शिमला: राजधानी शिमला में इन दिनों लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं. लोगों को तीन से चार दिन बाद पानी दिया (Supply of water in shimla) जा रहा है. वहीं, पानी की किल्लत को लेकर शिमला नागरिक सभा ने शिमला में पानी आपूर्ति करने वाली कंपनी जल प्रबंधन निगम और नगर निगम शिमला के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बुधवार को नागरिक सभा ने जल प्रबंधन निगम कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर नारेबाजी (Nagrik Sabha Protest outside SJPNL office) की. साथ ही जल निगम पर लोगों को पानी मुहैया न करवाने के आरोप लगाए.
शिमला नागरिक सभा (Nagrik Sabha Shimla) के संयोजक संजय चौहान ने कहा कि शिमला शहर में मार्च महीने में ही पानी का संकट खड़ा हो गया है और अभी भी लोगों को 5 दिन बाद पानी दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर 10 दिन बाद पानी मिल रहा है. सरकार ने पानी का निजीकरण कर शहर में पानी की आपूर्ति के लिए एसजेपीएनएल को सौंप था, लेकिन कंपनी पानी का वितरण करने में नाकाम साबित हुई है.
उन्होंने कहा कि पहले शिमला में 30 एमएलडी पानी की सप्लाई से शहर को नियमित रूप से पानी मिलता था, लेकिन आज 40 एमएलडी पानी आने के बावजूद भी शहर के लोगों को तीसरे दिन पानी की सप्लाई दी जा रहा है. यही नहीं पानी के रेट भी जल निगम ने बढ़ा दिए हैं और लोगों को भारी-भरकम बिल थमाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार हर साल शिमला में पानी के रेट 10 फीसदी तक बढ़ा देती है, जो सरासर गलत है.
सरकार ने पानी के रेट में जो वृद्धि की है, उसे तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए. इसके अलावा सीवरेज सेस के नाम पर जो लूट लोगों से की जा रही है, उसे बंद किया जाए. उन्होंने कहा कि यदि सरकार समय रहते व्यवस्था नहीं सुधारती है, तो शिमला नागरिक सभा आने वाले समय में उग्र आंदोलन शुरू करेगी.
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