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रामपुर के बागीपुल में दूध उत्पादकों ने की बैठक, सरकार को घेरने को लेकर बनाई रणनीति

हिमाचल दूध उत्पादक संघ के आह्वान पर शुक्रवार को दूध उत्पादकों की समस्याओं को लेकर निरमंड ब्लॉक के बागीपुल मे बैठक का आयोजन किया (Milk producers held a meeting in Bagipul) गया. बैठक में दूध उत्पादकों की समस्याओं पर चर्चा की गई और 24 फरवरी को टिकरी में मिल्क फेडरेशन चिलिंग प्लांट के बाहर प्रदर्शन, 7 मार्च को दत्तनगर में मिल्क फेडरेशन का घेराव और क्रमिक अनशन की तैयारियों पर चर्चा की गई.

Himachal Milk Producers Association
हिमाचल दूध उत्पादक संघ
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Published : Feb 18, 2022, 7:09 PM IST

रामपुर: हिमाचल दूध उत्पादक संघ के आह्वान पर शुक्रवार को दूध उत्पादकों की समस्याओं को लेकर निरमंड ब्लॉक के बागीपुल मे बैठक का आयोजन (Milk producers held a meeting in Bagipul) किया गया. जिसमें कोट, कोटि, डीम, चायल, सराहन, जुआगी, नोर पंचायत के दूध उत्पादकों ने हिस्सा लिया. बैठक में दूध उत्पादकों की समस्याओं पर चर्चा की गई और 24 फरवरी को टिकरी में मिल्क फेडरेशन चिलिंग प्लांट (Milk Federation Chilling Plant Tikri) के बाहर प्रदर्शन, 7 मार्च को दत्तनगर में मिल्क फेडरेशन का घेराव और क्रमिक अनशन की तैयारियों पर चर्चा की गई.

बैठक में हिमाचल किसान सभा (Himachal Kisan Sabha) निरमंड ब्लॉक के अध्यक्ष पूरण ठाकुर विशेष रूप से मौजूद रहे. बैठक में उपस्थित सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में दूध उत्पादकों को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. दूध उत्पादकों को न तो दूध का उचित दाम मिल रहा है और न ही दूध की पेमेंट समय पर मिल रही है. दूध के दाम पानी से भी कम मिल रहे हैं, जिससे कि इन परिवारों को अपने परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा दूध उत्पादकों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बना रही हैं. बजट का भी अभाव है, जिससे कि पेमेंट मिलने का कोई निश्चित समय नहीं है और कभी-कभी तो पेमेंट दो माह बाद भी मिल रही है. जिससे कि इन पर दोहरी मार पढ़ रही है. उन्होंने कहा कि दूध उत्पादक संघ ने कई बार दुग्ध उत्पादकों की समस्याएं प्रदेश सरकार के सामने रखी हैं, परंतु प्रदेश सरकार इनकी समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है. जिससे कि दूध आज पानी से भी सस्ता बिक रहा है.

उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में महंगाई लगातार बढ़ रही है, जिससे कि खाद्य वस्तुओं के अलावा पशुओं को मिलने वाले पशु आहार, फीड व दवाई के दाम भी बढ़े हैं. जिससे कि दूध को पैदा करने मे लागत भी बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के चलते किसानी और पशु पालन घाटे का सौदा बन रहा है. उन्होंन कहा कि 31 जनवरी को दूध उत्पादक संघ ने प्रदेश सरकार को 8 सूत्रीय मांग पत्र दिया है, जिसमें मुख्य रूप से दूध का दाम 40 रुपये प्रति लीटर करने, दूध की पेमेंट हर महीने 10 तारीख से पहले दी जाने, पशु आहार पर सब्सिडी दिए जाने, डिपुओं के माध्यम से उपलब्ध करवाया जाने, पशु औषधालयों में खाली पदों को भरने, मिल्क फेडरेशन के बजट को 50 करोड़ किए जाने और सभी सोसायटी में दूध की गुणवत्ता को मापने के लिए टेस्टिंग मशीन जैसी मांगे शामिल है.

