शिमला: हिमाचल प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. छोटा राज्य होने के बावजूद प्रति व्यक्ति आय में हिमाचल देश के टॉप राज्यों में शुमार है. प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी का मुख्य कारण बागवानी, बेमौसमी सब्जियों और पर्यटन में बढ़ोतरी है. प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थापित उद्योग भी प्रति व्यक्ति आय की बढ़ोतरी में अहम भूमिका निभाते हैं. प्रदेश की 60 प्रतिशत जनसंख्या कृषि, बागवानी, पशुधन, वानिकी, मत्स्य पालन पर निर्भर करती है.
वर्ष 2019-20 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2018-19 की 1 लाख 76 हजार 460 रुपए से बढ़कर 1 लाख 90 हजार 407 रुपए होने की उम्मीद है. जो 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है. लेकिन राज्य में कोविड़-19 व आर्थिक स्थिति के प्रभाव के आधार पर दिसंबर 2020 तक अग्रिम अनुमानों के अनुसार 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर -6.2 प्रतिशत रहने की संभावना है.
प्रदेश में 2019-20 में 4.9 प्रतिशत और 2018-19 में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है वर्ष 2020-21 में प्रचलित कीमतों पर सकल राज्य घरेेलू उत्पाद का अनुमान लगभग 1 लाख 56 हजार 522 करोड़ आंका गया है. अग्रिम अनुमानों के अनुसार प्रति व्यक्ति आय 2020-21 में 1 लाख 83 हजार 286 अनुमानित है.
प्रति व्यक्ति आय रुपये में
वर्ष | हिमाचल प्रदेश | भारत |
2011-12 | 87,721 | 63,462 |
2012-13 | 99,730 | 70,983 |
2013-14 | 1,14,095 | 79.118 |
2014-15 | 1.23,299 | 86,647 |
2015-16 | 1,35,512 | 94,797 |
2016-17 | 1,50,290 | 1,04,880 |
2017-18 | 1,65,460 | 1,15,224 |
2018-19 | 1,76,460 | 1,25,883 |
2019-20 | 1,90,407 | 1,34,186 |
आर्थिक विशेषज्ञों की राय मानें तो हिमाचल की प्रति व्यक्ति आय कुछ इन फ्लेटिड भी है. प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों में बड़ी संख्या में उद्योग स्थापित हैं यहां उत्पादित सामान प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय में जोड़ा जाता है, लेकिन इसकी खपत हिमाचल प्रदेश में होकर दूसरे राज्यों और विदेशों में होती है. इसके अलावा विशेष श्रेणी राज्य होने के नाते प्रदेश को केंद्र से मात्रा में आर्थिक सहायता भी प्राप्त होती है. बड़ी संख्या में प्रदेश के युवा हिमाचल के बाहर या केंद्र सरकार के अधीन नौकरी-पेशा करते हैं ऐसे में इनकी आय का श्रोत भी हिमाचल न होकर कोई अन्य रहता है. हिमाचल की अर्थव्यवस्था को चलाने में केंद्र की तरफ से मिलने वाले राजस्व घाटा अनुदान की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती हैै. लेकिन बावजूद इसके हिमाचल में प्रति व्यक्ति आय देश भर के टॉप राज्यों में रहती है.
हिमाचल में सेब आर्थिकी की महत्वपूर्ण भूमिका: हिमाचल में करीब चार लाख बागवान परिवार हैं और यहां सालाना 3500 से 4000 करोड़ रुपए का सेब कारोबार होता है. जिला शिमला में पूरे हिमाचल का अस्सी फीसदी सेब पैदा होता है हिमाचल का सेब देश के महानगरों के फाइव स्टार होटलों में भी धाक जमा चुका है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, मद्रास सहित देश के हर महानगर में हिमाचल के सेब की मांग रहती है. यहां सेब की परंपरागत रॉयल किस्म के अलावा विदेशी किस्मों का भी उत्पादन होता है.
हिमाचल प्रदेश में विगत डेढ़ दशक का आंकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2010 में सबसे अधिक 4.46 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन हुआ था. सेब उत्पादन के लिए शिमला जिला का जुब्बल, कोटखाई, नारकंडा, चौपाल, कोटगढ़, क्यारी, रोहड़ू इलाका विख्यात है. शिमला जिला के अलावा कुल्लू, मंडी, किन्नौर, चंबा, लाहौल-स्पीति व सिरमौर में भी सेब पैदा होता है. कुछ सालों से प्रयोगधर्मी लोगों ने गर्म जलवायु वाले इलाकों में भी सफलतापूर्वक सेब को उगाया है
सेब के कारण एशिया के सबसे अमीर गांव: हिमाचल प्रदेश को सेब (Apple) ने कई तोहफे दिए हैं. यहां सेब उत्पादन का सफर सौ साल से अधिक का हो गया है. सेब से आई समृद्धि यहां सहज ही देखी जा सकती है. सेब उत्पादन के कारण हिमाचल के बागवान करोड़पति हुए हैं. यही नहीं, सेब के कारण ही हिमाचल प्रदेश के दो गांव एशिया के सबसे अमीर गांव रह चुके हैं. उनमें से एक गांव क्यारी तो अस्सी के दशक में एशिया का सबसे अमीर गांव रहा है. उसके बाद इसी दशक में ऊपरी शिमला का मड़ावग गांव एशिया का सबसे अमीर गांव रहा है. हिमाचल के बागवानों ने अपनी मेहनत से समृद्धि की ये कहानी लिखी है. अब नौजवान सरकारी नौकरी का मोह छोड़कर बागवानी की तरफ झुकाव रख रहे हैं. कई युवाओं ने एमएनसी की नौकरियां छोड़कर अपने बागीचे तैयार किए हैं. सेब के अलावा हिमाचल अब प्लम, आड़ू, नाशपाती के अलावा स्टोन फ्रूट उत्पादन में भी नाम कमा रहा है.
