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ऑनलाइन पढ़ाई से सूख रहा बच्चों की आंखों का पानी, अभिभावक रखें इस बात का ख्याल

लॉकडाउन के बीच बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जा रहा है. जिसकी वजह से बच्चे घंटों मोबाइल पर समय बिता रहे हैं. मोबाइल पर घंटों समय बिताने से बच्चों की आंखों पर इसका दुष्प्रभाव हो रहा है. ईटीवी भारत ने शिमला में नेत्र विभाग के एचओडी प्रो. राम लाल शर्मा से खास बातचीत की.

Online study are effect adverse effects on children's eyes
ऑनलाइन स्टडी का असर.
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Published : May 27, 2020, 7:57 PM IST

Updated : May 28, 2020, 7:23 PM IST

शिमला: कोरोना की संकट के बीच में जब प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. सरकारी और निजी स्कूलों को बंद कर दिया गया है तो ऐसे में छात्रों की पढ़ाई प्रभावित ना हो, इसके लिए अब घर ही पाठशाला बन गए हैं और पढ़ाई का जरिया मोबाइल फोन बन गया है.

ऑनलाइन माध्यम से छात्रों को घरों पर पढ़ाया जा रहा है जिसकी वजह से बच्चे घंटों-घंटों मोबाइल फोन पर बिता रहे हैं. यह मोबाइल फोन अब उन्हें पढ़ाई का ज्ञान देने के साथ ही कई रोग भी दे रहा है. मोबाइल पर घंटों समय बिताने से बच्चों की आंखों पर इसका दुष्प्रभाव हो रहा है.

चिंतित अभिभावक लगातार इस मामले में आईजीएमसी के नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टरों को फोन कॉल के माध्यम से इस बारे में बता रहे हैं कि मोबाइल और कंप्यूटर पर ज्यादा समय बिताने के कारण उनके बच्चों की आंखों में दर्द और जलन हो रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

ऑनलाइन स्टडी का विकल्प आंखों के लिए नुकसानदेह

इस बारे में जब ईटीवी भारत ने शिमला आईजीएमसी में नेत्र डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. राम लाल शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने स्पष्ट किया लॉकडाउन के समय में ऑनलाइन स्टडी का विकल्प बच्चों की आंखों की लिए बेहद हानिकारक साबित हो रहा है. बच्चों को जो कंटेंट मोबाइल पर भेजा जा रहा है. उसे बच्चे मोबाइल से देखकर नोटबुक पर उतार रहे हैं, जिससे उनकी आंखों पर स्ट्रेन आ रहा है. बच्चों की आखों पर इसका असर हो रहा है.

इन कारणों से आखों पर पड़ता है प्रभाव

फोन पर या कंप्यूटर स्क्रीन पर बारीक और छोटा कंटेंट देखने से हमारा ब्लिंकिंग रेट कम होता है, जिससे कॉर्निया सुख जाता है और उस से आंख पर ज्यादा दबाव पड़ता है. इसके साथ ही जब हम फोन की स्क्रीन को ज्यादा नजदीक से देखते हैं तो इससे भी आंख पर दबाव पड़ता है. जिन बच्चों को चश्मा लगा हैं उनका नंबर बढ़ जाता है और जिन बच्चों का चश्मा नहीं लगा उन्हें चश्मा लग जाता है. फोन से निकलने वाला रेडिएशन भी बच्चों के ब्रेन और आंखों के लिए नुकसानदायक है और मानसिक रूप से भी यह बच्चों को प्रभावित करता है.

बच्चों की सेहत के लिए स्कूल उठाए ये कदम

डॉ. राम लाल शर्मा ने बताया कि यह देखा जा रहा है की ऑनलाइन स्टडी में बच्चों को जो कंटेंट दिया जा रहा है. उसे बच्चे फोन से देखकर लिख रहे है जो गलत है. शिक्षकों को जितना हो सके ऑडियो मैटेरियल छात्रों को दें और ऐसा काम ना दिया जाए, जिससे बच्चों को मोबाइल की स्क्रीन पर घंटों अपनी नजर बना कर रखनी पड़े. इसके साथ ही ऑनलाइन क्लास की अवधि को भी कम किया जाना जरूरी है.

