शिमला: कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण इलाज के लिए अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित लोगों के लिए प्रदेश सरकार की हिमकेयर योजना (Himcare Scheme) के तहत अब तक 144 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च कर 1 लाख 51 हजार 157 लोगों का निःशुल्क इलाज किया जा चुका है. हिमकेयर योजना का लाभ लेने के लिए प्रदेश के पांच लाख 21 हजार 698 लोग अपना पंजीकरण (Registration) करवा चुके हैं. इस योजना के तहत एक हजार 579 उपचार प्रक्रियाएं कवर की जा रही हैं, जिसमें डे-केयर सर्जरी (day care surgery) भी शामिल हैं.
अस्पताल में भर्ती होने पर इलाज हिमकेयर के माध्यम से ही होता है. इस दौरान इलाज के लिए किसी प्रकार का खर्च नहीं करना पड़ता. हिमकेयर कार्ड प्रदेश और प्रदेश के बाहर कुल मिलाकर 201 पंजीकृत अस्पतालों में स्वीकार किया जाता है. जिनमें से 64 प्राइवेट अस्पताल भी शामिल हैं. केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना (ayushman bharat scheme) के बाद हिमाचल सरकार (Himachal Government) ने हिमकेयर योजना शुरू की.
प्रदेश में एक बड़ा वर्ग आयुष्मान भारत योजना के लाभ से वंचित रह गया था, जिसके बाद हिमाचल सरकार ने उस वर्ग को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए हिमकेयर योजना की शुरुआत की. हिमकेयर योजना में पंजीकृत परिवार के पांच सदस्यों को पांच लाख रुपए तक का नि:शुल्क इलाज किया जाता है. यदि किसी परिवार में पांच से अधिक सदस्य हैं तो उनको दो कार्ड बनवाने पड़ते हैं. इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं की गई है. हिमकेयर योजना के लिए पंजीकरण हर वर्ष जनवरी से मार्च माह तक किया जाता है.
अब तक हिमकेयर के तहत बिलासपुर जिले के 8,987 लोगों के इलाज पर 7 करोड़ 28 लाख 85 हजार रुपए, जिला चंबा में 5,922 मरीजों पर 5 करोड़ 34 लाख 66 हजार रुपए, जिला हमीरपुर में 14,554 लोगों के लिए 9 करोड़ 21 लाख 84 हजार रुपए, जिला कांगड़ा में 35,430 लोगों के लिए 34 करोड़ 95 लाख 56 हजार रुपए, जिला किन्नौर में 1,541 लोगों के लिए एक करोड़ 89 लाख 51 हजार रुपए, जिला कुल्लू में 12,382 लोगों के लिए आठ करोड़ 48 लाख 71 हजार रुपए, लाहौल-स्पीति जिले में 391 लोगों के लिए 34 लाख 58 हजार रुपए, जिला मंडी में 19,639 लोगों के लिए 18 करोड़ 29 लाख 85 हजार रुपए, जिला शिमला में 13,266 लोगों के लिए 19 करोड़ 86 लाख 15 हजार रुपए, जिला सिरमौर में 13,756 लोगों के लिए 9 करोड़ 45 लाख 72 हजार रुपए, जिला सोलन में 13,433 व्यक्तियों के लिए 10 करोड़ 50 लाख रुपए, ऊना जिले में 9,684 व्यक्तियों के लिए पांच करोड़ 79 लाख 65 हजार रुपए खर्च किए गए. इसके अलावा पीजीआई चंडीगढ़ में 2,172 प्रदेशवासियों के निःशुल्क इलाज के लिए 12 करोड़ 57 लाख रुपए हिमकेयर के माध्यम से अदा किए गए.
हिमकेयर कार्ड बनवाने के लिए एकल नारी, 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग, 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएं, आशा, मिड डे मील कार्यकर्ता, दिहाड़ीदार, अंशकालिक व आउटसोर्स कर्मचारियों और अनुबंध कर्मचारियों के लिए प्रीमियम मात्र 365 रुपए प्रतिवर्ष निर्धारित किया गया. अन्य व्यक्ति जो नियमित सरकारी या सेवानिवृत्त कर्मचारी नहीं उनके लिए प्रीमियम की दर प्रति परिवार प्रति वर्ष 1000 रुपए निर्धारित की गई है.
हिम केयर कार्ड के नवीनीकरण के लिए वर्ष भर सेवाएं प्रदान की जाती हैं. इस योजना के तहत पंजीकरण हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के वेब पोर्टल (Web portal) पर स्वयं या फिर लोकमित्र केंद्र (Lokmitra Kendra) या काॅमन सर्विस सेंटर के माध्यम से 50 रुपये का शुल्क अदा कर भी किया जा सकता है. हिमकेयर योजना के तहत पंजीकरण करवाने के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड, मोबाइल नंबर और श्रेणी के प्रमाण की आवश्यकता होती है. इस योजना के तहत कार्ड बनाने के लिए गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों, मनरेगा कर्मियों जिन्होंने पिछले या वर्तमान वित्तीय वर्ष में कम से कम 50 दिन कार्य किया हो व पंजीकृत रेहड़ी-फड़ी वालों को कोई भी प्रीमियम नहीं देना होता है.
नि:शुल्क होते हैं 56 टेस्ट: हिमाचल के सरकारी अस्पतालों की लैब के अलावा अस्पताल परिसरों में स्थापित निजी लैब में भी मरीजों के 56 प्रकार के टेस्ट नि:शुल्क होते हैं. प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेजों, जोनल अस्पताल, सिविल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एसआर लैब स्थापित हैं. इनमें सरकारी रेट पर ही हर तरह के टेस्ट होते हैं. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की अपनी भी लैब हैं, लेकिन इनमें 12 बजे तक टेस्ट होते हैं. उसके बाद इनकी जांच की जाती है. ऐसे में लोग निजी लैब में टेस्ट करवाते हैं.
