोटखाई सीट पर भाजपा की जमानत जब्त हो गई थी. हालांकि वहां पर पार्टी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को निष्कासित जरूर किया है, लेकिन चुनावों के बाद करारी हार के लिए जिम्मेदार नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसके अलावा फतेहपुर और अर्की में भी हार के लिए जिम्मेदार और पार्टी के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं करने वाले नेताओं के खिलाफ पार्टी की तरफ से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. ऐसे में अगर यूपी चुनावों के बाद संगठन और सरकार में कोई फेरबदल होता है तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी.



इग्नोर नेता और कार्यकर्ताओं का रोष भी हाईकमान के ध्यान में: सत्ता में सक्रिय भाजपा नेताओं के अलावा प्रदेश में भाजपा के ऐसा गुट है जिसकी पिछले चार साल से वर्तमान सरकार में किसी प्रकार की भागीदारी नहीं है. प्रदेश में ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की लंबी लिस्ट है. यह नेता लगातार पार्टी हाईकमान के समक्ष अपनी बात भी किसी ना किसी माध्यम से पहुंचाते आए हैं. उपचुनाव में काफी हद तक यह बाद खुलकर भी आई है. ऐसे में हाईकमान इन इग्नोर नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी आगामी विधानसभा चुनावों में शामिल करना चाहेगी, ताकि जीत की संभावनाएं बनी रहे. ऐसे में संगठन व सरकार में कुछ नेताओं को शामिल कर भाजपा को और मजबूत करने पर भी हाईकमान फैसला ले सकती है.

नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों पर तलवार: भाजपा संगठन और हाईकमान की तरफ से करवाए गए सर्वे और अन्य माध्यमों से जुटाई जानकारी के अनुसार लिस्ट में शामिल नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों पर तलवार लटकी हुई है. इसके अलावा क्षेत्रीय संतुलन और आगामी चुनावों टिकट आवंटन को ध्यान में रखते हुए भी मंत्रिमंडल में फेरबदल की तलवार लटकी हुई है. भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इस बार बड़ी संख्या में सीटिंग विधायकों के टिकट काटने की तैयारी हो रही है. जिसके चलते मंत्रिमंडल में इसी अनुसार फेरबदल भी हो सकता है.

वहीं, अधिकांश मंत्रियों का केवल अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित रहना भी जयराम सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. सरकार के अधिकांश मंत्री केवल अपनी विधानसभा में चक्कर काट अपनी जीत सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं. जिसके कारण प्रदेश सचिवालय और प्रदेश पार्टी मुख्यालय में भी इनकी उपस्थिति बेहद कम है और प्रदेश के कोने-कोने से आए लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

पार्टी हाईकमान और मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद भी चुनावी साल में भी भाजपा प्रदेश कार्यालय में जयराम सरकार के कै बिनेट मंत्री बारी-बारी से बैठने के लिए तैयार नहीं हैं. कई बार कैबिनेट बैठक में भी मुख्यमंत्री मंत्रियों को सचिवालय में बैठकर विभागीय कार्यों को गति देने के निर्देश दे चुके हैं. बावजूद इसके स्थिति वैसी ही है. आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा के कार्यक्रम तय भी तय हो चुके हैं, जोकि पांच राज्यों में जारी चुनाव प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद शुरू कर दिए जाएंगे. बड़ी संख्या में प्रदेश के भाजपा नेता और कार्यकर्ता उत्तराखंड और पंजाब में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार पर गए हैं. इन राज्यों में चुनावों के बाद ही हिमाचल में चुनावों को ध्यान में रखते हुए पार्टी कार्य करना शुरू (Himachal assembly election 2022) कर देगी.

यूपी चुनाव परिणामों का हिमाचल में असर: पांच राज्यों में जारी चुनावों में से यूपी के चुनाव (Election in UP) परिणाम का भी हिमाचल भाजपा पर असर होने की संभावना है. इन चुनाव परिणामों के बाद केंद्र में पीएम मोदी और उनकी टीम पूरे देश संगठन की स्थिति की समीक्षा जरूर करेगी. राजनीतिक पंडितों के अनुसार अगर यूपी में चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में रहते हैं तो केंद्रीय टीम को मजबूती मिलेगी. जिसके बाद केंद्रीय नेतृत्व अन्य प्रदेशों में भी कड़े फैसले लेने से भी पीछे नहीं हटेगा. लेकिन अगर चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं रहते हैं तो पार्टी की केंद्रीय टीम पर भी असर देखा जा सकेगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कुष्ठ रोग के 126 और सोलन जिले में 32 एक्टिव मामले, ये हैं लक्षण

शिमला: पांच राज्यों में चुनाव के बाद क्या हिमाचल में सत्ता और संगठन का चेहरा बदलेगा? यह सवाल सत्ता के गलियारों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर (Cabinet reshuffle in Himachal) कह चुके हैं कि ऐसी संभावनाएं हमेशा रहती हैं. उपचुनाव में हार के बाद सुगबुगाहट हुई थी कि संगठन और सरकार में फेरबदल हो सकता है. हिमाचल में इस समय भाजपा में पार्टी मुखिया (Himachal BJP President) के रूप में दलित चेहरा सुरेश कश्यप हैं.

