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अब 5वीं व 8वीं के बच्चे भी हो सकते हैं फेल, हिमाचल सरकार ने नो डिटेंशन पॉलिसी को हटाया - नो डिटेंशन पॉलिसी

हिमाचल के स्कूलों में अब पांचवी और आठवीं कक्षा के छात्रों को कम अंक लाने पर फेल किया जा सकेगा. सरकार ने 2019-20 से नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया है.

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Published : Sep 7, 2019, 8:36 AM IST

शिमलाः हिमाचल के स्कूलों में अब पांचवी और आठवीं कक्षा के छात्रों को भी पर्याप्त अंक नहीं होने पर फेल किया जा सकेगा. सरकार ने 2019-20 से नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया है. अभी तक इस पॉलिसी के तहत छात्रों के पास प्रतिशतता पूरी ना होने के बाद भी उन्हें अगली कक्षा में दाखिला दे दिया जाता था.

अब छात्रों के लिए 33% अंक हासिल करना अनिवार्य होगा. शिक्षा विभाग की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है. यह बदलाव राइट टू एजुकेशन एक्ट में सरकार द्वारा संशोधन करने के बाद किया गया है. शिक्षा विभाग में स्पष्ट किया है कि प्रदेश के सरकारी उच्च शिक्षा बोर्ड से एफिलेटेड निजी स्कूलों में इस सत्र में बोर्ड से ही फाइनल परीक्षा के प्रश्न पत्र सेट करवाने होंगे.

वीडियो.

एक्ट में संशोधन होने के बाद पहली से आठवीं कक्षा तक छात्रों को बिना परीक्षा पास किए अगली कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही शीतकालीन स्कूलों में 31 दिसंबर और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में 31 मार्च को बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए जाएंगे. अब परीक्षाएं भी बोर्ड द्वारा करवाई जाएगी, लेकिन छात्रों की परीक्षाएं उनके स्कूल में ही होंगी.

ये भी पढ़ें- 9वीं से 12वीं तक के नियमित परीक्षार्थी ऐसे करें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, बोर्ड ने जारी की अधिसूचना

बता दें कि शिक्षकों की भी यही मांग थी कि शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त किया जाना चाहिए. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने भी इस पॉलिसी को लेकर फैसला राज्यों पर छोड़ दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले को कैबिनेट में 2 माह पहले मंजूरी दी थी. हिमाचल सरकार ने फैसला ले कर नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया है.

हालांकि फेल होने वाले छात्रों को 2 महीने बाद परीक्षा का एक और मौका दिया जाएगा. अगर छात्र उस परीक्षा को पास कर लेते हैं तो उन्हें अगली क्लास में बैठने का मौका दिया जाएगा. इससे हिमाचल में शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर भी बढ़ेगा.

ये भी पढ़ें- शिक्षा के मंदिर में नौनिहाल बनाए गए 'सफाई कर्मी', किताब की जगह थमा दी झाडू

शिमलाः हिमाचल के स्कूलों में अब पांचवी और आठवीं कक्षा के छात्रों को भी पर्याप्त अंक नहीं होने पर फेल किया जा सकेगा. सरकार ने 2019-20 से नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया है. अभी तक इस पॉलिसी के तहत छात्रों के पास प्रतिशतता पूरी ना होने के बाद भी उन्हें अगली कक्षा में दाखिला दे दिया जाता था.

अब छात्रों के लिए 33% अंक हासिल करना अनिवार्य होगा. शिक्षा विभाग की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है. यह बदलाव राइट टू एजुकेशन एक्ट में सरकार द्वारा संशोधन करने के बाद किया गया है. शिक्षा विभाग में स्पष्ट किया है कि प्रदेश के सरकारी उच्च शिक्षा बोर्ड से एफिलेटेड निजी स्कूलों में इस सत्र में बोर्ड से ही फाइनल परीक्षा के प्रश्न पत्र सेट करवाने होंगे.

वीडियो.

एक्ट में संशोधन होने के बाद पहली से आठवीं कक्षा तक छात्रों को बिना परीक्षा पास किए अगली कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही शीतकालीन स्कूलों में 31 दिसंबर और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में 31 मार्च को बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए जाएंगे. अब परीक्षाएं भी बोर्ड द्वारा करवाई जाएगी, लेकिन छात्रों की परीक्षाएं उनके स्कूल में ही होंगी.

