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वेंटीलेटर खरीद प्रक्रिया की जांच को सरकार ने गठित की समिति, 10 दिन में देनी होगी रिपोर्ट

प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के तहत वेंटीलेटर और अन्य उपकरणों की खरीद सवालों के घेरे में आने के बाद जयराम सरकार ने जांच समिति गठित की है. हिमाचल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि समिति को दस दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपने के लिए कहा गया है.

ventilator purchase in himachal
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Published : Jun 2, 2020, 8:55 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के तहत वेंटीलेटर व अन्य उपकरणों की खरीद सवालों के घेरे में आने के बाद हिमाचल सरकार ने जांच समिति गठित की है. राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि समिति दस दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.

अलबत्ता सरकार ने सफाई दी है कि प्राथमिक दृष्टि से वेंटीलेटर खरीद को लेकर अपनाई गई प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं पाई गई है. ये खरीद प्रक्रिया स्वास्थ्य निदेशालय के स्तर पर अमल में लाई गई थी.

वेंटीलेटर खरीद सवालों के घेरे में आने के बाद सरकार ने फैसला लिया कि पूरी प्रक्रिया की जांच की जाए. जांच समिति निदेशक उद्योग व नियंत्रक (स्टोर) की अगुवाई में काम करेगी. इसमें डॉयरेक्टर मेडिकल एजूकेशन, आईजीएमसी अस्पताल के प्रिंसिपल के अलावा डॉयरेक्टर मेडिकल एजूकेशन कार्यालय के डिप्टी कंट्रोलर (एफए) यानी फाइनेंस एंड ऑडिट शामिल हैं.

एसीएस हैल्थ आरडी धीमान ने बताया कि मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि वेंटीलेटर खरीद में अनियमितताएं बरती गई हैं. मीडिया में आ रही खबरों के बाद सरकार ने निदेशक स्वास्थ्य कार्यालय से रिपोर्ट तलब की.

रिपोर्ट में स्वास्थ्य निदेशालय से जो तथ्य दिए गए हैं, उनके अनुसार प्राथमिक रूप से खरीद प्रक्रिया में कोई अनियमितता नजर नहीं आ रही. फिर भी सारी स्थिति को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता के लिए जांच का फैसला लिया गया है.

स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि विभाग के ध्यान में आया है कि स्वास्थ्य विभाग में वेंटिलेटर खरीद के सम्बन्ध में एक शिकायत के आधार पर मीडिया में एक समाचार प्रकाशित हुआ है, जिसमें वेंटिलेटर खरीद के दौरान कथित अनियमितताओं के बारे में उल्लेख किया गया है.

इस बारे में निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं से सम्पूर्ण दस्तावेजों सहित रिपोर्ट तलब की गई है. स्वास्थ्य निदेशालय से सरकार को मिली रिपोर्ट बताती है कि इन वेंटीलेटर्स की खरीद उस दौरान की गई, जब कोरोना का प्रभाव देश और प्रदेश में लगातार बढ़ रहा था.

कोरोना के इलाज में वेंटीलेटर्स की सहायता से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को बचाया जा सकता है. स्वास्थ्य विभाग ने 28 मार्च, 2020 को डिप्टी डॉयरेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था.

समिति ने खरीदे जाने वाले वेंटीलेटर्स को तकनीकी मानकों के अनुसार निर्धारित किया और आईसीयू वेंटिलेटर खरीदने की सिफारिश की. इसके बाद निदेशालय स्तर पर विभाग के संयुक्त निदेशक की अध्यक्षता में खरीद समिति का गठन हुआ.

केंद्र सरकार के जेम पोर्टल पर उपलब्ध वेंटिलेटर के मूल्य व मानकों का अध्ययन किया गया. समिति ने पाया कि संस्तुत किए गए वेंटीलेटर का मूल्य जेम पोर्टल में 29 मार्च, 2020 को 9.90 लाख रुपये दर्शाया गया है. इसी बीच समिति ने अन्य राज्यों में वेंटिलेटर खरीद के लिए अपनाई जा रही प्रकिया के बारे में भी अध्ययन किया.