उनके अध्यक्ष बनने के बाद हुए नगर निगम निकाय और उप चुनाव (Himachal by election) में भाजपा को करारी हार का स्वाद चखना पड़ है. ऐसे में क्या पार्टी उनके नेतृत्व में मिशन रिपीट के लिए आगे बढ़ेगी? यह सवाल भी बार-बार पार्टी के सामने आ रहा है. उपचुनावों में करारी हार के बाद आलाकमान भी दबाव में प्रदेश में हुए तीन विधानसभा और एक लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद से ही आलाकमान भी सख्त निर्णय को लेकर दबाव में है. हालांकि उपचुनाव हुए कुछ अर्सा जरूर बीत गया है. उस वक्त मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हार के लिए महंगाई और पार्टी में दगाबाजी को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था.

ऐसे में इन भीतरघातियों पर भी अभी तक पार्टी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हार के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सख्त लहजे में पार्टी निर्देशानुसार कार्य नहीं करने वाले नेताओं को चेतावनी दी थी. उपचुनाव में जुब्बल-कोटखाई सीट पर भाजपा की जमानत जब्त हो गई थी. हालांकि वहां पर पार्टी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं को निष्कासित जरूर किया है, लेकिन चुनावों के बाद करारी हार के लिए जिम्मेदार नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसके अलावा फतेहपुर और अर्की में भी हार के लिए जिम्मेदार और पार्टी के आदेशों के अनुसार कार्य नहीं करने वाले नेताओं के खिलाफ पार्टी की तरफ से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. ऐसे में अगर यूपी चुनावों के बाद संगठन और सरकार में कोई फेरबदल होता है तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी.



इग्नोर नेता और कार्यकर्ताओं का रोष भी हाईकमान के ध्यान में: सत्ता में सक्रिय भाजपा नेताओं के अलावा प्रदेश में भाजपा के ऐसा गुट है जिसकी पिछले चार साल से वर्तमान सरकार में किसी प्रकार की भागीदारी नहीं है. प्रदेश में ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की लंबी लिस्ट है. यह नेता लगातार पार्टी हाईकमान के समक्ष अपनी बात भी किसी ना किसी माध्यम से पहुंचाते आए हैं. उपचुनाव में काफी हद तक यह बाद खुलकर भी आई है. ऐसे में हाईकमान इन इग्नोर नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी आगामी विधानसभा चुनावों में शामिल करना चाहेगी, ताकि जीत की संभावनाएं बनी रहे. ऐसे में संगठन व सरकार में कुछ नेताओं को शामिल कर भाजपा को और मजबूत करने पर भी हाईकमान फैसला ले सकती है.

नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों पर तलवार: भाजपा संगठन और हाईकमान की तरफ से करवाए गए सर्वे और अन्य माध्यमों से जुटाई जानकारी के अनुसार लिस्ट में शामिल नॉन परफॉर्मिंग मंत्रियों पर तलवार लटकी हुई है. इसके अलावा क्षेत्रीय संतुलन और आगामी चुनावों टिकट आवंटन को ध्यान में रखते हुए भी मंत्रिमंडल में फेरबदल की तलवार लटकी हुई है. भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो इस बार बड़ी संख्या में सीटिंग विधायकों के टिकट काटने की तैयारी हो रही है. जिसके चलते मंत्रिमंडल में इसी अनुसार फेरबदल भी हो सकता है.

वहीं, अधिकांश मंत्रियों का केवल अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित रहना भी जयराम सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. सरकार के अधिकांश मंत्री केवल अपनी विधानसभा में चक्कर काट अपनी जीत सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं. जिसके कारण प्रदेश सचिवालय और प्रदेश पार्टी मुख्यालय में भी इनकी उपस्थिति बेहद कम है और प्रदेश के कोने-कोने से आए लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

पार्टी हाईकमान और मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद भी चुनावी साल में भी भाजपा प्रदेश कार्यालय में जयराम सरकार के कै बिनेट मंत्री बारी-बारी से बैठने के लिए तैयार नहीं हैं. कई बार कैबिनेट बैठक में भी मुख्यमंत्री मंत्रियों को सचिवालय में बैठकर विभागीय कार्यों को गति देने के निर्देश दे चुके हैं. बावजूद इसके स्थिति वैसी ही है. आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा के कार्यक्रम तय भी तय हो चुके हैं, जोकि पांच राज्यों में जारी चुनाव प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद शुरू कर दिए जाएंगे. बड़ी संख्या में प्रदेश के भाजपा नेता और कार्यकर्ता उत्तराखंड और पंजाब में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार पर गए हैं. इन राज्यों में चुनावों के बाद ही हिमाचल में चुनावों को ध्यान में रखते हुए पार्टी कार्य करना शुरू (Himachal assembly election 2022) कर देगी.

यूपी चुनाव परिणामों का हिमाचल में असर: पांच राज्यों में जारी चुनावों में से यूपी के चुनाव (Election in UP) परिणाम का भी हिमाचल भाजपा पर असर होने की संभावना है. इन चुनाव परिणामों के बाद केंद्र में पीएम मोदी और उनकी टीम पूरे देश संगठन की स्थिति की समीक्षा जरूर करेगी. राजनीतिक पंडितों के अनुसार अगर यूपी में चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में रहते हैं तो केंद्रीय टीम को मजबूती मिलेगी. जिसके बाद केंद्रीय नेतृत्व अन्य प्रदेशों में भी कड़े फैसले लेने से भी पीछे नहीं हटेगा. लेकिन अगर चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं रहते हैं तो पार्टी की केंद्रीय टीम पर भी असर देखा जा सकेगा.

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