ये 56 टेस्ट अस्पतालों में फ्री: क्लीनिक पैथोलॉजी में 17, बायो केमिस्ट्री में 20 तरह के टेस्ट फ्री होंगे. इनमें ब्लड शुगर, एचबी, यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल आदि के टेस्ट शामिल हैं. सिरियोलॉजी में 9 तरह के टेस्ट होते हैं. इनमें एचआईवी, डेंगू, मलेरिया आदि के टेस्ट शामिल हैं. माइक्रोबायोलॉजी और पैथोलॉजी में ब्लड कल्चर, यूरिन कल्चर, यूरिन एनालिसिस में यूरिन प्रेग्नेंसी टेस्ट, यूरिन माइक्रोस्कोपी, स्टूल एनालिसिस में 1 टेस्ट, रेडियोलॉजी में एक्सरे और कार्डियोलॉजी में ईसीजी नि:शुल्क होता है. इसमें अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन भी शामिल हैं.
हिमाचल में मजबूत स्वास्थ्य ढांचा : हिमाचल में प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य संस्थान देश में सबसे अधिक है. प्रति व्यक्ति सेहत पर खर्च करने के मामले में भी हिमाचल देश में अग्रणी है. देवभूमि में तीन हजार लोगों पर एक स्वास्थ्य संस्थान है और हिमाचल 2700 रुपए से अधिक प्रति व्यक्ति पर खर्च करता है. हिमाचल में फील्ड में 2286 मेडिकल ऑफिसर यानी एमबीबीएस डॉक्टर(MBBS Doctor) हैं. इसके अलावा फील्ड में 220 के करीब पीजी डॉक्टर्स हैं. वहीं, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एक हजार से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टर्स हैं.
हिमाचल में इस समय अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स(AIIMS) ने बिलासपुर के कोठीपुरा में सेवाएं देना शुरू कर दिया.इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (Indira Gandhi Medical College), नाहन में डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज (Dr. YS Parmar Medical College). कांगड़ा के टांडा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज (Dr. Rajendra Prasad Medical College), मंडी के नेरचौक में लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज (Lal Bahadur Shastri Medical College), चंबा में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (Jawaharlal Nehru Medical College), हमीरपुर में डॉ. राधाकृष्ण मेडिकल कॉलेज (Dr.Radhakrishna Medical College) सहित शिमला में राज्य स्तरीय कमला नेहरू मातृ एवं शिशु कल्याण अस्पताल, शिमला में ही डेंटल कॉलेज एवं अस्पताल, रीजनल कैंसर सेंटर (Regional Cancer Center) और दीन दयाल उपाध्याय जोनल अस्पताल (Deen Dayal Upadhyay Zonal Hospital) के तौर पर बड़ा हेल्थ नेटवर्क है.
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में सभी जिलों में जोनल अस्पताल अलग से हैं. साथ ही सिविल अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी, हेल्थ सब सेंटर (health sub center) का बड़ा जाल है. दूसरी तरफ कांगड़ा के पपरोला में आयुर्वेदिक कॉलेज (Ayurvedic College) एवं अस्पताल सहित गांव-गांव तक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी मौजूद हैं. आयुर्वेदिक संस्थानों की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश में 1252 संस्थानों में 34 आयुर्वेदिक अस्पताल हैं. हिमाचल में 2019-20 में 42 लाख लोगों ने साल भर में केवल आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज लिया.
प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी (IGMC) में रोजाना डेढ़ हजार लोग ओपीडी में इलाज करवाते हैं. यहां हर समय एक हजार से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती रहते हैं. कोविड काल में भी आईजीएमसी अस्पताल ने अकेले 12 हजार से अधिक छोटे-बड़े ऑपरेशन केस निपटाए. हिमाचल के हिसाब से यदि हेल्थ नेटवर्क में कोई कमी है तो वह एक मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (medical research institute) के रूप में है. कुल मिलाकर हिमाचल में चार हजार के करीब छोटे-बड़े स्वास्थ्य संस्थान हैं. हिमाचल में तीन हजार लोगों पर एक स्वास्थ्य संस्थान और यहां विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के तहत मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है. यही नहीं हिमाचल के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज है. स्वैच्छिक रक्तदान में हिमाचल देश में दूसरे नंबर पर है.
हिमाचल के डॉक्टर इस समय एम्स दिल्ली, पीजीआई चंडीगढ़, बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी पंजाब (Baba Farid Medical University Punjab), अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी नेरचौक सहित फोर्टिस मोहाली व अपोलो अस्पताल इंद्रप्रस्थ के महत्वपूर्ण पदों पर हिमाचल के डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं. यही नहीं कोविड से लड़ाई का ब्लू प्रिंट तैयार करने वाले विश्व विख्यात बाल रोग विशेषज्ञ और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल (NITI Aayog Member Dr. VK Paul) भी हिमाचल से ही संबंध रखते हैं.
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल (Health Minister Dr. Rajiv Saizal) के अनुसार हिमाचल ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. प्रदेश में कोविड से निपटने में भी यहां का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर काम आया है. कोविड के दौरान प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल ने लगातार सेवाएं जारी रखी और पीजीआई चंडीगढ़ से भी लौटाए गए मरीजों का यहां इलाज हुआ.
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