शिमला: काेराेना काल में अब आईजीएमसी में सामान्य मरीजाें (General patients in IGMC) की भीड़ बढ़ने लगी है. आईजीएमसी में आजकल माैसमी वायरल के मरीज आ रहे हैं. आलम यह है कि अब आईजीएमसी के हर वार्ड में लगभग सभी बेड पर दाे-दाे मरीज एडमिट हैं. इतना ही नहीं काेराेना मरीजाें के लिए जाे मेकशिफ्ट अस्पताल बनाया गया था, उनमें भी सामान्य मरीजाें काे रखना शुरू कर दिया गया है. मेकशिफ्ट वार्ड में अभी भी आईजीएमसी में 10 से 15 मरीज एडमिट किए जा चुके हैं.
जानकारी के अनुसार राेजाना यहां पर दाे से तीन मरीजाें काे एडमिट किया जा रहा है. हालांकि इसमें ज्यादातर मरीज ऐसे हैं, जाे काेविड से रिकवर हाेकर आए हैं. जिस तरह से आईजीएमसी में मरीज आ रहे हैं, मेकशिफ्ट अस्पताल भी अगले सप्ताह तक फुल हाे जाएगा और यहां पर भी एक बेड पर दाे मरीजाें काे रखने की नाैबत आ जाएगी. हालांकि डाॅक्टर किसी मरीज काे एडमिट करने से मना नहीं कर सकते.
बात दें कि आईजीएमसी में इन दिनों भीड़ काफी ज्यादा है. ऐसे में जब भी काेई मरीज आपीडी में जांच के लिए आ रहा है और डॉक्टर काे लगता है कि उसे एडमिट करना है, ताे डॉक्टर पहले ही मरीज काे पहले ही बता रहे हैं कि वार्डाें में बेड फुल है, ऐसे में अगर एडमिट हाेना है ताे दूसरे मरीज के साथ एडजस्ट करना पड़ेगा. हालांकि जिन मरीजाें काे लगता है कि वह एडजस्ट कर लेंगे वह एडमिट हाे रहे हैं, जबकि अन्य मरीज दवाएं लिखवाकर घर चले जाते हैं.
इंफेक्शन का रहता है डर: दरअसल कोरोना संक्रमण के कारण आजकल एक बेड पर दाे-दाे मरीजाें काे रखना आजकल सबसे ज्यादा खतरनाक है. यदि एक मरीज काे इंफेक्शन हाे ताे दूसरे मरीज काे भी इंफेक्शन हाेने का डर बना रहता है. वहीं, मरीजाें का इम्यून सिस्टम काफी वीक रहता है. ऐसे में यदि एक मरीज काे काेराेना हाे गया ताे दूसरे काे भी हाेना तय है. वहीं, अगर मरीज इंफेक्टेड हाेता है, उससे डाॅक्टराें काे भी काेराेना हाेने का डर बना रहेगा. ऐसे में एक बेड पर दाे-दाे मरीजाें एडमिट करना काफी खतरनाक साबित हाे सकता है.
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