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हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग ने 3 साल में जुटाए 77.61 करोड़, 20 हजार गोवंश को मिला सहारा: वीरेंद्र कंवर - minister Virender Kanwar

हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग की स्थापना (Himachal Pradesh Gau Seva Aayog) 1 फरवरी 2019 को हुई थी. अब तक आयोग ने 77,61,20, 537 रुपए की राशि एकत्र की है. इसमें से अब तक 58,47,16, 057 रुपये की राशि खर्च की गई है. पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य हिमाचल को बेसहारा गौवंश से मुक्त करना है. इसके लिए हिमाचल सरकार लगातार कार्य कर रही है.

Himachal Pradesh Gau Seva Aayog
पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर
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Published : Jul 29, 2022, 7:24 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में गोवंश कल्याण के लिए स्थापित गोसेवा आयोग ने तीन साल में 77 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जुटाई है. प्रदेश में विगत चार साल में बीस हजार से अधिक गोवंश को सहारा मिला है. पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि (Virender Kanwar on Gau Seva Aayog) जयराम सरकार का लक्ष्य जल्द से जल्द सड़कों से बेसहारा गोवंश को गोशालाओं में पहुंचाना है. राज्य सरकार ने निजी गोशालाओं को भी प्रोत्साहन दिया है. गोवंश की सेवा के लिए प्रति गोवंश पहले पांच सौ रुपये रोजाना की रकम को भी बढ़ाकर सात सौ रुपये किया गया है.

हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग की स्थापना 1 फरवरी 2019 को हुई थी. अब तक आयोग ने 77,61,20, 537 रुपये की राशि एकत्र की है. इसमें से अब तक 58,47,16, 057 रुपये की राशि खर्च की गई है. प्रदेश में बड़े गौ अभयारण्य और बड़े गौ सदनों की संख्या 12 है. जबकि 7 अन्य का निर्माण कार्य जारी है. प्रदेश 203 छोटे गौ सदन गौवंश को संरक्षण दे रहे हैं. इनमें से 133 सरकार के पास पंजीकृत हैं.

इन सभी गौ सदनों और अभ्यारण्य में कुल 20053 गौवंश को आश्रय मिला है. गौ सदनों और गौ अभ्यारण्य के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने अब तक 35,88,03,800 रुपये खर्च किए. वहीं, 500 रुपये प्रति गाय प्रति माह प्रोत्साहन राशि के रूप में सरकार ने 16,12,07,384 रुपये दिए. प्रदेश सरकार ने 700 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में 12259800 रुपये गौ सदनों को दिए हैं.

अगर जिले के अनुसार गौवंश सरक्षंण के लिए उठाए कदमों की बात करें तो प्रदेश में 5500 गायों के संरक्षण के लिए गौ शालाओं का निर्माण कार्य अंतिम चरण पर है. जिला सिरमौर में 1,67,31,950 रुपये स्वीकृत राशि से गौ अभ्यारण्य, कोटला बोग का निर्माण किया जा रहा है. यहां 300 बेसहारा गायों को संरक्षण मिलेगा. वहीं, जिला ऊना के थानकला में 2,03,82,317 की लागत से गौशाला का निर्माण किया जा रहा है. यहां 300 बेसहारा गायों को सरंक्षण मिलेगा. इसके अलावा जिला सोलन के अन्यारण्य, होण्डा कुणडी में 700 बेसहारा गायों के लिए आश्रय का निर्माण किया जा रहा है. इस पर 2,97,18,900 रुपये खर्च आएगा.

जिला हमीरपुर में बड़ा गौसदन खेरी में 2,64,82,400 रुपये से 500 और गसोता में 53,41,800 रुपये की लागत से 200 गायों के संरक्षण के लिए निर्माण कार्य जारी है. कांगड़ा जिले में बड़ा गौसदन बाई अटारिया में 250 गायों, अभ्यारण्य गहन (जयसिंहपुर) में 500 गायों, गौसदन खल्जिया में 400 गायों, गौ आभ्यरण्य लुथान में 1000 गायों के संरक्षण को आधारभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है. ज्वाली के खबल में 700 बेसहारा गायों के संरक्षण के लिए भवन निर्माण कार्य जारी है.

