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सरपारा में श्रवण मास के मेले की धूम, देवलुओं के साथ आए देवताओं ने की शिरकत - सरपारा गांव

सरपारा गांव में श्रवण मास के मेले की धूम है. मेले में रामपुर व कुल्लू क्षेत्र के तीन देवता कंदरा सकरनी नाग, जाहरू नाग, जल नाग देवता से मिलने गुरु के रूप में सरपारा गांव के स्थानीय देवता महासु आए. दूर-दूर से लोग आस्था व उमंग के साथ मेले में शिरकत कर रहे हैं.

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Published : Jul 29, 2019, 7:07 AM IST

रामपुरः सरपारा गांव में इन दिनों श्रवण मास का मेला मनाया जा रहा है. पूरा गांव मेले के रंग में रंगा है. मेले से स्थानीय लोगों की भारी आस्था जुड़ी हुई है.
मेले में रामपुर व कुल्लू क्षेत्र के तीन देवता कंदरा सकरनी नाग, जाहरू नाग, जल नाग देवता ने मेले में शिरकत की. इन देवताओं से मिलने गुरु के रूप में एक साल बाद सरपारा गांव के स्थानीय देवता महासु भी आए. इस नजारे को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे.

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महासु देवता के मंदिर के पास तीनों देवता अपने देवलुओं व वाद्य यंत्रों के साथ पहुंचे. गुरु के रूप में महासु देवता अपने मंदिर से एक आदमी सफेद रंग के कपड़े पहन कर हाथ में तलवार और ढाल लेकर आया. इसके बाद वे तीनों देवताओं से मिले. तीनों देवता खुशी में नाच उठे और देवलु भी खुब नाचे. इस नजारे को देखने के लिए दूर-दूर से सरपारा में ग्रामीण आते हैं.
मान्यता है कि अगर देवता गण खुश होते हैं तो वह साल क्षेत्र के लिए भी अच्छा रहता है. उस साल क्षेत्र में किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नहीं घटती और न ही क्षेत्र में महामारी फैलने का खतरा रहता है. इसी तरह इस बार देवता गण मेले में शिरकत करते हुए खुश नजर आए.

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ग्रामीणों का कहना है कि देवता महासु साल में सिर्फ इस दिन व एक बार ही अपने मंदिर से बाहर आते हैं. लोगों ने बताया कि पूरे साल महासु किसी भी प्रकार के क्षेत्र में होने वाले कार्यक्रम में नहीं जाते हैं. मेले में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. दूर-दूर से लोग आस्था व उमंग के साथ मेले में शिरकत करते हैं.

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रामपुरः सरपारा गांव में इन दिनों श्रवण मास का मेला मनाया जा रहा है. पूरा गांव मेले के रंग में रंगा है. मेले से स्थानीय लोगों की भारी आस्था जुड़ी हुई है.
मेले में रामपुर व कुल्लू क्षेत्र के तीन देवता कंदरा सकरनी नाग, जाहरू नाग, जल नाग देवता ने मेले में शिरकत की. इन देवताओं से मिलने गुरु के रूप में एक साल बाद सरपारा गांव के स्थानीय देवता महासु भी आए. इस नजारे को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे.

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महासु देवता के मंदिर के पास तीनों देवता अपने देवलुओं व वाद्य यंत्रों के साथ पहुंचे. गुरु के रूप में महासु देवता अपने मंदिर से एक आदमी सफेद रंग के कपड़े पहन कर हाथ में तलवार और ढाल लेकर आया. इसके बाद वे तीनों देवताओं से मिले. तीनों देवता खुशी में नाच उठे और देवलु भी खुब नाचे. इस नजारे को देखने के लिए दूर-दूर से सरपारा में ग्रामीण आते हैं.
मान्यता है कि अगर देवता गण खुश होते हैं तो वह साल क्षेत्र के लिए भी अच्छा रहता है. उस साल क्षेत्र में किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नहीं घटती और न ही क्षेत्र में महामारी फैलने का खतरा रहता है. इसी तरह इस बार देवता गण मेले में शिरकत करते हुए खुश नजर आए.

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ग्रामीणों का कहना है कि देवता महासु साल में सिर्फ इस दिन व एक बार ही अपने मंदिर से बाहर आते हैं. लोगों ने बताया कि पूरे साल महासु किसी भी प्रकार के क्षेत्र में होने वाले कार्यक्रम में नहीं जाते हैं. मेले में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. दूर-दूर से लोग आस्था व उमंग के साथ मेले में शिरकत करते हैं.

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Intro:रामपुर बुशहर 28 जुलाई मीनाक्षी


Body:सरपारा गांव में आए दिन श्रवण मास का मेला मनाया जा रहा है । जहां पर रामपुर व कुल्लू क्षेत्र के तीन देवता मौजूद रहे उनमें कंदरा सकरनी नाग, जाहरू नाग, जल नाग देवता ने मेले में शिरकत की । इन देवताओं से मिलने एक साल बाद सरपारा गांव के स्थानिय देवता महासु गुर के रूप में आए । इस दौरान वहां पर मेले में आए लोगों भी इस नजारे को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में पहुंचे । तभी महासु देवता जी के मंदिर के पास तीनों देवता अपने देवलुओं व वाद्य यंत्रों के साथ पहुंचे । तभी गुर के रूप में महासु देवता अपने मंदिर से एक आदमी सफेद रंग के कपड़े पहन कर हाथ में तलवार और ढाल लेकर आया इसके बाद उन्होंने तीनों देवताओं को मिले और इसके बाद खुशी में नाच उठे और देवलु भी खुब नाचने लगें । इस नजारे को देखने के लिए दुर दुर से सरपारा में ग्रामीण आते हैं ।
मान्यता है कि यदि देवता गण खुश होते हैं तो वह साल क्षेत्र के लिए भी अच्छा रहता है । उस साल क्षेत्र में किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नहीं घटती और क्षेत्र में महामारी फैलने का खतरा भी नहीं रहता । इसी तरह इस बार देवता गण मेले में शिरकत करते हुए खुश नजर आए।
ग्रामीणों का कहना है कि देवता महासु साल में सिर्फ इस दिन व एक बार ही अपने मंदिर से बहार आते हैं । पुरे साल महासु किसी भी प्रकार के क्षेत्र में होने वाले कार्य क्रम में नहीं जाते हैं ।


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