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छोटे बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं अभिभावक, पैरेंट एसोसिएशन ने सरकार से की ये मांग - Private School Parent Association Shimla

हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार की ओर से जारी स्कूलों में सभी कक्षाओं को शुरू करने के बाद विरोध बढ़ने लगा है. पैरेंट एसोसिएशन के सलाहकार डॉ. संजय पांडे (Parent Association Advisor Dr. Sanjay Pandey) ने प्रदेश सरकार से कैबिनेट के फैसले में संशोधन करने या वापस लेने की मांग की है और कहा कि यदि फिर भी सोमवार से छोटे बच्चों के लिए स्कूल खोले जाते हैं तो पैरेंट एसोसिएशन कोर्ट जाएगी.

parent teacher association meeting
शिमला में पैरेंट्स एसोसिएशन की प्रेस कॉन्फ्रेंस.
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Published : Nov 12, 2021, 6:21 PM IST

Updated : Nov 12, 2021, 7:13 PM IST

शिमला: प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों में सभी कक्षाओं को शुरू करने फैसले को लेकर विवाद बढ़ने लगा है. प्राइवेट स्कूल पैरेंट एसोसिएशन शिमला (Private School Parent Association Shimla) ने सरकार से छात्रों के ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों विकल्प देने और छोटे बच्चों को स्कूल बुलाने के कैबिनेट के फैसले को वापस लेने की मांग की है. अब 15 नवंबर को पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों की भी नियमित कक्षाएं शुरू होने वाली हैं. ऐसे में पैरेंट एसोसिएशन ने साफ कहा है कि यदि सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती है तो एसोसिएशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा.

शिमला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पैरेंट एसोसिएशन के सलाहकार डॉ. संजय पांडे (Parent Association Advisor Dr. Sanjay Pandey) ने कहा कि प्रदेश सरकार से बंद कमरे में कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) कर स्कूलों में सभी कक्षाओं की नियमित पढ़ाई शुरू करने का फैसला तो ले लिया है, लेकिन कोरोना संकट को देखते हुए अभिभावक इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभिभावकों के मन में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल हैं.

बता दें कि प्रदेश सरकार ने आठवीं से बारहवीं कक्षा की नियमित कक्षाएं शुरू की हैं. अभिभावकों इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन 5 साल के छोटे बच्चों के लिए यह फैसला अभी ठीक नहीं हैं. सरकार को कोरोना संक्रमण पूरी तरह से खत्म होने का इंतजार करना चाहिए. उसके बाद ही छोटे बच्चों की कक्षाएं शुरू करनी चाहिए. तब तक छोटे बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास जारी रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार ने किस आधार पर यह फैसला लिया इसकी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल हाईकोर्ट ने JBT बनाम BEd केस में फैसला रखा सुरक्षित

डॉ. संजय पांडे ने कहा कि अभिभावकों को यह जानने का अधिकारी है कि स्कूल प्रबंधनों द्वारा कोरोनो संक्रमण से बचाव के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं. उन्होंने मांग की है कि अभिभावकों को ये छूट दी जाए कि वह अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं कि नहीं. साथ ही उन्होंने 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए कोविड टीकाकरण कार्यक्रम (covid vaccination program) जल्द शुरू करने की भी मांग की है.

इस अवसर पर वरिष्ठ सदस्य अनिल गोयल ने कहा कि इस संबंध में पैरेंट एसोसिएशन ने उपायुक्त से भी मुलाकात की है और कुछ प्राइवेट स्कूलों के ऑफलाइन कक्षाएं शुरू कर दी हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल स्टाफ की वेतन बढ़ोतरी का हवाला देकर पूरी फीस ले रहे हैं, ऐसे में श्रम आयुक्त को स्कूलों का निरीक्षण कर जांच करनी चाहिए. इसके अलावा पैरेंट एसोसिएशन के सदस्य अभिभावक संदीप वर्मा और रीना ने कहा कि बच्चों को सिर्फ 10 से 15 दिन के लिए स्कूल बुलवाने की फैसला तर्क संगत नहीं है, वह कोविड-19 के चलते अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं. साथ ही अभिभावकों को सिर्फ ट्यूशन फीस लिए जाने की भी मांग की है.

ये भी पढ़ें: लाहौल स्पीति में स्थानीय लोगों की मदद से होमस्टे चला रहीं शैलजा, 21 राज्यों में 100 से अधिक होमस्टे का नेटवर्क

शिमला: प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों में सभी कक्षाओं को शुरू करने फैसले को लेकर विवाद बढ़ने लगा है. प्राइवेट स्कूल पैरेंट एसोसिएशन शिमला (Private School Parent Association Shimla) ने सरकार से छात्रों के ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों विकल्प देने और छोटे बच्चों को स्कूल बुलाने के कैबिनेट के फैसले को वापस लेने की मांग की है. अब 15 नवंबर को पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों की भी नियमित कक्षाएं शुरू होने वाली हैं. ऐसे में पैरेंट एसोसिएशन ने साफ कहा है कि यदि सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती है तो एसोसिएशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा.

शिमला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पैरेंट एसोसिएशन के सलाहकार डॉ. संजय पांडे (Parent Association Advisor Dr. Sanjay Pandey) ने कहा कि प्रदेश सरकार से बंद कमरे में कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) कर स्कूलों में सभी कक्षाओं की नियमित पढ़ाई शुरू करने का फैसला तो ले लिया है, लेकिन कोरोना संकट को देखते हुए अभिभावक इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभिभावकों के मन में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल हैं.

बता दें कि प्रदेश सरकार ने आठवीं से बारहवीं कक्षा की नियमित कक्षाएं शुरू की हैं. अभिभावकों इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन 5 साल के छोटे बच्चों के लिए यह फैसला अभी ठीक नहीं हैं. सरकार को कोरोना संक्रमण पूरी तरह से खत्म होने का इंतजार करना चाहिए. उसके बाद ही छोटे बच्चों की कक्षाएं शुरू करनी चाहिए. तब तक छोटे बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास जारी रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार ने किस आधार पर यह फैसला लिया इसकी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए.

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डॉ. संजय पांडे ने कहा कि अभिभावकों को यह जानने का अधिकारी है कि स्कूल प्रबंधनों द्वारा कोरोनो संक्रमण से बचाव के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं. उन्होंने मांग की है कि अभिभावकों को ये छूट दी जाए कि वह अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं कि नहीं. साथ ही उन्होंने 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए कोविड टीकाकरण कार्यक्रम (covid vaccination program) जल्द शुरू करने की भी मांग की है.

इस अवसर पर वरिष्ठ सदस्य अनिल गोयल ने कहा कि इस संबंध में पैरेंट एसोसिएशन ने उपायुक्त से भी मुलाकात की है और कुछ प्राइवेट स्कूलों के ऑफलाइन कक्षाएं शुरू कर दी हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल स्टाफ की वेतन बढ़ोतरी का हवाला देकर पूरी फीस ले रहे हैं, ऐसे में श्रम आयुक्त को स्कूलों का निरीक्षण कर जांच करनी चाहिए. इसके अलावा पैरेंट एसोसिएशन के सदस्य अभिभावक संदीप वर्मा और रीना ने कहा कि बच्चों को सिर्फ 10 से 15 दिन के लिए स्कूल बुलवाने की फैसला तर्क संगत नहीं है, वह कोविड-19 के चलते अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं. साथ ही अभिभावकों को सिर्फ ट्यूशन फीस लिए जाने की भी मांग की है.

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Last Updated : Nov 12, 2021, 7:13 PM IST
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