बैठक में 15 सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया, जिसमें सुमित्रा देवी को अध्यक्ष, सुषमा देवी को सचिव, गब्बर सिंह, बिहारी लाल, उषा, परमिंदर, शकुंतला, नूरमा देवी, आशा, तिलका देवी, सौंपती, फुला, नारा देवी, आमना देवी, मथरा देवी को सदस्य बनाया गया. बैठक में रूप सिंह, पाल्मा देवी, प्रभा देवी, ठाकुर दस और विमला देवी समेत कई सदस्य उपस्थित हुए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कुर्सी पर राजनीति: कुलदीप राठौर बोले- कांग्रेस की चिंता छोड़ अपनी कुर्सी की चिंता करें जयराम

रामपुर: हिमाचल दूध उत्पादक संघ के आह्वान पर शुक्रवार को दूध उत्पादकों की समस्याओं को लेकर निरमंड ब्लॉक के बागीपुल मे बैठक का आयोजन (Milk producers held a meeting in Bagipul) किया गया. जिसमें कोट, कोटि, डीम, चायल, सराहन, जुआगी, नोर पंचायत के दूध उत्पादकों ने हिस्सा लिया. बैठक में दूध उत्पादकों की समस्याओं पर चर्चा की गई और 24 फरवरी को टिकरी में मिल्क फेडरेशन चिलिंग प्लांट (Milk Federation Chilling Plant Tikri) के बाहर प्रदर्शन, 7 मार्च को दत्तनगर में मिल्क फेडरेशन का घेराव और क्रमिक अनशन की तैयारियों पर चर्चा की गई.

बैठक में हिमाचल किसान सभा (Himachal Kisan Sabha) निरमंड ब्लॉक के अध्यक्ष पूरण ठाकुर विशेष रूप से मौजूद रहे. बैठक में उपस्थित सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में दूध उत्पादकों को बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. दूध उत्पादकों को न तो दूध का उचित दाम मिल रहा है और न ही दूध की पेमेंट समय पर मिल रही है. दूध के दाम पानी से भी कम मिल रहे हैं, जिससे कि इन परिवारों को अपने परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो रहा है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा दूध उत्पादकों के लिए कोई ठोस नीति नहीं बना रही हैं. बजट का भी अभाव है, जिससे कि पेमेंट मिलने का कोई निश्चित समय नहीं है और कभी-कभी तो पेमेंट दो माह बाद भी मिल रही है. जिससे कि इन पर दोहरी मार पढ़ रही है. उन्होंने कहा कि दूध उत्पादक संघ ने कई बार दुग्ध उत्पादकों की समस्याएं प्रदेश सरकार के सामने रखी हैं, परंतु प्रदेश सरकार इनकी समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है. जिससे कि दूध आज पानी से भी सस्ता बिक रहा है.

उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में महंगाई लगातार बढ़ रही है, जिससे कि खाद्य वस्तुओं के अलावा पशुओं को मिलने वाले पशु आहार, फीड व दवाई के दाम भी बढ़े हैं. जिससे कि दूध को पैदा करने मे लागत भी बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के चलते किसानी और पशु पालन घाटे का सौदा बन रहा है. उन्होंन कहा कि 31 जनवरी को दूध उत्पादक संघ ने प्रदेश सरकार को 8 सूत्रीय मांग पत्र दिया है, जिसमें मुख्य रूप से दूध का दाम 40 रुपये प्रति लीटर करने, दूध की पेमेंट हर महीने 10 तारीख से पहले दी जाने, पशु आहार पर सब्सिडी दिए जाने, डिपुओं के माध्यम से उपलब्ध करवाया जाने, पशु औषधालयों में खाली पदों को भरने, मिल्क फेडरेशन के बजट को 50 करोड़ किए जाने और सभी सोसायटी में दूध की गुणवत्ता को मापने के लिए टेस्टिंग मशीन जैसी मांगे शामिल है.

बैठक में 15 सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया, जिसमें सुमित्रा देवी को अध्यक्ष, सुषमा देवी को सचिव, गब्बर सिंह, बिहारी लाल, उषा, परमिंदर, शकुंतला, नूरमा देवी, आशा, तिलका देवी, सौंपती, फुला, नारा देवी, आमना देवी, मथरा देवी को सदस्य बनाया गया. बैठक में रूप सिंह, पाल्मा देवी, प्रभा देवी, ठाकुर दस और विमला देवी समेत कई सदस्य उपस्थित हुए.

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