शिमलाः हिमाचल के स्कूलों में अब पांचवी और आठवीं कक्षा के छात्रों को भी पर्याप्त अंक नहीं होने पर फेल किया जा सकेगा. सरकार ने 2019-20 से नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया है. अभी तक इस पॉलिसी के तहत छात्रों के पास प्रतिशतता पूरी ना होने के बाद भी उन्हें अगली कक्षा में दाखिला दे दिया जाता था.
अब छात्रों के लिए 33% अंक हासिल करना अनिवार्य होगा. शिक्षा विभाग की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है. यह बदलाव राइट टू एजुकेशन एक्ट में सरकार द्वारा संशोधन करने के बाद किया गया है. शिक्षा विभाग में स्पष्ट किया है कि प्रदेश के सरकारी उच्च शिक्षा बोर्ड से एफिलेटेड निजी स्कूलों में इस सत्र में बोर्ड से ही फाइनल परीक्षा के प्रश्न पत्र सेट करवाने होंगे.
एक्ट में संशोधन होने के बाद पहली से आठवीं कक्षा तक छात्रों को बिना परीक्षा पास किए अगली कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही शीतकालीन स्कूलों में 31 दिसंबर और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में 31 मार्च को बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए जाएंगे. अब परीक्षाएं भी बोर्ड द्वारा करवाई जाएगी, लेकिन छात्रों की परीक्षाएं उनके स्कूल में ही होंगी.
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बता दें कि शिक्षकों की भी यही मांग थी कि शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त किया जाना चाहिए. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने भी इस पॉलिसी को लेकर फैसला राज्यों पर छोड़ दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले को कैबिनेट में 2 माह पहले मंजूरी दी थी. हिमाचल सरकार ने फैसला ले कर नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया है.
हालांकि फेल होने वाले छात्रों को 2 महीने बाद परीक्षा का एक और मौका दिया जाएगा. अगर छात्र उस परीक्षा को पास कर लेते हैं तो उन्हें अगली क्लास में बैठने का मौका दिया जाएगा. इससे हिमाचल में शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर भी बढ़ेगा.
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