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HPU दीक्षांत समारोह के ड्रेस कोड से नाखुश नजर आए विद्यार्थी, कई छात्र डिग्री लेने ही नहीं पहुंचे - विश्वविद्यालय ने अंतिम समय में यह ड्रेस कोड

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को नए ड्रेस कोड में विद्यार्थियों को उपाधियां और गोल्ड मेडल दिए गए. विद्यार्थियों का कहना है कि ड्रेस हासिल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

HPU students dissatisfied by convocation dress code
HPU students dissatisfied by convocation dress code
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Published : Nov 29, 2019, 9:54 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को नए ड्रेस कोड में उनके गोल्ड मेडल और पीएचडी की उपाधियां विश्वविद्यालय की ओर से दी गई. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस बार दीक्षांत समारोह के लिए यूजीसी के आदेशों के तहत खादी पैटर्न को दीक्षांत समारोह की ड्रेस के लिए अपनाया.

इससे पहले ब्लैक गाउन में विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह में उनके गोल्ड मेडल और पीएचडी उपाधियां दी जाती थी. वहीं, इस बार एक जैकेट, एचपीयू का लोगो लगा मफलर और हिमाचली टोपी में विद्यार्थियों को उपाधियां और गोल्ड मेडल दिए गए. नए ड्रेस कोड से छात्र ज्यादा खुश नजर नहीं आए.

छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के लिए ही आयोजित करवाया जाता है और उनके लिए ये पल बेहद ही खास और उम्रभर के लिए याद रहने वाला दिन होता है. इस दिन विश्वविद्यालय ने इस तरह की ड्रेस कोड विद्यार्थियों को पहनाई है, जिसकी ना तो गुणवत्ता सही है और ना ही पैटर्न.

वीडियो.

विद्यार्थियों ने कहा कि विश्वविद्यालय ने अंतिम समय में यह ड्रेस कोड लागू कर दिया है यही वजह है कि इस ड्रेस को सही तरीके से विश्वविद्यालय तैयार नहीं करवा पाया है. विद्यार्थियों ने तो यहां तक कहा कि उनके कुछ एक साथी तो ऐसे भी है जिन्हें दीक्षांत समारोह में उपाधियां मिलनी थी, लेकिन वे इस ड्रेस कोड के चलते ही दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए नहीं आए हैं.

विद्यार्थियों का कहना है कि विश्वविद्यालय को अगर हिमाचली ड्रेस में ही विद्यार्थियों को उनकी डिग्रियां और गोल्ड मेडल देने थे तो इस ड्रेस को पूरी तरह से हिमाचली पैटर्न पर तैयार किया जाता चाहिए था, न की एक जैकेट, टोपी और मफलर विद्यार्थियों को पहना दिया जाना था.

विद्यार्थियों ने कहा कि इस ड्रेस को लेने के लिए भी उन्हें दीक्षांत समारोह से एक दिन पहले कड़ी मशक्कत करनी पड़ी और कई घंटों लाइन में लगने के बाद उन्हें ये ड्रेस मिल पाए. हालांकि विश्वविद्यालय ने यूजीसी के नियमों का पालन करने के लिए यह नया ड्रेस कोड आनन-फानन में ही लागू किया था.

यहां तक कि दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि, अति विशिष्ट अतिथि और विशिष्ट अतिथियों को भी यह नया ड्रेस कोड दीक्षांत समारोह के लिए पहनाया गया, लेकिन यह ड्रेस कोड विद्यार्थियों की ड्रेस कोड से थोड़ा अलग था. वहीं, एचपीयू के शिक्षक विद्यार्थियों के लिए जारी किए गए ड्रेस कोड की तरह ही मिलते जुलते ड्रेस कोड में नजर आए.

ये भी पढ़ें- गुड़िया मामला: CM का मुख्य सचिव-डीजीपी को निर्देश, मामले में क्या कर सकती है सरकार करें अध्ययन

शिमलाः हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को नए ड्रेस कोड में उनके गोल्ड मेडल और पीएचडी की उपाधियां विश्वविद्यालय की ओर से दी गई. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस बार दीक्षांत समारोह के लिए यूजीसी के आदेशों के तहत खादी पैटर्न को दीक्षांत समारोह की ड्रेस के लिए अपनाया.

इससे पहले ब्लैक गाउन में विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह में उनके गोल्ड मेडल और पीएचडी उपाधियां दी जाती थी. वहीं, इस बार एक जैकेट, एचपीयू का लोगो लगा मफलर और हिमाचली टोपी में विद्यार्थियों को उपाधियां और गोल्ड मेडल दिए गए. नए ड्रेस कोड से छात्र ज्यादा खुश नजर नहीं आए.

छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के लिए ही आयोजित करवाया जाता है और उनके लिए ये पल बेहद ही खास और उम्रभर के लिए याद रहने वाला दिन होता है. इस दिन विश्वविद्यालय ने इस तरह की ड्रेस कोड विद्यार्थियों को पहनाई है, जिसकी ना तो गुणवत्ता सही है और ना ही पैटर्न.

वीडियो.