अभिभावकों को रखना चाहिए इस बात का ख्याल

वहीं, अभिभावक भी इस बात का ध्यान रखें कि बच्चें को मोबाइल से गैप दिलवाएं. स्टडी के अलावा गेमिंग के लिए बच्चों को मोबाइल का इस्तेमाल ना करने दें. घर पर बार-बार बच्चों की आंखों को ठंडे पानी से धोएं जिससे की आंखों में ड्राइनेस ना हो और आंखों पर जो असर हो रहा है उसे कम किया जा सके.

शिमला: कोरोना की संकट के बीच में जब प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. सरकारी और निजी स्कूलों को बंद कर दिया गया है तो ऐसे में छात्रों की पढ़ाई प्रभावित ना हो, इसके लिए अब घर ही पाठशाला बन गए हैं और पढ़ाई का जरिया मोबाइल फोन बन गया है.

ऑनलाइन माध्यम से छात्रों को घरों पर पढ़ाया जा रहा है जिसकी वजह से बच्चे घंटों-घंटों मोबाइल फोन पर बिता रहे हैं. यह मोबाइल फोन अब उन्हें पढ़ाई का ज्ञान देने के साथ ही कई रोग भी दे रहा है. मोबाइल पर घंटों समय बिताने से बच्चों की आंखों पर इसका दुष्प्रभाव हो रहा है.

चिंतित अभिभावक लगातार इस मामले में आईजीएमसी के नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टरों को फोन कॉल के माध्यम से इस बारे में बता रहे हैं कि मोबाइल और कंप्यूटर पर ज्यादा समय बिताने के कारण उनके बच्चों की आंखों में दर्द और जलन हो रही है.

वीडियो रिपोर्ट.

ऑनलाइन स्टडी का विकल्प आंखों के लिए नुकसानदेह

इस बारे में जब ईटीवी भारत ने शिमला आईजीएमसी में नेत्र डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. राम लाल शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने स्पष्ट किया लॉकडाउन के समय में ऑनलाइन स्टडी का विकल्प बच्चों की आंखों की लिए बेहद हानिकारक साबित हो रहा है. बच्चों को जो कंटेंट मोबाइल पर भेजा जा रहा है. उसे बच्चे मोबाइल से देखकर नोटबुक पर उतार रहे हैं, जिससे उनकी आंखों पर स्ट्रेन आ रहा है. बच्चों की आखों पर इसका असर हो रहा है.

इन कारणों से आखों पर पड़ता है प्रभाव

फोन पर या कंप्यूटर स्क्रीन पर बारीक और छोटा कंटेंट देखने से हमारा ब्लिंकिंग रेट कम होता है, जिससे कॉर्निया सुख जाता है और उस से आंख पर ज्यादा दबाव पड़ता है. इसके साथ ही जब हम फोन की स्क्रीन को ज्यादा नजदीक से देखते हैं तो इससे भी आंख पर दबाव पड़ता है. जिन बच्चों को चश्मा लगा हैं उनका नंबर बढ़ जाता है और जिन बच्चों का चश्मा नहीं लगा उन्हें चश्मा लग जाता है. फोन से निकलने वाला रेडिएशन भी बच्चों के ब्रेन और आंखों के लिए नुकसानदायक है और मानसिक रूप से भी यह बच्चों को प्रभावित करता है.

बच्चों की सेहत के लिए स्कूल उठाए ये कदम

डॉ. राम लाल शर्मा ने बताया कि यह देखा जा रहा है की ऑनलाइन स्टडी में बच्चों को जो कंटेंट दिया जा रहा है. उसे बच्चे फोन से देखकर लिख रहे है जो गलत है. शिक्षकों को जितना हो सके ऑडियो मैटेरियल छात्रों को दें और ऐसा काम ना दिया जाए, जिससे बच्चों को मोबाइल की स्क्रीन पर घंटों अपनी नजर बना कर रखनी पड़े. इसके साथ ही ऑनलाइन क्लास की अवधि को भी कम किया जाना जरूरी है.

अभिभावकों को रखना चाहिए इस बात का ख्याल

वहीं, अभिभावक भी इस बात का ध्यान रखें कि बच्चें को मोबाइल से गैप दिलवाएं. स्टडी के अलावा गेमिंग के लिए बच्चों को मोबाइल का इस्तेमाल ना करने दें. घर पर बार-बार बच्चों की आंखों को ठंडे पानी से धोएं जिससे की आंखों में ड्राइनेस ना हो और आंखों पर जो असर हो रहा है उसे कम किया जा सके.

Last Updated : May 28, 2020, 7:23 PM IST
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