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किन्नौर के कोठी में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन, महिला कानूनों की दी गई जानकारी - निखिल अग्रवाल

किन्नौर में जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण किन्नौर द्वारा ग्राम पंचायत कोठी में एक विधिक साक्षरता शिविर आयोजित किया गया. कार्यक्रम में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 और महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 और यातायात के नियमों के बारे में जानकारी दी गई.

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किन्नौर के कोठी में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन
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Published : Mar 20, 2021, 7:11 PM IST

किन्नौर: विधिक सेवाएं प्राधिकरण किन्नौर ने आज कल्पा उपमंडल की ग्राम पंचायत कोठी में एक विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया. शिविर की अध्यक्षता सचिव जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण व अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी निखिल अग्रवाल ने की. इसी बीच उन्होंने ग्रामवासियों से आग्रह किया है कि कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करें, ताकि जिले में कोरोना महामारी को फैलने से रोका जा सके.

विभिन्न अधिनियम के बारे में दी गई जानकारी

मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी निखिल अग्रवाल ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को न्याय दिलवाना है. उन्होंने कहा कि शिविर में व्यक्तियों को कानून के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी देने के अलावा सरकार की योजनाओं के बारे जानकारी देना है, ताकि लोग इन योजनाओं से लाभान्वित हो सकें. समारोह में प्रसव पूर्व निदान तकनीक विनियमन व दुरूपयोग निवारण अधिनियम 1994 के प्रावधानों के बारे में भी अवगत करवाया गया. साथ ही अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न एवं छुआछूत निवारण अधिनियम) के बारे में भी जानकारी दी गई.

वीडियो.
महिला सुरक्षा सुरक्षा अधिनियम 2005 के बारे में दी गई जानकारी

वहीं, निखिल अग्रवाल ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 के बारे में बताते हुए कहा कि ये अधिनियम महिलाओं के संवैधानिक एवं कानूनी अधिकारों के संरक्षण के लिए बनाया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाना व उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है. उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा में शारीरिक उत्पीड़न, लैंगिक शोषण, मौखिक व भावनात्मक उत्पीड़न व आर्थिक उत्पीड़न शामिल हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि मेजिस्ट्रेट ऐसे मामलों में आर्थिक राहत के आदेश भी दे सकतें हैं, जिससे पीड़ित महिला अपने व अपने बच्चों का भरण-पोषण कर सके.

महिला अपराधों पर मिलने वाले मुआवजे की दी गई जानकारी

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव निखिल अग्रवाल ने महिलाओं को न्यायालय द्वारा मिलने वाली निशुल्क विधिक सहायता और न्यायालय से महिलाओं के प्रति हुए अपराधों पर मिलने वाले मुआवजे के बारे भी जानकारी दी. साथ ही थाना प्रभारी पदम देव ने यातायात नियमों का पालन ना करने पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के विषय में विस्तृत जानकारी सूचना दी और अधिवक्ता प्रवीण नेगी ने मोटर वाहन अधिनियम व भरण पोषण अधिनियम के विषय पर लोगों को जागरूक किया.

ये भी पढ़ें: मीडिया को 'गोदी मीडिया' बोलने पर भड़के पत्रकार, बाली को मांगनी पड़ी माफी

किन्नौर: विधिक सेवाएं प्राधिकरण किन्नौर ने आज कल्पा उपमंडल की ग्राम पंचायत कोठी में एक विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया. शिविर की अध्यक्षता सचिव जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण व अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी निखिल अग्रवाल ने की. इसी बीच उन्होंने ग्रामवासियों से आग्रह किया है कि कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करें, ताकि जिले में कोरोना महामारी को फैलने से रोका जा सके.

विभिन्न अधिनियम के बारे में दी गई जानकारी

मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी निखिल अग्रवाल ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को न्याय दिलवाना है. उन्होंने कहा कि शिविर में व्यक्तियों को कानून के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी देने के अलावा सरकार की योजनाओं के बारे जानकारी देना है, ताकि लोग इन योजनाओं से लाभान्वित हो सकें. समारोह में प्रसव पूर्व निदान तकनीक विनियमन व दुरूपयोग निवारण अधिनियम 1994 के प्रावधानों के बारे में भी अवगत करवाया गया. साथ ही अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न एवं छुआछूत निवारण अधिनियम) के बारे में भी जानकारी दी गई.

वीडियो.
महिला सुरक्षा सुरक्षा अधिनियम 2005 के बारे में दी गई जानकारी

वहीं, निखिल अग्रवाल ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 के बारे में बताते हुए कहा कि ये अधिनियम महिलाओं के संवैधानिक एवं कानूनी अधिकारों के संरक्षण के लिए बनाया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाना व उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है. उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा में शारीरिक उत्पीड़न, लैंगिक शोषण, मौखिक व भावनात्मक उत्पीड़न व आर्थिक उत्पीड़न शामिल हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि मेजिस्ट्रेट ऐसे मामलों में आर्थिक राहत के आदेश भी दे सकतें हैं, जिससे पीड़ित महिला अपने व अपने बच्चों का भरण-पोषण कर सके.

महिला अपराधों पर मिलने वाले मुआवजे की दी गई जानकारी

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव निखिल अग्रवाल ने महिलाओं को न्यायालय द्वारा मिलने वाली निशुल्क विधिक सहायता और न्यायालय से महिलाओं के प्रति हुए अपराधों पर मिलने वाले मुआवजे के बारे भी जानकारी दी. साथ ही थाना प्रभारी पदम देव ने यातायात नियमों का पालन ना करने पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के विषय में विस्तृत जानकारी सूचना दी और अधिवक्ता प्रवीण नेगी ने मोटर वाहन अधिनियम व भरण पोषण अधिनियम के विषय पर लोगों को जागरूक किया.

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