शिमला: हिमाचल प्रदेश बीज उत्पादन के क्षेत्र में जल्द ही आत्मनिर्भर बन सकता है. प्रदेश में बीज उत्पादन की काफी क्षमता है, लेकिन स्टोरेज की दिक्कत है. इसे दूर करने के लिए नेशनल सीड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से बातचीत चल रही है. उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही एमओयू साइन हो जाएगा. कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हमारे पास स्टोरेज की क्षमता नहीं है, लेकिन बीज उत्पादक के रूप में जब हमारे किसान आगे बढ़ेंगे तो उनकी आय निश्चित रूप से दोगुनी होगी. इस विषय में नेशनल सीड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से बातचीत चल रही है. हमारी इस विषय में उनके साथ एक-दो बैठक भी हो चुकी है.
हम जल्द ही एक एमओयू साइन करने जा रहे हैं, जिससे हमारे किसानों को बढ़िया बीज मिलेंगे. कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में केवल 1 प्रतिशत भूमि में बीज का उत्पादन किया जा रहा है, जो प्रदेश की 20 फीसदी बीज की जरूरत को पूरा कर रहा है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिमाचल 80 फीसदी बीज दूसरे राज्यों से आयातित कर रहा है.
हिमाचल में ही सभी प्रकार के उन्नत बीजों के उत्पादन और उनकी उपलब्धता को लेकर एक प्रणाली तैयार की जा रही है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को बीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह अनूठी पहल की जा रही है. कृषि मंत्री ने कहा कि हिमाचल के पुराने बीजों को सहेजने और उनके गुणन के लिए भी प्रणाली को विकसित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि भले ही हमारा छोटा सा पहाड़ी राज्य पंजाब और हरियाणा के मुकाबले में अधिक पैदावार नहीं दे सकता है, लेकिन हम उच्च गुणवत्तापूर्वक बीज पैदा कर प्रदेश की जरूरत को पूरा करने के साथ अन्य राज्यों में उत्तम बीज निर्यात कर बीज राज्य के रूप में पहचान बना सकता है.
किसान बाहरी राज्यों से आने वाले बीजों की गुणवत्ता को लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं. कई बार बाहरी राज्यों से आने वाले बीजों का हिमाचल की पारिस्थितिकी के अनुसार न होने के चलते उनमें सही से अंकुरण नहीं होता है. इसलिए भी अब यह जरूरी बनता है कि हम हिमाचल प्रदेश की परिस्थिति के अनुसार बीजों को तैयार करें और इसे प्रदेश के किसानों को उपलब्ध करवाएं. पायलट आधार पर कृषि विभाग के 12 कृषि फार्मों और 130 किसान समूहों में उन्नत बीजों के उत्पादन का काम किया जाएगा. इसके लिए राष्ट्रीय पौध अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो (एनबीपीजीआर) और हिमाचल के उन्नत बीजों का संरक्षण करने वाले किसानों का भी सहयोग लिया जाएगा.
कृषि मंत्री ने कहा कि एग्रीकल्चर सेक्टर ही ऐसा है, जिसमें हिमाचल प्रदेश की ग्रोथ रेट दो प्रतिशत से बढ़कर साढ़े तीन प्रतिशत तक पहुंची है. प्रधानमंत्री द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए एक आधारभूत ढांचा खड़ा करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये की घोषणा की गई है. 300-400 किसानों की फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन बनानी चाहिए. जब फसल तैयार होती है और उस समय उसका सही मूल्य नहीं मिले तो उस फसल को स्टोर करने या वैल्यू एडिशन के लिए हमारे पास कोई व्यवस्था नहीं है. हमें कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था करनी होगी. इसलिए जब हम फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन बनाएंगे तो हम इसके माध्यम से सारी सुविधा किसानों को उपलब्ध करवा सकते हैं. हम सीए स्टोर की व्यवस्था करेंगे और फसलों की वैल्यू एडिशन के लिए क्या हो सकता है उस पर भी विचार करेंगे.
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