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IGMC में दोनों किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन रहा सफल, दिल्ली एम्स से आई थी टीम

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में सोमवार को हुए दोनों किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा. ऑपरेशन सुबह साढ़े सात बजे से शुरू हुआ और दोपहर ढाई बजे तक ऑपरेशन हुआ. पहले ऑपरेश करने में डॉक्टरों को थोड़ी परेशानी आई, लेकिन ऑपरेशन सफल हुआ है. फिलहाल, दोनों मरीजों को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है. दोनों मरीजों पर साढ़े तीन-तीन लाख रुपए खर्च हुए हैं.

kidney transplant in igmc
आईजीएमसी में किडनी ट्रांसप्लांट
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Published : Aug 23, 2021, 9:40 PM IST

शिमला: आईजीएमसी में सोमवार को दो किडनी ट्रांसप्लांट हुए है. दोनों मरीजों के सफल ऑपरेशन हुए है. मरीजों के किडनी ट्रांसप्लांट दिल्ली एम्स के तीन डॉक्टर सहित आईजीएमसी के डॉक्टरों द्वारा किए गए है. दिल्ली एम्स से दो सर्जन व एक एनेस्थीसिया के डॉक्टर आए हैं. दोनों मरीजों पर साढ़े तीन-तीन लाख रुपए खर्च हुए हैं. किडनी ट्रांसप्लांट में आईजीएमसी के प्रिंसिपल सुरेंद्र ठाकुर, एमएस डॉ. जनक राज और डॉ. राहुल गुप्ता का सबसे ज्यादा सहयोग रहा. आईजीएमसी प्रशासन का कहना है कि हालात सामान्य रहने पर अब समय-समय पर ऑपरेशन होते रहेंगे.

पहला ऑपरेशन करसोग के गोपलपुर निवासी 32 वर्षीय बलदेव कुमार मरीज का हुआ. मरीज को ऑपरेशन थियेटर में सुबह 7:30 बजे ले गए और 8:30 बजे से ऑपरेशन शुरू हुआ. पहला ऑपरेशन 12:30 बजे तक चला. वहीं, दूसरे मरीज भरमौर के रहने वाले 28 वर्षीय विनोद कुमार को 12:15 बजे पर ऑपरेशन थियेटर ले गए थे. यह ऑपरेशन 12:30 बजे से शुरू हुआ और 2:30 बजे तक चला.

बताया जा रहा है कि पहले ऑपरेश करने में डॉक्टरों को थोड़ी परेशानी आई, लेकिन ऑपरेशन सफल हुआ है. करसोग गोपालपुर के रहने वाले मरीज को उसके पिता मानसिंह ने किडनी दी है और भरमौर के मरीज को उसके पिता शंकर ने किडनी दी है. आईजीएमसी में यह चौथा और पांचवा किडनी ट्रासप्लांट हुआ है. इससे पहले तीन किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं और तीनों सफल हुए हैं. ऑपरेशन के दौरान आईजीएमसी के सर्जरी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, एनेस्थीसिया, कार्डियक थोरेसिक सर्जरी और रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टर मौजूद रहे.


जायजा लेने आईजीएमसी पहुंचे स्वास्थ्य सचिव: सुबह के समय स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी आईजीएमसी ही पहुंच गए. उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर जायजा लिया और दिल्ली एम्स से आए डॉक्टरों से बातचीत कर उनका आभार जताया. स्वास्थ्य सचिव ने इस दौरान कोविड वार्ड का जायजा भी लिया. उन्होंने आईजीएमसी में आ रही समस्या को दूर करने के निर्देश भी दिए.

12 अगस्त 2019 को हुआ था पहला किडनी ट्रांसप्लांट: आईजीएमसी में 12 अगस्त 2019 को पहला किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. अभी तक हुए तीनों किडनी ट्रांसप्लांट भी निशुल्क हुए हैं. मुखयमंत्री चिकित्सा सहायता कोश मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है. इससे पहले हिमाचल के मरीज पीजीआई या फिर बाहरी राज्य में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जाते थे. कोरोना काल में मरीजों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, लेकिन अब फिर शुरू हो रहे किडनी ट्रांसप्लांट के चलते मरीजों को ज्यादा दिक्कतें नहीं आएगी.

एम्स डॉक्टरों की निगरानी में होंगे अभी 10 ऑपरेशन: आईजीएमसी के एमएस डॉक्टर जनक राज ने कहा कि अभी किडनी ट्रांसप्लांट एम्स के डाक्टरों की निगरानी में ही होगे. 10 के करीब ऑपरेशन अभी एम्स डाक्टरों की निगरानी में ही होगे. उसके बाद आईजीएमसी के डॉक्टर स्यवं आपरेशन करेंगे. अभी जैसे-जैसे मरीज आईजीएमसी में आएगे तो तभी एम्स से डॉक्टर की टीम आती रहेंगी. वहीं, आईजीएमसी के प्रिंसिपल डॉक्टर सुरेंद्र ठाकुर (IGMC Principal Dr Surendra Thakur) ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट से हिमाचल के मरीजों को काफी ज्यादा लाभ होगा.

