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निजी स्कूल फीस वसूलने के लिए बना रहे दबाव, छात्र अभिभावक मंच ने जताया विरोध - निजी स्कूलों की फीस

छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों और संस्थानों को पूरी फीस लेने की छूट देने के लिए सरकार के निर्णय को बेहद शर्मनाक करार दिया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह अपने इस निर्णय को तुरंत वापस लें. उन्होंने सरकार के इस निर्णय को छात्र और अभिभावक विरोधी निर्णय करार दिया है.

Parents Manch
छात्र अभिभावक मंच
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Published : Oct 30, 2020, 1:52 PM IST

Updated : Oct 30, 2020, 2:16 PM IST

शिमला: सरकार की ओर से प्रदेश में निजी स्कूलों को अब अभिभावकों से पूरी फीस वसूलने की छूट दे दी है. निजी स्कूलों को यह छूट देने का विरोध छात्र अभिभावक मंच की ओर से विरोध जताया जा रहा है.

छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों और संस्थानों को पूरी फीस लेने की छूट देने के लिए सरकार के निर्णय को बेहद शर्मनाक करार दिया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह अपने इस निर्णय को तुरंत वापस लें. उन्होंने सरकार के इस निर्णय को छात्र और अभिभावक विरोधी निर्णय करार दिया है. उनका आरोप है कि सरकार के इस निर्णय के बाद निजी स्कूलों ने अभिभावकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है.

छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा का कहना है कि जब न्यायालय का निर्णय निजी स्कूलों और संस्थान प्रबंधनों के पक्ष में आता है, तो सरकार उस निर्णय को रातों रात लागू कर देती है, जबकि जो निर्णय इनके खिलाफ आता है तो सरकार चार वर्ष होने के बाद भी उस निर्णय को लागू नहीं करती है. विजेंद्र मेहरा ने उदाहरण देते हुए कहा कि 27 अप्रैल 2016 को उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था कि स्कूल प्रबंधन छात्रों से कोई भी फंड यानी बिल्डिंग फीस इत्यादि नहीं लेंगे. इस फैसले को सरकार ने आज तक लागू नहीं किया है. यह फैसला स्कूल प्रबंधन के खिलाफ है जबकि छात्रों और अभिभावकों के पक्ष में है.

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छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा का आरोप है कि सरकार के इस निर्णय के बाद निजी स्कूलों और संस्थानों ने दोबारा छात्रों अभिभावकों को पूरी फीस जमा करने के लिए मोबाइल पर मैसेज भेजना शुरू कर दिए हैं. इन मैसेज में उन्हें डराया जा रहा है कि अगर पूरी फीस जमा नहीं की गई तो छात्रों को ना केवल संस्थानों से बाहर कर दिया जाएगा, बल्कि उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जाएगा.

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विजेंद्र मेहरा ने कहा कि सुंदरनगर के खिलरा स्थित मां हाटेश्वरी नर्सिंग कॉलेज का हवाला देते हुए कहा है कि कॉलेज में पिछले 7 महीने से कोई कक्षा नहीं लगी है. छात्राएं एक भी दिन हॉस्टल में नहीं रुके हैं. इसके बाद भी प्रतिमाह 4300 रुपये फीस के हिसाब से 7 महीने की कुल हॉस्टल फीस 30 हजार रुपये जमा करवाने का दबाव प्रबंधन की ओर से बनाया जा रहा है. वहीं, संस्थान की ओर से यह कहा जा रहा है कि जो छात्र इस फीस को जमा नहीं करेंगे. उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा.

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छात्र अभिभावक मंच के संयोजक ने कहा कि स्कूल प्रबंधन ने आधे से ज्यादा अध्यापकों, सिक्यूरिटी गार्ड, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को स्कूल से निकाल दिया है. लेकिन इसके बावजूद छात्रों से फीस वसूला जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन ने स्कूल की 80 प्रतिशत फीस टयूशन फीस में परिवर्तित कर दी है. उन्होंने सरकार को चेताया है कि वह अपना यह फैसला जल्द से जल्द वापस ले, जिससे अभिभावकों को राहत मिल सकें.