हिमाचल में सेब उत्पादन
साल | कितना उत्पादन |
2010 | 4.46 करोड़ पेटी |
2011 | 1.38 करोड़ पेटी |
2012 | 1.84 करोड़ पेटी |
2013 | 3.69 करोड़ पेटी |
2014 | 2.80 करोड़ पेटी |
2015 | 3.88 करोड़ पेटी |
2016 | 2.40 करोड़ पेटी |
2017 | 2.08 करोड़ पेटी |
2018 | 1.65 करोड़ पेटी |
2019 | 3.75 करोड़ पेटी |
2020 | 2.80 करोड़ पेटी |
प्रति व्यक्ति आय बढ़ोतरी में पर्यटन की अहम भूमिका: हिमाचल प्रदेश में पर्यटन का राज्य के आर्थिक विकास में महत्व पूर्ण स्थान है. पर्यटन को भविष्य में आर्थिक विकास के प्रमुख स्रोत के रुप में देखा जा रहा है. हिमाचल के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगभग 7 फीसदी है. वर्ष ,2020-21 में कोविड-19 महामारी के पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है. वर्ष 2019-20 में 1 करोड़ 72 लाख 12 हजार 107 पर्यटक हिमाचल प्रदेश आए इनमें 1,68,29.231 भारतीय और 3,82,876 विदेशी पर्यटक शामिल थे. वर्ष 2020-21 में कुल 32,13,379 पर्यटक हिमाचल प्रदेश आए.
प्रदेश में पर्यटन विकास के लिए एशियाई विकास बैंक की सहायता से पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 258 करोड़ रुपए की लागत से 8 परियोनाओं को पूरा किया है. इन परियोजनाओं की सहायता से राज्य में पर्यटकों की आमद को और बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार कार्य कर रही है. प्रदेश में पर्यटकों के आकर्षण के लिए विशेष रज्जू मार्ग परियोजनाएं भी चलाई जा रही हैं. इनमें मुख्यरूप से जिला कांगड़ा में धर्मशाला रज्जु मार्ग, जिला कांगड़ा आदि हिमानी चामुंडा जी, जिला कुल्लू में पलचान और जिला कुल्लू में ही भुंतर बिजली महादेव (Bijli Mahadev) शामिल है.
इसके अलावा पर्यटन विकास निगम के तहत राज्य में होटलों के रेस्तरां की सबसे बड़ी चेन है. जिसमें 54 होटल, 2,275 बेड वाले 983 कमरे हैं. एचपीटीडीसी ने दिसंबर 2020 तक 31.14 करोड़ के लक्ष्य पर 24. 41 करोड़ आय अर्जित की है.
प्रदेश में 28 हजार से अधिक औद्योगिक यूनिट्स, करीब 200 देशों को होती है दवाओं की सप्लाई: हिमाचल में 28000 लघु, मध्यम व बडे़ उद्योग हैं. प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग 99 प्रतिशत हैं. प्रदेश के उद्योगों से 60 से अधिक देशों को 10 हजार करोड़ से अधिक कीमत का वार्षिक निर्यात होता है. प्रदेश दवा निर्माण इकाईयों केंद्र के रूप में देश भर में जाना जाता है. हिमाचल एशिया में फार्मा उत्पादों की मांग का 35 प्रतिशत पूरा करता है.
फार्मास्यूटिकल उद्योग के विकास के कारण, बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र को पूरे विश्व में दवाओं के उत्पादन के लिए जाना जाता है. इससे भी अधिक बीबीएन क्षेत्र 150 से अधिक फॉर्मुला दवाओं का निर्माण कर रहा है जिनकी मांग 200 से अधिक देशों को है. प्रदेश में उद्योग विस्तार की बात करें तो हिमाचल सरकार द्वारा 2019 प्रथम ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह के कारण 13,6000 करोड़ के निवेश के साथ 236 उद्योग लगाए जा रहे हैं.
ऊर्जा राज्य हिमाचल हिमालयी राज्य होने के कारण हिमाचल प्रदेश में ऊर्जा के पारंपरिक और नवीकरणीय स्रोत जैसे पनबिजली, सौर और इंधन की लकड़ी मौजूद है. सूबे में 27,436 मेगावाट विद्युत क्षमता है, लेकिन इसमें से 24,000 मेगावाट को ही दोहन योग्य पाया है शेष क्षमता को पर्यावरण को बचाने, पारिस्थितिक संतुलन और विभिन्न सामाजिक कारणों से त्याग कर दिया गया है, लेकिन अभी तक 24,000 में से भी केवल 10547 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. यह 38.44 फीसदी है. वहीं, राज्य के भीतर कुल 2020-21 में अक्तूबर 2020 तक 5197.69 एमयू बिजली खपत होती है.
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