शिमला: आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझते छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल के लिए यह चिंता की खबर है. हिमाचल में बेरोजगारी का आलम यह है कि पुलिस विभाग में 1334 कॉन्स्टेबल के पदों के लिए डेढ़ लाख से अधिक आवेदन आ चुके हैं. 30 अक्टूबर को आवेदन करने की अंतिम तारीख है. ऐसे में ये संख्या बढ़कर 2 लाख भी हो सकती है. इससे भी बड़ी चिंता की बात है यह कि आवेदन करने वालों में एमए व एमफिल डिग्रीधारक भी शामिल हैं.
हिमाचल की आबादी करीब 70 लाख है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 9 लाख के करीब बेरोजगार युवा हैं. समाजशास्त्रियों के अनुसार पुलिस भर्ती का यह मामला वर्दी पहनने के क्रेज से अधिक बेरोजगारी से जुड़ा हुआ है. महज 1334 पदों के लिए डेढ़ लाख से अधिक आवेदन आना बेरोजगारी की विकट समस्या की तरफ संकेत कर रहा है.
कॉन्स्टेबल के 1334 पदों में से 932 पुरुष और 311 पद महिला के लिए है. साथ ही 91 पद ड्राइवर के भी हैं. हिमाचल में निजी सेक्टर में बेशक इंडस्ट्री में रोजगार है, लेकिन उसके लिए कुशल श्रमिकों का अभाव है. बीबीएन में एशिया का फॉर्मा हब है. यहां सालाना 40 हजार करोड़ की दवाईयां बनती हैं, लेकिन कुशल श्रमिकों के अभाव में हिमाचल के युवाओं को रोजगार नहीं मिल पाता. वहीं, सरकारी सेक्टर में भी सीमित विकल्प है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो 8,27,712 युवा बेरोजगार हैं. प्रदेश में सर्वाधिक 1,77,404 बेरोजगार कांगड़ा जिला में हैं. इसके अलावा लाहौल-स्पीति जिला में सबसे कम 5,028 पंजीकृत हैं. हैरानी की बात यह है कि बीते साल के मुकाबले रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं की संख्या कम हुई है. बीते साल पंजीकृत बेरोजगारों का आंकड़ा 8,49,371था, जो अब 8,27,712 तक पहुंच गया है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 96,026 नए युवाओं ने भी रोजगार कार्यालय में पंजीकरण करवाया है. एक सर्वे के अनुसार हिमाचल रोजगार देने में पिछड़ा है. सर्वे में बताया गया है कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर 16 फीसदी के करीब पहुंच गई है. जिस कारण बेरोजगारी में दिल्ली और हरियाणा के बाद हिमाचल का नाम तीसरे स्थान पर पहुंच गया है.
ऐसा नहीं है कि बेरोजगारी का संकट अभी का है. एक दशक से भी अधिक समय से हिमाचल में सरकारी नौकरियों के लिए मारामारी होती आई है. यहां तक की सचिवालय में माली की नौकरी के लिए भी एमए पास युवाओं ने आवेदन किए हैं. वर्ष 2016 में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान भी पटवारियों की भर्ती के दौरान यह विकट आंकड़ा देखने में आया था. सिर्फ 1120 पदों के लिए 2 लाख से अधिक आवेदन आ गए थे. वर्ष 2016 में हालात यह थी कि जिस नौकरी के लिए शैक्षणिक योग्यता महज 12वीं क्लास पास होना था, उसके लिए एमए पास युवा भी लाइन में लगे.
यह कोई पहली बार नहीं है कि राजस्व विभाग में इतने आवेदन आए हैं. इससे पहले भी दो बार पटवारियों के पदों को भरने के लिए आवेदन मांगे गए थे. तब वर्ष 2013-14 में 1 लाख से अधिक युवाओं ने नौकरी के लिए आवेदन किया था. उसके बाद वर्ष 2014-15 में भी सरकार ने पटवारियों के पदों को भरने का फैसला लिया था. उस समय भी 1.70 लाख के करीब युवाओं ने फॉर्म भरे थे. इस बार तो आंकड़ा और भी बढ़ गया है. हालांकि पटवारी के पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं यानी प्लस टू कक्षा पास होना है, लेकिन इस नौकरी के लिए एमए पास युवा भी लाइन में लगे. इन पदों के लिए 1120 पदों के लिए दो लाख से अधिक बेरोजगारों ने आवेदन किए.
हिमाचल प्रदेश में जब भी सरकारी सेक्टर में भर्ती का अवसर आता है, तो प्रक्रिया विवादों में घिर जाती है. फिर मामला पथ परिवहन निगम का हो, पटवारी भर्ती या फिर पुलिस भर्ती का. हिमाचल में पुलिस भर्ती एक ऐसा रोजगार का माध्यम है, जिसके लिए युवाओं में भी क्रेज रहता है. बेशक शुरुआत में सैलरी मामूली हो, लेकिन सरकारी नौकरी में सुरक्षा का बोध रहता है.
हिमाचल पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू के अनुसार इस बार भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है. संबंधित जिला के एसपी खुद निगरानी करेंगे. साथ ही पुलिस मुख्यालय भी हर प्रक्रिया पर नजर रखेगा. भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर किसी को सवाल उठाने का मौका न मिले, इसके लिए इस बार खास तैयारियां की गई है.
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