शिमला: मंडी में अनिल शर्मा के परिवार का राजनीतिक वजूद किसी से छिपा नहीं है. पंडित सुखराम भले ही बुजुर्ग हो गए हैं, लेकिन उनके नाम का डंका आज भी बजता है. इससे इतर इस समय उनके बेटे विधायक अनिल शर्मा और सीएम जयराम ठाकुर के बीच चल रही राजनीतिक रसूख की लड़ाई की चर्चा अब देश की राजधानी दिल्ली तक सुनाई दे रही है.
राजनीति के जानकारों की मानें तो मंडी के परिणामों ने इस राजनीतिक लड़ाई में सीएम जयराम ठाकुर ने बाजी मारकर विधायक अनिल शर्मा के मंसूबों पर पानी फेर दिया. विधायक का खुले तौर पर पार्टी के लिए बयानबाजी करना आने वाले दिनों में पार्टी में उनके कद को कम करेगा.
घर वापसी आसान, लेकिन टिकट पर फंसेगा पेंच
जानकारों की मानें तो उनकी कांग्रेस में घर वापसी तो आसानी से हो जाएगी, लेकिन पेंच टिकट बटवारे के दौरान फंसेगा. अनिल शर्मा के भाजपा में शामिल होने के बाद और उनके बेटे को भाजपा छोड़कर कांग्रेस से लोकसभा चुनाव का टिकट देने के बाद हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद लगातार कांग्रेस यहां जमीन तैयार करने में लगी है. ऐसे में उनकी घर वापसी तो आसानी से हो जाएगी, लेकिन पेंच टिकट बंटवारे के दौरान फंसने की संभावना ज्यादा रहेगी. जानकारों का मानना है कि कांग्रेस अगर उपचुनावों में एक बार फिर अगर आश्रय शर्मा पर दाव खेलती है या फिर अनिल शर्मा की घर वापसी होती है. अगर कांग्रेस अनिल शर्मा को कांग्रेस चुनावी मैदान में उतारती है तो पार्टी को कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है.
अनिल शर्मा के वार्डों में भाजपा का कब्जा
मंडी के 15 में से 11 वार्डों में भाजपा ने परचम लहराया. माना जा रहा था कि अनिल शर्मा के खुले तौर पर सीएम और मंत्रियों पर जुबानी हमला करने के बाद उनका अंदरूनी समर्थन उनके वार्ड 9 और 11 में कांग्रेस को हासिल था, लेकिन यहां भी भाजपा ने बाजी मारकर विधायक अनिल शर्मा के सियासी कद को कम आंकने पर मजबूर कर दिया.
कहां-कहां से मुक्त होंगे शर्मा
हाल ही में निगम चुनावों की बात की जाए तो विधायक अनिल शर्मा ने खुले तौर पर सीएम जयराम ठाकुर और उनके मंत्रियों पर जुबानी हमला कर इलाके में पार्टी को कमजोर करने की कोशिश की. विधायक ने चुनाव में मोर्चा तो नहीं संभाला, लेकिन प्रचार के अंतिम दिन बाजारों में लोगों के हाथ जोड़ते हुए जरूर नजर आए. अनिल शर्मा ने इसे केवल कोरोना काल में व्यापारियों का हालचाल जानना बताया. वहीं, सीएम जयराम ठाकुर ने मंडी में अनिल शर्मा के चुनाव में मैदान नहीं सभांलने पर सवाल उठाकर उनको जवाब भी दिया. वहीं, मंडी में बड़ी जीत के बाद सीएम ने एक बार फिर मजाक-मजाक में कहा अनिल शर्मा अब कहां-कहां से मुक्त होंगे कहा नहीं जा सकता.
'पुत्र मोह' ने किया बगावत को मजबूर
जानकारों की मानें तो अनिल शर्मा लोकसभा चुनाव में बेटे आश्रय शर्मा का टिकट चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आश्रय ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और बीजेपी ने उनके सामने राम स्वरूप शर्मा को मैदान में उतारा. सांसद शर्मा का कुछ दिनों पहले निधन हुआ हैं, और यहां अब उपचुनाव होना है. चुनाव के दौरान की बात की जाए तो भाजपा ने अनिल शर्मा को बेटे के खिलाफ प्रचार करने की बात कहीं, लेकिन उन्होंने नहीं मानी. उसके बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. उसी दौरान से यह राजनीतिक लड़ाई की कवायद शुरू हुई जो अब खुलकर हो रही है. यहां उपचुनाव कब होगा फिलहाल यह तो तय नहीं है, लेकिन भाजपा से खुल्लम-खुल्ला बगावत कर रहे विधायक अनिल शर्मा के सियासी भविष्य को लेकर राजनैतिक जानकारों का मानना हैं कि स्थिति ऐसी लग रही है कि विधायक न इधर के रहेंगे न उधर के.
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