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पढ़ें: पर्यटकों के लिए बंद हुई चंद्रताल झील, अब अगले साल होंगे दीदार

शिमला: सरकार की ओर से प्रदेश में निजी स्कूलों को अब अभिभावकों से पूरी फीस वसूलने की छूट दे दी है. निजी स्कूलों को यह छूट देने का विरोध छात्र अभिभावक मंच की ओर से विरोध जताया जा रहा है.

छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों और संस्थानों को पूरी फीस लेने की छूट देने के लिए सरकार के निर्णय को बेहद शर्मनाक करार दिया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह अपने इस निर्णय को तुरंत वापस लें. उन्होंने सरकार के इस निर्णय को छात्र और अभिभावक विरोधी निर्णय करार दिया है. उनका आरोप है कि सरकार के इस निर्णय के बाद निजी स्कूलों ने अभिभावकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है.

छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा का कहना है कि जब न्यायालय का निर्णय निजी स्कूलों और संस्थान प्रबंधनों के पक्ष में आता है, तो सरकार उस निर्णय को रातों रात लागू कर देती है, जबकि जो निर्णय इनके खिलाफ आता है तो सरकार चार वर्ष होने के बाद भी उस निर्णय को लागू नहीं करती है. विजेंद्र मेहरा ने उदाहरण देते हुए कहा कि 27 अप्रैल 2016 को उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था कि स्कूल प्रबंधन छात्रों से कोई भी फंड यानी बिल्डिंग फीस इत्यादि नहीं लेंगे. इस फैसले को सरकार ने आज तक लागू नहीं किया है. यह फैसला स्कूल प्रबंधन के खिलाफ है जबकि छात्रों और अभिभावकों के पक्ष में है.

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छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा का आरोप है कि सरकार के इस निर्णय के बाद निजी स्कूलों और संस्थानों ने दोबारा छात्रों अभिभावकों को पूरी फीस जमा करने के लिए मोबाइल पर मैसेज भेजना शुरू कर दिए हैं. इन मैसेज में उन्हें डराया जा रहा है कि अगर पूरी फीस जमा नहीं की गई तो छात्रों को ना केवल संस्थानों से बाहर कर दिया जाएगा, बल्कि उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जाएगा.

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विजेंद्र मेहरा ने कहा कि सुंदरनगर के खिलरा स्थित मां हाटेश्वरी नर्सिंग कॉलेज का हवाला देते हुए कहा है कि कॉलेज में पिछले 7 महीने से कोई कक्षा नहीं लगी है. छात्राएं एक भी दिन हॉस्टल में नहीं रुके हैं. इसके बाद भी प्रतिमाह 4300 रुपये फीस के हिसाब से 7 महीने की कुल हॉस्टल फीस 30 हजार रुपये जमा करवाने का दबाव प्रबंधन की ओर से बनाया जा रहा है. वहीं, संस्थान की ओर से यह कहा जा रहा है कि जो छात्र इस फीस को जमा नहीं करेंगे. उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा.

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छात्र अभिभावक मंच के संयोजक ने कहा कि स्कूल प्रबंधन ने आधे से ज्यादा अध्यापकों, सिक्यूरिटी गार्ड, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को स्कूल से निकाल दिया है. लेकिन इसके बावजूद छात्रों से फीस वसूला जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन ने स्कूल की 80 प्रतिशत फीस टयूशन फीस में परिवर्तित कर दी है. उन्होंने सरकार को चेताया है कि वह अपना यह फैसला जल्द से जल्द वापस ले, जिससे अभिभावकों को राहत मिल सकें.

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Last Updated : Oct 30, 2020, 2:16 PM IST
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