मंडी के लोंगनी में 150 गायों का गौशाला जल्द ही तैयार होने वाली है. इसके अलावा शिमला के सुन्नी में 500 बेसहारा गायों के लिए गौसदन शुरू हो चुका है. पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य हिमाचल को बेसहारा गौवंश से मुक्त करना है. इसके लिए हिमाचल सरकार लगातार कार्य कर रही है. वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रोत्साहन राशि को भी बढ़ाया गया है. पहले यह राशि 500 रुपये थी अब 700 रुपये कर दिया है.

ये भी पढ़ें:UNA: महंगाई के खिलाफ आम आदमी पार्टी का हल्ला बोल, भाजपा सरकार पर लगाए ये आरोप

शिमला: हिमाचल प्रदेश में गोवंश कल्याण के लिए स्थापित गोसेवा आयोग ने तीन साल में 77 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जुटाई है. प्रदेश में विगत चार साल में बीस हजार से अधिक गोवंश को सहारा मिला है. पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि (Virender Kanwar on Gau Seva Aayog) जयराम सरकार का लक्ष्य जल्द से जल्द सड़कों से बेसहारा गोवंश को गोशालाओं में पहुंचाना है. राज्य सरकार ने निजी गोशालाओं को भी प्रोत्साहन दिया है. गोवंश की सेवा के लिए प्रति गोवंश पहले पांच सौ रुपये रोजाना की रकम को भी बढ़ाकर सात सौ रुपये किया गया है.

हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग की स्थापना 1 फरवरी 2019 को हुई थी. अब तक आयोग ने 77,61,20, 537 रुपये की राशि एकत्र की है. इसमें से अब तक 58,47,16, 057 रुपये की राशि खर्च की गई है. प्रदेश में बड़े गौ अभयारण्य और बड़े गौ सदनों की संख्या 12 है. जबकि 7 अन्य का निर्माण कार्य जारी है. प्रदेश 203 छोटे गौ सदन गौवंश को संरक्षण दे रहे हैं. इनमें से 133 सरकार के पास पंजीकृत हैं.

इन सभी गौ सदनों और अभ्यारण्य में कुल 20053 गौवंश को आश्रय मिला है. गौ सदनों और गौ अभ्यारण्य के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने अब तक 35,88,03,800 रुपये खर्च किए. वहीं, 500 रुपये प्रति गाय प्रति माह प्रोत्साहन राशि के रूप में सरकार ने 16,12,07,384 रुपये दिए. प्रदेश सरकार ने 700 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में 12259800 रुपये गौ सदनों को दिए हैं.

अगर जिले के अनुसार गौवंश सरक्षंण के लिए उठाए कदमों की बात करें तो प्रदेश में 5500 गायों के संरक्षण के लिए गौ शालाओं का निर्माण कार्य अंतिम चरण पर है. जिला सिरमौर में 1,67,31,950 रुपये स्वीकृत राशि से गौ अभ्यारण्य, कोटला बोग का निर्माण किया जा रहा है. यहां 300 बेसहारा गायों को संरक्षण मिलेगा. वहीं, जिला ऊना के थानकला में 2,03,82,317 की लागत से गौशाला का निर्माण किया जा रहा है. यहां 300 बेसहारा गायों को सरंक्षण मिलेगा. इसके अलावा जिला सोलन के अन्यारण्य, होण्डा कुणडी में 700 बेसहारा गायों के लिए आश्रय का निर्माण किया जा रहा है. इस पर 2,97,18,900 रुपये खर्च आएगा.

जिला हमीरपुर में बड़ा गौसदन खेरी में 2,64,82,400 रुपये से 500 और गसोता में 53,41,800 रुपये की लागत से 200 गायों के संरक्षण के लिए निर्माण कार्य जारी है. कांगड़ा जिले में बड़ा गौसदन बाई अटारिया में 250 गायों, अभ्यारण्य गहन (जयसिंहपुर) में 500 गायों, गौसदन खल्जिया में 400 गायों, गौ आभ्यरण्य लुथान में 1000 गायों के संरक्षण को आधारभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है. ज्वाली के खबल में 700 बेसहारा गायों के संरक्षण के लिए भवन निर्माण कार्य जारी है.

मंडी के लोंगनी में 150 गायों का गौशाला जल्द ही तैयार होने वाली है. इसके अलावा शिमला के सुन्नी में 500 बेसहारा गायों के लिए गौसदन शुरू हो चुका है. पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य हिमाचल को बेसहारा गौवंश से मुक्त करना है. इसके लिए हिमाचल सरकार लगातार कार्य कर रही है. वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रोत्साहन राशि को भी बढ़ाया गया है. पहले यह राशि 500 रुपये थी अब 700 रुपये कर दिया है.

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