शिमला: आईजीएमसी कैंसर अस्पताल (Cancer Hospital in IGMC) के समीप पिछले 7 सालों से चल रहे सरबजीत सिंह बॉबी निशुल्क लंगर का विवाद (Sarabjit Singh Bobby Langar issue) बढ़ता जा रहा है. आईजीएमसी प्रशासन द्वारा लंगर अवैध बताकर खाली करवाने के निर्देश देने के बाद प्रशासन ने अब उच्च उच्च स्तरीय मजिस्ट्रेट जांच (magistrate inquiry) की मांग की है. उन्होंने जिला प्रशासन को इस संबंध में लिखित शिकायत दर्ज करवाते हुआ कहा है कि लंगर की जांच की जाए.
डॉक्टर जनक राज (IGMC MS Janak Raj) ने सोमवार को इस संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि सरबजीत सिंह बॉबी का लंगर आईजीएमसी की संपत्ति पर चल रहा है. उन्होंने कहा कि लंगर में बिजली और पानी का इस्तेमाल चोरी से किया जा रहा है. एमएस ने बताया लंगर को बंद नहीं किया गया है. यह मरीजों के लिए अभी भी चल रहा है. कोई भी मरीज भूखा नहीं है. उन्होंने कहा अवैध तरीके से चल रहे लंगर को नियमित रूप से चलाने के लिए यह प्रक्रिया लाई जा रही है.
उन्होंने कहा कि सभी संस्थाओं का एक लेखा-जोखा होता है, जिसमें डोनेशन से आने वाले पैसे का हिसाब किताब होता है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि जिन्होंने भी बॉबी के लंगर को डोनेशन दिया है, उसके बारे में जानकारी लें उनका पैसा कहां कितना खर्च हुआ. एमएस ने बताया कि इस मामले में प्रशासन की ओर से समय-समय पर बॉबी को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब-तलब किया गया है, बावजूद इसके बॉबी ने उसे दरकिनार कर दिया और अवैध कब्जे पर लंगर चलाते रहे. एमएस ने कहा कि सरबजीत सिंह बॉबी टेंडर प्रक्रिया से आए हैं उनका स्वागत है, लेकिन आईजीएमसी की संपत्ति पर अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं होगा.
बता दें कि आईजीएमसी में शनिवार दोपहर बाद कैंसर अस्पताल के समीप चल रहे लंगर में विवाद खड़ा हो गया. आईजीएमसी प्रशासन ने लंगर लगाने वाली जगह को अवैध बता कर खाली करवा लिया. प्रशासन की ओर से जांच में सामने आया है लंगर में बिजली और पानी के कनेक्शन अवैध हैं. इसी पर कार्रवाई करते हुए आईजीएमसी प्रशासन ने शानिवार दोपहर अपने सुरक्षा कर्मियों को भेज कर स्थान खाली कराने को कहा. इस बीच वहां धक्का मुक्की भी हो गई. सूचना मिलते ही क्यूआरटी ने मोर्चा संभाला और शांत करवाया.
आईजीएमसी के एमएस डॉ जनक राज (IGMC MS Janak Raj) के नेतृत्व में अस्पताल प्रशासन मौके पर पहुंचा और निजी संस्था से जब पूछा कि आपके पास अस्पाल की संपत्ति पर लंगर लगाने को लेकर कोई कागज है तो संस्था में काम कर करने वालों ने संतोष जनक जवाब नहीं दिया. इसके बाद एमएस ने पूछा कि बिजली पानी का मीटर कहां है तो उसका भी जवाब नहीं दिया. एमएस ने बिजली विभाग को निर्देश दिए कि वह मीटर चेक करें और यदि अवैध है तो तुरंत काट दें.
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