शिमला: राज्य में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान योजना (पीएम कुसुम) भी शुरू की गई है, ताकि किसानों के खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जा सके और ज्यादा से ज्यादा नकदी फसलों का उत्पादन कर किसान अपनी आय में इजाफा कर सके.
सरकार ने किसानों को विश्वसनीय सिंचाई सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से विशेषकर दूर-दराज के ऐसे क्षेत्रों में जहां बिजली की उपलब्धता नहीं है, वहां सिंचाई के लिए जल उठाने के लिए पीएम कुसुम योजना आरम्भ की गई है. इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश में सौर पम्पों का प्रयोग कर खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने के लिए आवश्यक अधोसंरचना विकसित करना प्रस्तावित है.
पीएम कुसुम योजना के तहत सौर पम्पों से सिंचाई के लिए व्यक्तिगत व सामुदायिक स्तर पर सभी वर्गों के किसानों के लिए पंपिंग मशीनरी लगाने के लिए 85 प्रतिशत की सहायता का प्रावधान है. योजना के लिए चालू वित्त वर्ष के लिए 12 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और इस वर्ष एक हजार सौर पम्प लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए 50 प्रतिशत व्यय केन्द्र सरकार व 35 प्रतिशत व्यय प्रदेश सरकार द्वारा जबकि शेष 15 प्रतिशत लाभार्थी द्वारा वहन किया जाएगा.
इस योजना में संबंधित क्षेत्रों में किसान विकास संघ, कृषक विकास संघ व किसानों के पंजीकृत समूहों आदि को प्राथमिकता दी जाएगी, जो सोसाइटी अधिनियम-2006 के तहत पंजीकृत हों. छोटे व सीमान्त किसान तथा ऐसे किसान जो फसल उगाने के लिए वर्षा पर निर्भर हैं, उन्हें भी इस योजना में प्राथमिकता दी जाएगी. जिन किसानों के पास सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली जैसे कि ड्रिप/स्प्रिंकलर लगाने के लिए पानी के स्त्रोत उपलब्ध हैं, वे भी सिंचाई के लिए सौर ऊर्जा पम्प लगाने के लिए पात्र होंगे.
इस योजना के तहत सहायता प्राप्त करने के लिए किसान उप-मण्डल भू-संरक्षण अधिकारी के कार्यालय में निर्धारित प्रपत्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं. आवदेन पत्र के साथ उन्हें भूमि संबंधित कागजात जैसे ततीमा व जमाबन्दी, स्वयं सत्यापित किया हुआ राशन कार्ड, आधार कार्ड की प्रति, भूमि प्रमाण पत्र संलग्न करने होंगे और स्टाम्प पेपर पर कृषक शपथ पत्र भी देना होगा.