शिमला: डॉक्टरों को उच्चतर शिक्षा के लिए भेजना हिमाचल सरकार को भारी (Himachal doctors went for higher education) पड़ रहा है. हिमाचल हाई कोर्ट में फेलोशिप के लिए सरकारी एनओसी की मांग को लेकर दायर मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत को बताया कि वर्ष 2016 के बाद से हायर एजुकेशन को भेजे 151 डॉक्टरों में से 2 ही वापस आए. इस तरह 149 डॉक्टर भगोड़े हो गए. अब उनके द्वारा भरे गए बॉन्ड न भुनाए जा सके हैं न ही उनका अता पता चल रहा है.
यही नहीं, 137 डॉक्टरों द्वारा पॉलिसी के अनुसार प्रदेश में कम से कम निर्धारित समय तक नौकरी करने की शर्त को पूरा करने की एवज में दिए चेक भी बाउंस हो गए हैं और उनके खिलाफ संबंधित अदालतों में मुकदमे दायर किए गए हैं. आईजीएमसी शिमला से भेजे गए 47 डॉक्टर उच्च शिक्षा पूरी कर वर्ष 2016 -17 में वापस आने चाहिए थे, लेकिन 1 डॉक्टर ही वापस (doctors did not return to Himachal) आकर पॉलिसी के तहत अपनी सेवाएं प्रदेश में दे रहा है. डॉ. आरपीजीएमसी टांडा से भेजे गए 22 डॉक्टर उच्च शिक्षा पूरी कर वर्ष 2016 -17 में वापस आने चाहिए थे लेकिन एक भी वापस नहीं लौटा.
इसी तरह आईजीएमसी शिमला से भेजे गए 56 डॉक्टर उच्च शिक्षा पूरी कर वर्ष 2017-18 में वापस आने चाहिए थे लेकिन 1 डॉक्टर ही वापस आकर पॉलिसी के तहत अपनी सेवाएं प्रदेश को दे रहा है. मुख्य न्यायाधीश एए सईद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार द्वारा बताए इन तथ्यों के दृष्टिगत प्रार्थी डॉक्टर को 40 लाख रुपए की बैंक गारंटी देने की शर्त के बाद ही उच्च शिक्षा के लिए एनओसी देने के आदेश पारित किए.
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