समिति के अनुसार उड़ीसा मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन, जो उड़ीसा सरकार का ही उपक्रम है, ने यह संस्तुत वेंटीलेटर 20 मार्च को खरीदे थे. उड़ीसा मेडिकल सप्लाईज कारपोरेशन ने 1.83 करोड़ रुपए में कुल 20 वेंटीलेटर खरीद. लेकिन इसमें जीएसटी शामिल नहीं था. हिमाचल में विभागीय खरीद समिति ने समय को ध्यान में रखते हुए 10 वेंटिलेटर खरीदने का आदेश दिया. इसमें से 7 वेंटिलेटर 15 अप्रैल को आ गए.

इन सात वेंटीलेटर्स को तुरंत संबंधित स्वास्थ्य संस्थानों को दे दिया गया. स्वास्थ्य निदेशालय से सरकार को मिली रिपोर्ट में बताया गया है कि बाद में हरियाणा मेडिकल सप्लाईज कारपोरेशन ने 16 अप्रैल को उक्त वेंटीलेटर प्रति पीस 10.29 लाख रुपए में खरीदे. हिमाचल ने भी करीब इसी रेट पर खरीद की थी.

निदेशालय की रिपोर्ट में जिक्र है कि अब भी जेम पोर्टल पर वेंटीलेटर का दाम 10.30 लाख रुपए है. हिमाचल ने जो वेंटिलेटर खरीदे हैं, उनमें मूल उपकरण, मेडिकल एयर प्रोसेसर, बेसिक एसेसरीज, एडल्ट/पीडियाट्रिक/नियो नेटल इप्लिकेशन एसेसरीज, ऑप्शनल एसेसरीज, ईटीसीओ-2 एप्लिकेशन एसेसरीज, एसपीओ2 एप्लिकेशन एसेसरीज, हयुमिडिफायर, पांच साल की वारंटी शामिल थी.

फिलहाल, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया है कि पारदर्शिता के लिए जांच का फैसला लिया गया है. समिति की रिपोर्ट दस दिन में सरकार के समक्ष पेश की जाएगी.

ये भी पढ़ें- आत्मनिर्भर भारत पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर का बड़ा बयान, मेड फॉर वर्ल्ड आज की जरूरत

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के तहत वेंटीलेटर व अन्य उपकरणों की खरीद सवालों के घेरे में आने के बाद हिमाचल सरकार ने जांच समिति गठित की है. राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि समिति दस दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.

अलबत्ता सरकार ने सफाई दी है कि प्राथमिक दृष्टि से वेंटीलेटर खरीद को लेकर अपनाई गई प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं पाई गई है. ये खरीद प्रक्रिया स्वास्थ्य निदेशालय के स्तर पर अमल में लाई गई थी.

वेंटीलेटर खरीद सवालों के घेरे में आने के बाद सरकार ने फैसला लिया कि पूरी प्रक्रिया की जांच की जाए. जांच समिति निदेशक उद्योग व नियंत्रक (स्टोर) की अगुवाई में काम करेगी. इसमें डॉयरेक्टर मेडिकल एजूकेशन, आईजीएमसी अस्पताल के प्रिंसिपल के अलावा डॉयरेक्टर मेडिकल एजूकेशन कार्यालय के डिप्टी कंट्रोलर (एफए) यानी फाइनेंस एंड ऑडिट शामिल हैं.

एसीएस हैल्थ आरडी धीमान ने बताया कि मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि वेंटीलेटर खरीद में अनियमितताएं बरती गई हैं. मीडिया में आ रही खबरों के बाद सरकार ने निदेशक स्वास्थ्य कार्यालय से रिपोर्ट तलब की.

रिपोर्ट में स्वास्थ्य निदेशालय से जो तथ्य दिए गए हैं, उनके अनुसार प्राथमिक रूप से खरीद प्रक्रिया में कोई अनियमितता नजर नहीं आ रही. फिर भी सारी स्थिति को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता के लिए जांच का फैसला लिया गया है.