दो साल से चल रहा था आईजीएमसी में उपचार: करसोग के रहने वाले मरीज के साथ आए तीमारदार परस राम ने कहा कि उनका भांजा दो सालों से आईजीएमसी में उपचार करवाया रहा था. उनका डायलिसिस चल रहा था. डॉक्टरों ने एक साल पहले बोला की दोनों किडनी खराब है. एक सप्ताह पहले डॉक्टरों ने फिर आईजीएमसी में भर्ती कर दिया और ऑपरेशन हो गया है. वहीं, करसोग की रहने वाली मीरा देवी ने कहा कि मेरे पति की दोनों किडनी खराब थी. हमें नवबंर 2019 में किडनी खराब होने का पता चला था. आईजीएमसी से ही इलाज चल रहा था. हम सरकार और प्रशासन का धन्यावाद करते हैं, जिन्होंने निशुल्क ऑपरेशन करावा है.

इलाज के लिए दो साल शिमला में लिया स्पेशल रूम: भरमौर के रहने वाले मरीज के साथ आए तीमारदार अविनाश का कहना है कि उनका दोस्त बीते दो सालों से शिमला में स्पेशल रूम लेकर अपना उपचार करवा रहा था. उसकी दोनों ही किडनी फेल हो चुकी थी. हमें बहुत खुशी है कि हमारे मरीज का निशुल्क और सफल ऑपरेशन हुआ है.

ऑपरेशन के बाद दवाइयां व परेहज जरूरी: दिल्ली एम्स के डॉक्टर बंसल ने कहा कि जब भी किसी मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट होता है तो उसके बाद उसे दवाइयों का सेवन व परेहज करना जरूरी है. मरीज को डॉक्टर की सलाह के बिना विल्कुल भी दवाइया नहीं लेनी है. हमारे पास ऐसे भी मरीज हैं जो कि ऑपरेशन के बाद 20 साल से अधिक चले हैं. किडनी ट्रांसप्लांट वाले मरीजों को चाहिए कि वे बाहर का खाना ना खाएं और कच्ची सब्जी ना खाएं. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लिए जो किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा है वह वरदान साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि आईजीएमसी के डॉक्टर भी काफी अच्छा काम कर रहे हैं. यहां पर अब मरीजों को पैसा भी कम खर्च करना पड़ेगा. अभी तक आईजीएमसी में 5 ऑपरेशन हुए हैं और पांचों सफल रहे हैं.

ये भी पढ़ें: उखड़ती सांसों को सहारा देने के लिए हिमाचल से सीखने की जरूरत, दुख की घड़ी में साथ खड़ी है ये योजना

ये भी पढ़ें: शक्ति प्रदर्शन का अखाड़ा बना युवा कांग्रेस का राज्य स्तरीय श्रद्धांजलि समारोह, समर्थकों ने बजाई सीटियां

शिमला: आईजीएमसी में सोमवार को दो किडनी ट्रांसप्लांट हुए है. दोनों मरीजों के सफल ऑपरेशन हुए है. मरीजों के किडनी ट्रांसप्लांट दिल्ली एम्स के तीन डॉक्टर सहित आईजीएमसी के डॉक्टरों द्वारा किए गए है. दिल्ली एम्स से दो सर्जन व एक एनेस्थीसिया के डॉक्टर आए हैं. दोनों मरीजों पर साढ़े तीन-तीन लाख रुपए खर्च हुए हैं. किडनी ट्रांसप्लांट में आईजीएमसी के प्रिंसिपल सुरेंद्र ठाकुर, एमएस डॉ. जनक राज और डॉ. राहुल गुप्ता का सबसे ज्यादा सहयोग रहा. आईजीएमसी प्रशासन का कहना है कि हालात सामान्य रहने पर अब समय-समय पर ऑपरेशन होते रहेंगे.

पहला ऑपरेशन करसोग के गोपलपुर निवासी 32 वर्षीय बलदेव कुमार मरीज का हुआ. मरीज को ऑपरेशन थियेटर में सुबह 7:30 बजे ले गए और 8:30 बजे से ऑपरेशन शुरू हुआ. पहला ऑपरेशन 12:30 बजे तक चला. वहीं, दूसरे मरीज भरमौर के रहने वाले 28 वर्षीय विनोद कुमार को 12:15 बजे पर ऑपरेशन थियेटर ले गए थे. यह ऑपरेशन 12:30 बजे से शुरू हुआ और 2:30 बजे तक चला.