विद्यार्थियों ने कहा कि विश्वविद्यालय ने अंतिम समय में यह ड्रेस कोड लागू कर दिया है यही वजह है कि इस ड्रेस को सही तरीके से विश्वविद्यालय तैयार नहीं करवा पाया है. विद्यार्थियों ने तो यहां तक कहा कि उनके कुछ एक साथी तो ऐसे भी है जिन्हें दीक्षांत समारोह में उपाधियां मिलनी थी, लेकिन वे इस ड्रेस कोड के चलते ही दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए नहीं आए हैं.

विद्यार्थियों का कहना है कि विश्वविद्यालय को अगर हिमाचली ड्रेस में ही विद्यार्थियों को उनकी डिग्रियां और गोल्ड मेडल देने थे तो इस ड्रेस को पूरी तरह से हिमाचली पैटर्न पर तैयार किया जाता चाहिए था, न की एक जैकेट, टोपी और मफलर विद्यार्थियों को पहना दिया जाना था.

विद्यार्थियों ने कहा कि इस ड्रेस को लेने के लिए भी उन्हें दीक्षांत समारोह से एक दिन पहले कड़ी मशक्कत करनी पड़ी और कई घंटों लाइन में लगने के बाद उन्हें ये ड्रेस मिल पाए. हालांकि विश्वविद्यालय ने यूजीसी के नियमों का पालन करने के लिए यह नया ड्रेस कोड आनन-फानन में ही लागू किया था.

यहां तक कि दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि, अति विशिष्ट अतिथि और विशिष्ट अतिथियों को भी यह नया ड्रेस कोड दीक्षांत समारोह के लिए पहनाया गया, लेकिन यह ड्रेस कोड विद्यार्थियों की ड्रेस कोड से थोड़ा अलग था. वहीं, एचपीयू के शिक्षक विद्यार्थियों के लिए जारी किए गए ड्रेस कोड की तरह ही मिलते जुलते ड्रेस कोड में नजर आए.

ये भी पढ़ें- गुड़िया मामला: CM का मुख्य सचिव-डीजीपी को निर्देश, मामले में क्या कर सकती है सरकार करें अध्ययन

Intro:हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 25 वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को नए ड्रेस कोड में उनके गोल्ड मेडल और पीएचडी की उपाधियां विश्वविद्यालय की ओर से दी गई। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस बार दीक्षांत समारोह के लिए यूजीसी के आदेशों के तहत खादी पैटर्न को दीक्षांत समारोह की ड्रेस के लिए अपनाया गया था। इससे पहले जहां ब्लैक गाउन में छात्रों को दीक्षांत समारोह में उनके गोल्ड मेडल और पीएचडी उपाधियां दी जाती थी वहीं इस बार एक जैकेट,एचपीयू का लोगो लगा मफलर और हिमाचली टोपी में छात्रों को यह उपाधियां और गोल्ड मेडल दिए गए जो छात्रों को रास नहीं आया।


Body:विश्वविद्यालय की ओर से लागू किए गए इस नए ड्रेस कोड से उपाधियां और गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले छात्र नाखुश नजर आए। छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह जो छात्रों के लिए ही आयोजित करवाया जाता है और उनके लिए यह पल बेहद ही खास और उम्र भर के लिए याद रहने वाला दिन होता है और इस दिन पर विश्वविद्यालय ने इस तरह की ड्रेस छात्रों को पहनाई है जिसकी ना तो गुणवत्ता सही है और ना ही पैटर्न। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अंतिम समय में यह ड्रेस कोड लागू कर दिया है यही वजह है कि इस ड्रेस कोड को सही तरीके से विश्वविद्यालय तैयार नहीं करवा पाया है। छात्रों ने तो यहां तक कहा कि उनके कुछ एक साथी तो ऐसे भी है जिन्हें दीक्षांत समारोह में उपाधियां मिलनी थी लेकिन वह इस ड्रेस कोड के चलते ही दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए ही नहीं आए हैं।


Conclusion:छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय को अगर हिमाचली ड्रेस में ही छात्रों को उनकी डिग्रियां और गोल्ड मेडल देने थे तो इस ड्रेस को पूरी तरह से हिमाचली पैटर्न पर तैयार किया जाता ना की एक जैकेट, टोपी और मफलर छात्रों को पहना दिया जाता। छात्रों ने कहा कि इस ड्रेस को लेने के लिए भी उन्हें दीक्षांत समारोह से एक दिन पहले कड़ी मशक्कत करनी पड़ी और कई घंटों लाइन में लगना पड़ा जिसके बाद उन्हें यह ड्रेस मिल पाए लेकिन उनके इस खास दिन का रंग कहीं ना कहीं इस नई ड्रेस की वजह से फीका जरूर पड़ गया। हालांकि विश्वविद्यालय ने यूजीसी के नियमों का पालन करने के लिए यह नया ड्रेस कोड आनन-फानन में ही लागू किया था। यहां तक कि दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि, अति विशिष्ट अतिथि और विशिष्ट अतिथियों को भी यह नया ड्रेस कोड दीक्षांत समारोह के लिए पहनाया गया लेकिन यह ड्रेस कोड छात्रों की ड्रेस कोड से थोड़ा अलग था। वहीं एचपीयू के शिक्षक छात्रों के लिए जारी किए गए ड्रेस कोड की तरह ही मिलते जुलते ड्रेस कोड में नज़र आए।
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