स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि विभाग के ध्यान में आया है कि स्वास्थ्य विभाग में वेंटिलेटर खरीद के सम्बन्ध में एक शिकायत के आधार पर मीडिया में एक समाचार प्रकाशित हुआ है, जिसमें वेंटिलेटर खरीद के दौरान कथित अनियमितताओं के बारे में उल्लेख किया गया है.

इस बारे में निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं से सम्पूर्ण दस्तावेजों सहित रिपोर्ट तलब की गई है. स्वास्थ्य निदेशालय से सरकार को मिली रिपोर्ट बताती है कि इन वेंटीलेटर्स की खरीद उस दौरान की गई, जब कोरोना का प्रभाव देश और प्रदेश में लगातार बढ़ रहा था.

कोरोना के इलाज में वेंटीलेटर्स की सहायता से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों को बचाया जा सकता है. स्वास्थ्य विभाग ने 28 मार्च, 2020 को डिप्टी डॉयरेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था.

समिति ने खरीदे जाने वाले वेंटीलेटर्स को तकनीकी मानकों के अनुसार निर्धारित किया और आईसीयू वेंटिलेटर खरीदने की सिफारिश की. इसके बाद निदेशालय स्तर पर विभाग के संयुक्त निदेशक की अध्यक्षता में खरीद समिति का गठन हुआ.

केंद्र सरकार के जेम पोर्टल पर उपलब्ध वेंटिलेटर के मूल्य व मानकों का अध्ययन किया गया. समिति ने पाया कि संस्तुत किए गए वेंटीलेटर का मूल्य जेम पोर्टल में 29 मार्च, 2020 को 9.90 लाख रुपये दर्शाया गया है. इसी बीच समिति ने अन्य राज्यों में वेंटिलेटर खरीद के लिए अपनाई जा रही प्रकिया के बारे में भी अध्ययन किया.

समिति के अनुसार उड़ीसा मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन, जो उड़ीसा सरकार का ही उपक्रम है, ने यह संस्तुत वेंटीलेटर 20 मार्च को खरीदे थे. उड़ीसा मेडिकल सप्लाईज कारपोरेशन ने 1.83 करोड़ रुपए में कुल 20 वेंटीलेटर खरीद. लेकिन इसमें जीएसटी शामिल नहीं था. हिमाचल में विभागीय खरीद समिति ने समय को ध्यान में रखते हुए 10 वेंटिलेटर खरीदने का आदेश दिया. इसमें से 7 वेंटिलेटर 15 अप्रैल को आ गए.

इन सात वेंटीलेटर्स को तुरंत संबंधित स्वास्थ्य संस्थानों को दे दिया गया. स्वास्थ्य निदेशालय से सरकार को मिली रिपोर्ट में बताया गया है कि बाद में हरियाणा मेडिकल सप्लाईज कारपोरेशन ने 16 अप्रैल को उक्त वेंटीलेटर प्रति पीस 10.29 लाख रुपए में खरीदे. हिमाचल ने भी करीब इसी रेट पर खरीद की थी.

निदेशालय की रिपोर्ट में जिक्र है कि अब भी जेम पोर्टल पर वेंटीलेटर का दाम 10.30 लाख रुपए है. हिमाचल ने जो वेंटिलेटर खरीदे हैं, उनमें मूल उपकरण, मेडिकल एयर प्रोसेसर, बेसिक एसेसरीज, एडल्ट/पीडियाट्रिक/नियो नेटल इप्लिकेशन एसेसरीज, ऑप्शनल एसेसरीज, ईटीसीओ-2 एप्लिकेशन एसेसरीज, एसपीओ2 एप्लिकेशन एसेसरीज, हयुमिडिफायर, पांच साल की वारंटी शामिल थी.

फिलहाल, स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया है कि पारदर्शिता के लिए जांच का फैसला लिया गया है. समिति की रिपोर्ट दस दिन में सरकार के समक्ष पेश की जाएगी.

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