बताया जा रहा है कि पहले ऑपरेश करने में डॉक्टरों को थोड़ी परेशानी आई, लेकिन ऑपरेशन सफल हुआ है. करसोग गोपालपुर के रहने वाले मरीज को उसके पिता मानसिंह ने किडनी दी है और भरमौर के मरीज को उसके पिता शंकर ने किडनी दी है. आईजीएमसी में यह चौथा और पांचवा किडनी ट्रासप्लांट हुआ है. इससे पहले तीन किडनी ट्रांसप्लांट हुए हैं और तीनों सफल हुए हैं. ऑपरेशन के दौरान आईजीएमसी के सर्जरी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, एनेस्थीसिया, कार्डियक थोरेसिक सर्जरी और रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टर मौजूद रहे.


जायजा लेने आईजीएमसी पहुंचे स्वास्थ्य सचिव: सुबह के समय स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी आईजीएमसी ही पहुंच गए. उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर जायजा लिया और दिल्ली एम्स से आए डॉक्टरों से बातचीत कर उनका आभार जताया. स्वास्थ्य सचिव ने इस दौरान कोविड वार्ड का जायजा भी लिया. उन्होंने आईजीएमसी में आ रही समस्या को दूर करने के निर्देश भी दिए.

12 अगस्त 2019 को हुआ था पहला किडनी ट्रांसप्लांट: आईजीएमसी में 12 अगस्त 2019 को पहला किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. अभी तक हुए तीनों किडनी ट्रांसप्लांट भी निशुल्क हुए हैं. मुखयमंत्री चिकित्सा सहायता कोश मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है. इससे पहले हिमाचल के मरीज पीजीआई या फिर बाहरी राज्य में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जाते थे. कोरोना काल में मरीजों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, लेकिन अब फिर शुरू हो रहे किडनी ट्रांसप्लांट के चलते मरीजों को ज्यादा दिक्कतें नहीं आएगी.

एम्स डॉक्टरों की निगरानी में होंगे अभी 10 ऑपरेशन: आईजीएमसी के एमएस डॉक्टर जनक राज ने कहा कि अभी किडनी ट्रांसप्लांट एम्स के डाक्टरों की निगरानी में ही होगे. 10 के करीब ऑपरेशन अभी एम्स डाक्टरों की निगरानी में ही होगे. उसके बाद आईजीएमसी के डॉक्टर स्यवं आपरेशन करेंगे. अभी जैसे-जैसे मरीज आईजीएमसी में आएगे तो तभी एम्स से डॉक्टर की टीम आती रहेंगी. वहीं, आईजीएमसी के प्रिंसिपल डॉक्टर सुरेंद्र ठाकुर (IGMC Principal Dr Surendra Thakur) ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट से हिमाचल के मरीजों को काफी ज्यादा लाभ होगा.

दो साल से चल रहा था आईजीएमसी में उपचार: करसोग के रहने वाले मरीज के साथ आए तीमारदार परस राम ने कहा कि उनका भांजा दो सालों से आईजीएमसी में उपचार करवाया रहा था. उनका डायलिसिस चल रहा था. डॉक्टरों ने एक साल पहले बोला की दोनों किडनी खराब है. एक सप्ताह पहले डॉक्टरों ने फिर आईजीएमसी में भर्ती कर दिया और ऑपरेशन हो गया है. वहीं, करसोग की रहने वाली मीरा देवी ने कहा कि मेरे पति की दोनों किडनी खराब थी. हमें नवबंर 2019 में किडनी खराब होने का पता चला था. आईजीएमसी से ही इलाज चल रहा था. हम सरकार और प्रशासन का धन्यावाद करते हैं, जिन्होंने निशुल्क ऑपरेशन करावा है.

इलाज के लिए दो साल शिमला में लिया स्पेशल रूम: भरमौर के रहने वाले मरीज के साथ आए तीमारदार अविनाश का कहना है कि उनका दोस्त बीते दो सालों से शिमला में स्पेशल रूम लेकर अपना उपचार करवा रहा था. उसकी दोनों ही किडनी फेल हो चुकी थी. हमें बहुत खुशी है कि हमारे मरीज का निशुल्क और सफल ऑपरेशन हुआ है.

ऑपरेशन के बाद दवाइयां व परेहज जरूरी: दिल्ली एम्स के डॉक्टर बंसल ने कहा कि जब भी किसी मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट होता है तो उसके बाद उसे दवाइयों का सेवन व परेहज करना जरूरी है. मरीज को डॉक्टर की सलाह के बिना विल्कुल भी दवाइया नहीं लेनी है. हमारे पास ऐसे भी मरीज हैं जो कि ऑपरेशन के बाद 20 साल से अधिक चले हैं. किडनी ट्रांसप्लांट वाले मरीजों को चाहिए कि वे बाहर का खाना ना खाएं और कच्ची सब्जी ना खाएं. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लिए जो किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा है वह वरदान साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि आईजीएमसी के डॉक्टर भी काफी अच्छा काम कर रहे हैं. यहां पर अब मरीजों को पैसा भी कम खर्च करना पड़ेगा. अभी तक आईजीएमसी में 5 ऑपरेशन हुए हैं और पांचों सफल रहे हैं.

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