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बता दें कि शिक्षकों की भी यही मांग थी कि शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त किया जाना चाहिए. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने भी इस पॉलिसी को लेकर फैसला राज्यों पर छोड़ दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले को कैबिनेट में 2 माह पहले मंजूरी दी थी. हिमाचल सरकार ने फैसला ले कर नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया है.

हालांकि फेल होने वाले छात्रों को 2 महीने बाद परीक्षा का एक और मौका दिया जाएगा. अगर छात्र उस परीक्षा को पास कर लेते हैं तो उन्हें अगली क्लास में बैठने का मौका दिया जाएगा. इससे हिमाचल में शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर भी बढ़ेगा.

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Intro:प्रदेश के स्कूलों में अब पांचवी और आठवीं कक्षा के छात्र फेल होंगे। 2019- 20 से ही नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया गया है और छात्रों को पांचवी और आठवीं में तय पास प्रतिशतता ना होने पर फेल किया जाएगा। अभी तक जो छात्र पास प्रतिशतता पूरी ना होने के बाद भी पास हो जाते थे अब उन्हें 33% अंक पास होने के लिए लेना अनिवार्य होगा। शिक्षा विभाग की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह बदलाव राइट टू एजुकेशन एक्ट में सरकार की ओर से संशोधन करने के बाद किया गया है। शिक्षा विभाग में स्पष्ट किया है कि प्रदेश के सरकारी उच्च शिक्षा बोर्ड से एफिलेटेड निजी स्कूलों में इस सत्र में बोर्ड से ही फाइनल परीक्षा के प्रश्न पत्र सेट करवाने होंगे।


Body:एक्ट में संशोधन होने के बाद पहली से आठवीं कक्षा तक छात्रों को बिना परीक्षा पास किए अगली कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। छात्रों को पास होने के लिए 33% अंक लेने आवश्यक होंगे। अधिसूचना में बताया गया है कि 33% और उससे ज्यादा अंक लेने वाले छात्रों का परिणाम घोषित होने के साथ ही उन्हें सर्टिफिकेट भी समय पर दिए जाएंगे। इसके साथ ही शीतकालीन स्कूलों में 31 दिसंबर और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में 31 मार्च को बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए जाएंगे। अब जब नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया गया है तो परीक्षाएं बोर्ड करवाएगा लेकिन छात्रों की परीक्षाएं उनके अपने स्कूल में ही होंगी। यह जिम्मेदारी जिला उप निदेशकों की होगी कि वह बोर्ड की परीक्षाओं का सफल रूप से आयोजन करवाएंज़साथ ही परीक्षाओं में नकल ना हो इसके लिए औचक निरीक्षण भी करें। शिक्षा विभाग ने तय किया है कि स्कूल शिक्षा बोर्ड को नए लर्निंग आउटकम प्लान के तहत ही पांचवीं ओर आठवीं कक्षाओं के प्रश्न पत्र सेट करने होंगे। प्रारंभिक शिक्षा विभाग ही बोर्ड को नए लर्निंग आउटकम प्लान के बारे में बताएगा।वहीं शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रबंधन अपने-अपने स्कूलों में इन परीक्षाओं को आयोजित कर बीआरसी को आंसर सीट सौपेंगे जो कि बोर्ड को भिजवाई जाएंगीं।


Conclusion:बता देंगे प्रदेश के स्कूलों में छात्रों को नो टेंशन पॉलिसी के तहत छात्रों फेल नहीं किया जा रहा था जिससे कि परिणाम में लगातार गिरावट आ रही थी। ऐसे में शिक्षकों की भी यही मांग थी कि शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त किया जाना चाहिए। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने भी इस पॉलिसी को लेकर फ़ैसला राज्यों पर छोड़ दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले को कैबिनेट में 2 माह पहले मंजूरी दी थी। इसके बाद प्रदेश सरकार ने फैसला ले कर नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया। अब इसके तहत स्कूलों में पांचवी और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं होंगी और छात्रों को इन परीक्षाओं में फेल भी भी किया जाएगा, हालांकि फेल होने वाले छात्रों को 2 महीने बाद परीक्षा का एक और मौका दिया जाएगा। अगर छात्र उस परीक्षा को उतीर्ण कर देते हैं तो उन्हें अगली क्लास में बैठने का मौका दिया जाएगा। इससे जहां प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर बढ़ेगा तो वही छात्र आगे कक्षाओं में जा पाएंगे जो की परीक्षाएं उत्तीर्ण कर सकेंगे।
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