शिमला: राजधानी शिमला के ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च (heritage christ church of shimla) को ब्रिटिश कालीन समय में बनाया गया था. इस चर्च में आज भी उस समय के इतिहास को संजोए हुए बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो आज देखने में सबसे अलग और सबको अचंभित करने वाली हैं. ब्रिटिश कालीन समय में जो अंग्रेजों ने शिमला के रिज मैदान पर इस चर्च का निर्माण किया तो इस चर्च में बहुत सी ऐसी चीजें शामिल की गई, जिन्हें बाहर इंग्लैंड से यहां राजधानी शिमला लाया गया. इसमें ही चर्च में रखा गया ऐतिहासिक पाइप ऑर्गन (historical pipe organ) शामिल है.
क्राइस्ट चर्च में शनिवार की सुबह 11 बजे विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की जाएगी. इसमें विशेष रूप से कोरोना के खात्में को लेकर प्रार्थना की जाएगी. प्रार्थना के समय ऐतिहासिक पाइप ऑर्गन बजाया जाएगा. नए साल पर 1 जनवरी को भी विशेष प्रार्थना आयोजित होगी. इस बार कैरल कैंडल घर मे नहीं जाएगी बल्कि चर्च में ही आयोजित होगी. बीते वर्ष कोरोना के कारण चर्च में कार्यक्रम नहीं हो पाए थे. मगर, इस बार यहां पर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत कार्यक्रम आयोजित होंगे.
ऐतिहासिक पाइप ऑर्गन को 28 सितंबर 1899 में इस ऐतिहासिक चर्च में लाया गया था और इसे स्थापित करने के पांच दिन बाद इसे चर्च में बजाया गया था. तब से लेकर इस पाइप ऑर्गन की धुन ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में सुनाई दे रही थी, लेकिन बीते कुछ सालों से यह पाइप ऑर्गन खराब हो गया था. इसके नोट्स, पैडल और कंसोल में दिक्कत आ गई थी, जिसके चलते इस पाइप ऑर्गन की धुन चर्च में नहीं सुनाई देती थी और ना ही यहां होने वाली प्रार्थना सभाओं में इस पाइप ऑर्गन को बजाया जाता था.
यहां तक कि क्रिसमस के खास दिन पर भी यह पाइप ऑर्गन यहां नहीं बज पा रहा था. ऐसे में चर्च प्रबंधन ने इसकी सुध ली और इस पाइप ऑर्गन की मरम्मत की गई. इसके बाद फिर से शिमला के क्राइस्ट चर्च में इसकी धुन सुनाई दे रही है. इस पाइप ऑर्गन को ठीक किया गया है. अब क्रिसमस के जश्न के लिए यह पाइप ऑर्गन पूरी तरह से तैयार है. चर्च में क्रिसमस को लेकर कैंडल लाइट प्लेयर्स और प्रार्थना सभाओं में इस पाइप ऑर्गन को बजाया जा रहा है.
इस ऐतिहासिक पाइप ऑर्गन की खास बात यह है कि यह दुनिया का सबसे पुराना वाद्य यंत्र है और देखने में अन्य पियानों से भी यह बिल्कुल अलग है. जब इस पाइप ऑर्गन को यहां चर्च में लगाया गया था, तो उस समय इस पाइप ऑर्गन को बजाने के लिए दो लोगों की जरूरत होती थी. इसमें हवा प्रणाली, कंसोल कीबोर्ड कॉलर, एनक्लोजर व एक्सप्रेशन पेडल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कि इस पाइप ऑर्गन में लगी पाइपों में हवा भरी जाती है और पाइप में हवा भेजने के लिए पंप का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद हवा के दबाव को पैरों से नियंत्रित किया जाता है जिससे कि धुन इस पाइप ऑर्गन में बजती है.
अब इस पाइप ऑर्गन में इलेक्ट्रिक पंप का इस्तेमाल हवा भरने के लिए किया जाता है और एक ही व्यक्ति अब इस पियानों को बजाता है. इस पाइप ऑर्गन में 1 हजार छोटी बड़ी पाइपें लगी है जिससे कि मधुर संगीत निकलता है. अब जब शिमला के क्राइस्ट चर्च में क्रिसमस का जश्न (xmas celebration in shimla) चल रहा है तब इस पाइप ऑर्गन को वर्तमान में बेजल डीन बजाते है. दुनिया का यह सबसे पुराना वाद्य यंत्र है जो आज भी सही स्थिति में है और जिसकी धुन आज भी शिमला के ऐतिहासिक चर्च में गूंज रही है.