शिमला: हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान कभी भी हो सकता हैं. चुनाव कोई भी हो महिलाएं उसमें अहम भूमिका अदा करती हैं. चुनावी घोषणा पत्रों में मुद्दा बनने से लेकर मतदाता और प्रत्याशी बनने तक महिलाएं लगभग हर भूमिका अदा करती हैं. सियासी दल महिलाओं के उत्थान से लेकर सियासत में उनकी भागीदारी बढ़ाने के कई वादे करते हैं लेकिन हिमाचल विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बहुत ही कम है. आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 1998 में सबसे ज्यादा 6 महिला विधायक चुनकर विधानसभा पहुंची थी. महिलाओं की इतनी कम भागीदारी के पीछे सियासी दल भी जिम्मेदार हैं जो महिलाओं को लेकर वादे तो बड़े-बड़े करते हैं लेकिन चुनाव मैदान में उतारने के नाम पर कंजूसी दिखाते हैं. (Participation of women in Himachal politics)
हिमाचल की राजनीति में महिलाएं- हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी लगभग 50 फीसदी से अधिक है लेकिन विधानसभा चुनाव के स्तर तक पहुंचते-पहुंचने महिलाओं की आबादी बहुत कम रह जाती है. पिछले लगभग हर विधानसभा चुनाव का यही हाल है, महिलाओं को टिकट देने में सियासी दलों ने कंजूसी दिखाई है. आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. साल 1952 से 2017 तक हिमाचल विधानसभा चुनावों में कितने प्रत्याशियों ने राजनीति में अपना हाथ आजमाया और कुल प्रतियोगियों में महिलाओं की संख्या कितनी थी, और कितनी महिलाओं ने जीत दर्ज कर खुद का नाम राजनीति के क्षेत्र में चमकाया.
1967 में पहली बार 2 महिलाओं ने लड़ा था चुनाव: चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश विधानसभा के प्रथम चुनाव वर्ष 1952 में 36 सीटों के लिए हुए, जिसमें 135 उम्मीदवार थे. उस समय इन सभी 135 उम्मीदवारों में एक भी महिला प्रत्याशी नहीं थी. इसके बाद साल 1967 में फिर विधानसभा चुनाव हुए जो कि 60 सीटों के लिए हुए. उस समय 269 उम्मीदवारों में से सिर्फ 2 महिलाएं चुनाव मैदान में थी. हालांकि दोनों में से कोई भी जीत हासिल नहीं कर पाया था.
हिमाचल में जब पहली बार 4 महिलाओं ने दर्ज की जीत: इसके बाद वो दौर भी आया जब 4 महिलाओं ने चुनावों में जीत दर्ज कर साबित कर दिया की महिलाएं भी किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. ये बात साल 1972 के विधानसभा चुनावों की है. जब 68 विधानसभा सीटों के लिए हिमाचल में चुनाव हुए और कुल 297 प्रत्याशियों में 7 महिलाओं ने चुनावों के लिए अपनी दावेदारी पेश की. जिसका नतीजा ये रहा कि पहली बार हिमाचल विधानसभा में 4 महिलाएं विधायक बनकर पहुंची.
पुरूषों के मुकाबले महिलाएं आज भी पीछे: महिलाओं की जीत के बाद आने वाले सभी विधानसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की संख्या में इजाफा देखने को मिला. बात अगर 2012 में हुए विधानसभा चुनावों की करें तो करीब 34 महिलाओं ने टिकट के लिए आवेदन किया. हालांकि इसमें से सिर्फ 3 महिलाओं को ही जीत मिली. लेकिन अगर पुरूषों के मुकाबले महिला प्रत्याशियों की संख्या देखी जाए तो आप भी देखेंगे कि आज भी महिलाएं काफी पीछे (women in Himachal politics) हैं.
हिमाचल में पंचायती राज से लेकर स्थानीय निकायों के चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिलता है. जिससे पंचायती राज चुनावों में हिमाचल की महिलाओं की भागीदारी बढ़ गई है. लेकिन विधानसभा चुनावों में आज भी महिलाओं की भागीदारी पुरूषों की तुलना में बहुत ही कम है. हिमाचल की राजनीति में कई महिलाओं में अपना लोहा भी मनवाया है. पूर्व कैबिनेट मंत्री विद्या स्टोक्स, मौजूदा सरकार में मंत्री सरवीण चौधरी, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता आशा कुमारी, कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, राज्यसभा सदस्य इंदु गोस्वामी जैसे कई नाम हैं जिन्होंने सियासत में नाम कमाया है. हिमाचल की सियासत में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए उन्हें मौके देने होंगे और ये जिम्मेदारी सियासी दलों की भी है और उस जनता की भी जो अपने नुमाइंदों के रूप में इन्हें चुनकर भेजे. (Role of women in Himachal politics)
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