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प्रदेश में तेजी से फैल रहा साइबर अपराध! 10 महीने में 4374 से अधिक शिकायतें दर्ज

आधुनिकता के इस दौर में सबकुछ ऑनलाइन हो रहा है, ऐसे में साइबर ठगी के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. डिजिटल होते दौर में साइबर ठगी के जरिए रोजाना सैकड़ों लोगों को आए दिन लाखों रुपये का चूना लगाया जाता है. हिमाचल में भी साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

साइबर अपराध
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Published : Oct 28, 2021, 6:22 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराध तेजी से पैर पसार रहा है. जागरूकता अभियान के बाद भी लोग शातिरों के झांसे में आकर ठगी के शिकार हो रहे हैं. अगर आंकड़ों पर गौर करें तो हिमाचल प्रदेश में इस साल फाइनेंशियल ठगी के मामले बढ़े हैं.

ठगी के 4374 मामले दर्ज

जनवरी 2021 से लेकर 23 अक्टूबर 2021 तक 4374 मामले ठगी के दर्ज हुए हैं. जिसमें फाइनेंशियल फ्रॉड के 1679 मामले हैं. सोशल नेटवर्किंग के 1453, अन्य शिकायत 1102, मोबाइल गुम होने के 140 मामले सामने आए हैं. जबकि जनवरी में 364 शिकायत दर्ज हुई. फरवरी में 347 और मार्च में 402 शिकायत दर्ज हुई. जानकारी के अनुसार अप्रैल में 399, मई में 573, जून में 322, जुलाई में 514, अगस्त में 561, सितंबर में 557 और 23 अक्टूबर तक 335 मामले दर्ज हो चुके हैं.

वीडियो

साइबर विभाग पुलिस थाना शिमला ने गंभीरता से जांच करते हुए ज्यादतर मामले सुलझा लिए हैं और पीड़ितों को पैसे भी वापस करवा दिए हैं. साहिबाबाद पुलिस थाना शिमला ने जनवरी से लेकर 23 अक्टूबर तक 3182496 रुपये वापिस दिला दिए हैं, जबकि 15 लाख के लगभग प्रोसेस में है. जल्द ही वह भी पीड़ितों को वापिस करवा दिए जाएंगे.

साइबर विभाग शिमला ने इस साल 57 मोबाइल भी खोज निकाले हैं, जो कि लोगों के गुम हो चुके थे. इस संबंध में साइबर पुलिस थाना शिमला के एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि लापरवाही के चलते लोग साइबर ठग के शिकार हो रहे हैं. आए दिन शातिर ठगी की वारदात को अंजाम रहे हैं.

फाइनेंशियल फ्रॉड के मामले

फाइनेंशियल फ्रॉड से संबंधित कई मामले भी सामने आए हैं. ठग लॉटरी, इनाम, एटीएम ब्लॉक होना, बैंक खाता वेरिफिकेशन कराने जैसी बातों में फंसाकर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं. शातिर लोगों के डेबिट और क्रेडिट कार्ड की जानकारी हासिल कर बैंक खातों से पैसा उड़ा रहे हैं. बैंक, आरबीआई, इंश्योरेंस कंपनियों के कर्मचारी बनकर डेबिट, क्रेडिट कार्ड, आधार और पैन कार्ड की डिटेल लेकर शातिर लोगों को चूना लगा रहे हैं.

साइबर क्राइम थाना शिमला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरवीर सिंह राठौर ने कहा कि लोग सोशल मीडिया का उपयोग सावधानी से करें. वर्तमान में कई साइबर ठग सक्रिय रहते हैं और आपके खाते को हैक कर आपका डेटा चुरा सकते हैं. नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि मोबाइल पर कई तरह के लिंक आते हैं, उसे बिना जाने ना खोले अन्यथा ठगी का शिकार हो जाएंगे.

साइबर पुलिस के मुताबिक उपरोक्त संदेश व अन्य लिंक द्वारा भेजे गए मिलिसीएस लिंक से आप अपनी सुरक्षा कर सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि ईमेल, सोशल मीडिया या एसएमएस के जरिए प्राप्त संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचा जाए. भले ही किसी विश्वसनीय व्यक्ति से भेजा गया हो. साथ में हमेशा अपने ब्राउजर में लिंक टाइप करके ही खोजा जाए.

सोशल मीडिया का सावधानी से करें इस्तेमाल

नरवीर सिंह राठौर ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि वह किसी भी प्रकार के साइबर अपराध की सूचना तुरंत नजदीकी पुलिस थाना व राज्य साइबर अपराध थाना शिमला में दें, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके. लोगों को सतर्कता के साथ ऑनलाइन माध्यम का इस्तेमाल करना चाहिए. यदि लोग इस समझदारी और सतर्कता के साथ ऑनलाइन ऐप या अन्य ऑनलाइन चीजों इस्तेमाल करेंगे, तो धोखाधड़ी की आशंका कम हो जाती है.

सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को नया आयाम दे दिया है. आज प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी डर के सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार रखकर हजारों लोगों तक पहुंच सकता है, लेकिन सोशल मीडिया का सावधानीपूर्वक उपयोग करके ऑनलाइन ठगी और साइबर अपराध के गंभीर खतरों से बचा सकता है.

ये भी पढ़ें: उपचुनाव: राठौर ने जीत का किया दावा, बीजेपी पर चुनाव प्रभावित करने के लगाए आरोप

शिमला: हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराध तेजी से पैर पसार रहा है. जागरूकता अभियान के बाद भी लोग शातिरों के झांसे में आकर ठगी के शिकार हो रहे हैं. अगर आंकड़ों पर गौर करें तो हिमाचल प्रदेश में इस साल फाइनेंशियल ठगी के मामले बढ़े हैं.

ठगी के 4374 मामले दर्ज

जनवरी 2021 से लेकर 23 अक्टूबर 2021 तक 4374 मामले ठगी के दर्ज हुए हैं. जिसमें फाइनेंशियल फ्रॉड के 1679 मामले हैं. सोशल नेटवर्किंग के 1453, अन्य शिकायत 1102, मोबाइल गुम होने के 140 मामले सामने आए हैं. जबकि जनवरी में 364 शिकायत दर्ज हुई. फरवरी में 347 और मार्च में 402 शिकायत दर्ज हुई. जानकारी के अनुसार अप्रैल में 399, मई में 573, जून में 322, जुलाई में 514, अगस्त में 561, सितंबर में 557 और 23 अक्टूबर तक 335 मामले दर्ज हो चुके हैं.

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साइबर विभाग पुलिस थाना शिमला ने गंभीरता से जांच करते हुए ज्यादतर मामले सुलझा लिए हैं और पीड़ितों को पैसे भी वापस करवा दिए हैं. साहिबाबाद पुलिस थाना शिमला ने जनवरी से लेकर 23 अक्टूबर तक 3182496 रुपये वापिस दिला दिए हैं, जबकि 15 लाख के लगभग प्रोसेस में है. जल्द ही वह भी पीड़ितों को वापिस करवा दिए जाएंगे.

साइबर विभाग शिमला ने इस साल 57 मोबाइल भी खोज निकाले हैं, जो कि लोगों के गुम हो चुके थे. इस संबंध में साइबर पुलिस थाना शिमला के एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि लापरवाही के चलते लोग साइबर ठग के शिकार हो रहे हैं. आए दिन शातिर ठगी की वारदात को अंजाम रहे हैं.

फाइनेंशियल फ्रॉड के मामले

फाइनेंशियल फ्रॉड से संबंधित कई मामले भी सामने आए हैं. ठग लॉटरी, इनाम, एटीएम ब्लॉक होना, बैंक खाता वेरिफिकेशन कराने जैसी बातों में फंसाकर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं. शातिर लोगों के डेबिट और क्रेडिट कार्ड की जानकारी हासिल कर बैंक खातों से पैसा उड़ा रहे हैं. बैंक, आरबीआई, इंश्योरेंस कंपनियों के कर्मचारी बनकर डेबिट, क्रेडिट कार्ड, आधार और पैन कार्ड की डिटेल लेकर शातिर लोगों को चूना लगा रहे हैं.

साइबर क्राइम थाना शिमला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरवीर सिंह राठौर ने कहा कि लोग सोशल मीडिया का उपयोग सावधानी से करें. वर्तमान में कई साइबर ठग सक्रिय रहते हैं और आपके खाते को हैक कर आपका डेटा चुरा सकते हैं. नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि मोबाइल पर कई तरह के लिंक आते हैं, उसे बिना जाने ना खोले अन्यथा ठगी का शिकार हो जाएंगे.

साइबर पुलिस के मुताबिक उपरोक्त संदेश व अन्य लिंक द्वारा भेजे गए मिलिसीएस लिंक से आप अपनी सुरक्षा कर सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि ईमेल, सोशल मीडिया या एसएमएस के जरिए प्राप्त संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचा जाए. भले ही किसी विश्वसनीय व्यक्ति से भेजा गया हो. साथ में हमेशा अपने ब्राउजर में लिंक टाइप करके ही खोजा जाए.

सोशल मीडिया का सावधानी से करें इस्तेमाल

नरवीर सिंह राठौर ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि वह किसी भी प्रकार के साइबर अपराध की सूचना तुरंत नजदीकी पुलिस थाना व राज्य साइबर अपराध थाना शिमला में दें, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके. लोगों को सतर्कता के साथ ऑनलाइन माध्यम का इस्तेमाल करना चाहिए. यदि लोग इस समझदारी और सतर्कता के साथ ऑनलाइन ऐप या अन्य ऑनलाइन चीजों इस्तेमाल करेंगे, तो धोखाधड़ी की आशंका कम हो जाती है.

सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को नया आयाम दे दिया है. आज प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी डर के सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार रखकर हजारों लोगों तक पहुंच सकता है, लेकिन सोशल मीडिया का सावधानीपूर्वक उपयोग करके ऑनलाइन ठगी और साइबर अपराध के गंभीर खतरों से बचा सकता है.

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